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नीतीश की सिफारिश ठेंगे पर: भ्रष्टाचार के आरोपी कुलपति एसपी सिंह ने उल्टे भेजा 5 करोड़ की मानहानि का नोटिस, CM की चिट्ठी राजभवन में दबी

नीतीश की सिफारिश ठेंगे पर: भ्रष्टाचार के आरोपी कुलपति एसपी सिंह ने उल्टे भेजा 5 करोड़ की मानहानि का नोटिस, CM की चिट्ठी राजभवन में दबी

10-Dec-2021 08:19 PM

PATNA: बिहार के यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार के खुले खेल पर अजब तमाशा हो रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस वीसी के खिलाफ जांच के लिए राजभवन को पत्र लिखा था, उस वीसी ने उलटे ही मानहानि का नोटिस भेज दिया है. एक पखवाड़े से ज्यादा समय से नीतीश की चिट्ठी राजभवन में पड़ी है. उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. हुआ ये कि नीतीश कुमार ने जिस कुलपति के कारनामों की जांच कराने को कहा था उसने ही बुलंद हौंसले के साथ मानहानि की नोटिस भेज दी है.


एसपी सिंह ने भेजी नोटिस

मिथिला यूनिवर्सिटी के वीसी सुरेंद्र प्रताप सिंह ने मानहानि की ये नोटिस भेजी है. ये वही कुलपति हैं जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप लगने के बाद राजभवन में उन्हें सर्वश्रेष्ठ कुलपति का अवार्ड दिया था. अब प्रो. एसपी सिंह ने शुक्रवार को अरबी-फारसी विवि के कुलपति प्रो. कुद्दुस पर मानहानि का दावा कर दिया है. एसपी सिंह ने अपने वकील के जरिये प्रो. कुद्दुस को नोटिस भिजवायी है जिसमें 5 करोड़ 10 लाख रूपये की मानहानि का दावा किया गया है. 


नीतीश की सिफारिश ठेंगे पर

हम आपको बता दें कि अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मो कुद्दुस ने प्रो सुरेन्द्र प्रताप सिंह पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र लिखा था. मो. कुद्दुस ने अपने पत्र में यूनिवर्सिटी में हुए भ्रष्टाचार के खेल को उजागर किया था. दरअसल मो. कुद्दुस से पहले सुरेंद्र प्रताप सिंह इस यूनवर्सिटी के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे. मो. कुद्दुस के पत्र के आधार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल को पत्र लिखा था. पत्र में सुरेंद्र प्रताप सिंह पर लगे आरोपों की जांच कराने की सिफारिश की गयी थी. एक पखवाड़े से भी ज्यादा समय से वह पत्र राजभवन में दबा है. उसका नतीजा ये हुआ है कि सुरेंद्र प्रताप सिंह ने मो. कुद्दुस को मानहानि का नोटिस भेज दिया है.


हम आपको बता दें कि अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति मो कुद्दुस ने अपने पत्र में सुरेन्द्र प्रताप सिंह पर आरोप लगाया था कि मौलाना मजहरुल हक़ अरबी फारसी यूनिवर्सिटी के प्रभारी कुलपति रहते हुए बड़े पैमाने पर गडबड़झाला किया. प्रभारी कुलपति रहते हुए सुरेंद्र प्रताप सिंह ने गलत ढंग से करोडों का टेंडर दिया और टेंडर में बंदरबांट किया. प्रोफेसर कुद्दुस ने अपने पत्र में लिखा है कि कुलपति के पद पर नियुक्ति के बाद उन्हें 19 अगस्त 2021 को यूनिवर्सिटी में जॉइन करना था. वह जब जॉइन करने पहुंचे थे तो रजिस्ट्रार मो हबीबुर रहमान ने उन्हें रोक दिया. मो. कुद्दुस को 23 अगस्त को यूनिवर्सिटी में कुलपति के पद पर योगदान कराया गया. 


मो. कुद्दुस ने अपने पत्र में कहा है कि उसी दौरान सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने लाखों रूपये के घालमेल वाले कई फैसले लिए. लखनऊ की एक एजेंसी को उत्तर पुस्तिका छापने के लिए दोगुने से भी ज्यादा दाम पर टेंडर दे दिया गया. यूनिवर्सिटी में आउटसोर्सिंग के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति में भी घालमेल किया गया और नियम-कायदे को ताक पर रख कर पटना की एक एजेंसी को काम दिया गया. मो. कुद्दुस ने यूनिवर्सिटी में हुए कई और घोटाले की भी पोल खोली थी. 


राजभवन पर भी लगे थे आरोप

मो. कुद्दुस ने अपने पत्र में लिखा था कि अतुल श्रीवास्तव नाम का एक व्यक्ति भी लूट खसोट के इस खेल में शामिल है. अतुल श्रीवास्तव राजभवन के नाम पर कुलपतियों को धमकाता है और गलत टेंडर के पैसे का भुगतान करने को कहता है. मो. कुद्दुस ने अतुल श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति के दो मोबाइल नंबरों का जिक्र करते हुए कहा था कि उन पर भुगतान करने के लिए कई बार दबाव बनाया गया. 


इस मामले के उजागर होने के बाद राजभवन में बकायदा समारोह आयोजित कर सुरेंद्र प्रताप सिंह को बेस्ट कुलपति का अवार्ड दे दिया गया. सुरेंद्र प्रताप सिंह राजभवन के कितने खास थे इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें एक साथ चार-चार यूनिवर्सिटी के वीसी का चार्ज दिया गया था. राजभवन ने भ्रष्टाचार के मामलों के एक और आऱोपी और मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति राजेंद्र प्रसाद पर लगे आरोपों की जांच के लिए भी सुरेंद्र प्रताप सिंह को जिम्मा दे दिया था. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने राजेंद्र प्रसाद को क्लीन चिट दे दिया था. हालांकि बाद में जब बिहार सरकार की निगरानी विभाग ने राजेंद्र प्रसाद के ठिकानों पर छापेमारी की तो घोटालों की लंबी फेहरिश्त सामने आ गयी थी. राजेंद्र प्रसाद के पास से करोड़ों रूपये कैश और संपत्ति भी मिली थी. 


इस पूरे घोटाले की खबर सामने आने के बाद राज्यपाल फागू चौहान को दिल्ली तलब किया गया था जहां केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उनसे बातचीत की थी. सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री ने घोटालों के संबंध में ही राज्यपाल से बात की थी. लेकिन फिर भी घोटालों के आऱोपी कुलपतियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. नीतीश कुमार की चिट्ठी तक को ठंढ़े बस्ते में डाल दिया गया. अब एसपी सिंह ने अपने उपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए प्रो. कुद्दुस को 5.10 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस भेज दिया है.