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चीन के राह पर चला नेपाल, सड़क और बांध बनाने पर आधिकारिक विरोध दर्ज कराया

चीन के राह पर चला नेपाल, सड़क और बांध बनाने पर आधिकारिक विरोध दर्ज कराया

19-Jul-2020 07:23 AM

DESK : चीन के प्रभाव में आकर नेपाल लगातार भारत के साथ अपने पुराने संबंध खराब कर रहा है। पिछले दिनों नेपाल का रवैया भारत विरोधी देखने को मिला है और अब नेपाल ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए भारत की तरफ से बनाए जा रही सड़क और बांधों पर आपत्ति जताई है। नेपाल ने आधिकारिक तौर पर विरोध जताते हुए कहा है कि भारत के सड़क और बांध बनाने से उसके क्षेत्र में बाढ़ की समस्या पैदा हो रही है। 


नेपाल से आने वाली नदियों के कारण बिहार में हर साल बाढ़ आती है। उत्तर बिहार के ज्यादातर जिले डूब जाते हैं। अब तक भारत ने नेपाल से आने वाली नदियों को लेकर कोई ब्लूप्रिंट इसलिए तैयार नहीं किया क्योंकि इससे नेपाल को मुश्किल हो सकती है लेकिन इस सबके बावजूद नेपाल सरकार अब अपने यहां बाढ़ का ठीकरा भारत पर फोड़ रही है। नेपाल के अखबार कांतिपुर के मुताबिक होली सरकार ने भारत को राजनयिक माध्यम से चिट्ठी भेजकर सड़क और बांध निर्माण पर आपत्ति जताई है। कांतिपुर टाइम्स के मुताबिक नेपाल के सिंचाई मंत्रालय के सचिव रविंद्र नाथ श्रेष्ठ के हवाले से यह खबर प्रकाशित की गई है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर भारत को अपना विरोध दर्ज कराया है। नेपाल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भरतराज पौडयाल ने कहा है कि डिप्लोमेटिक नोट दोनों देशों के बीच किसी जरूरी मुद्दे पर दिया जाता रहा है यह सामान्य है और कोई नई बात नहीं है। नेपाल के गृह मंत्री राम बहादुर थापा ने भी संसदीय समिति की एक बैठक में कहा था कि भारत नेपाल में बाढ़ के लिए जिम्मेदार है। थापा ने कहा था कि भारत ने अपनी सीमा से सटकर कई ढांचों का निर्माण किया है जिसकी वजह से नेपाल को लंबे समय से मानसून के दौरान संकट का सामना करना पड़ता है। 


नेपाल में भारत संकट को लेकर वहां की सरकार जो दावा कर रही है हकीकत उससे बिल्कुल अलग है। नेपाल की नदियां हर साल बिहार में तबाही लाती हैं। नेपाल के कैचमेंट एरिया में होने वाली बारिश पर किसी का नियंत्रण नहीं है और जब भी वहां बारिश होती है तो कोसी सहित अधवारा समूह की तमाम नदियों में जलस्तर ऊपर चला जाता है। उत्तर बिहार में बाढ़ की त्रासदी का मुख्य कारण नेपाल की नदियां हैं। गंडक और कोसी का कहर बिहार के लिए श्राप बन चुका है लेकिन इस सबके बावजूद अब नेपाल चीन के उकसावे पर नया राग अलाप रहा है।