ब्रेकिंग न्यूज़

दृष्टिपुंज आई हॉस्पिटल में कंटूरा विज़न लेसिक की बड़ी उपलब्धि: 300 सफल ऑपरेशन पूरे Bihar Crime News: अदालत में सबूत पेश नहीं कर सकी बिहार पुलिस, कोर्ट ने SHO समेत 7 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जारी कर दिया अरेस्ट वारंट Bihar Crime News: अदालत में सबूत पेश नहीं कर सकी बिहार पुलिस, कोर्ट ने SHO समेत 7 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जारी कर दिया अरेस्ट वारंट अरवल में करंट लगने से युवक की मौत, जर्जर तार बना हादसे की वजह, बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप Bihar Politics: बाल-बाल बचे सांसद पप्पू यादव, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के दौरान हुआ हादसा Bihar Politics: ‘लालू परिवार बिहार की बर्बादी का जिम्मेदार’ युवा चेतना सुप्रीमो रोहित सिंह का तेजस्वी पर बड़ा हमला Bihar Politics: ‘लालू परिवार बिहार की बर्बादी का जिम्मेदार’ युवा चेतना सुप्रीमो रोहित सिंह का तेजस्वी पर बड़ा हमला Bihar News: बिहार में यहां एक ही घर से निकले 60 किंग कोबरा, परिवार ने त्यागा मकान; गाँव वालों ने बदला रास्ता BIHAR NEWS:चोरी के शक में युवक की बेरहमी से पिटाई, भीड़ ने चप्पल पर चटवाया थूक Bihar Politics: काले कपडे पर आमने-सामने नीतीश-रोहिणी, लालू की बेटी ने सीएम को बता दिया हिटलर

नदी में नाव खेते दिखे सांसद प्रदीप कुमार सिंह, नजारा देख हैरत में पड़ गए लोग

नदी में नाव खेते दिखे सांसद प्रदीप कुमार सिंह, नजारा देख हैरत में पड़ गए लोग

21-Aug-2022 10:02 PM

ARARIA : अररिया सांसद प्रदीप कुमार सिंह आज एक अलग ही रूप देखने को मिला। पिपरा बिजवार से रतवा नदी को पार करने के दौरान उन्होंने नाव की पतवार खुद थाम ली और नदी पार कर गए। दरअसल, सांसद प्रदीप कुमार सिंह पलासी के छपनिया गांव में एक शोक संतप्त परिवार से मिलने के लिए जा रहे थे। सांसद को रतवा नदी पार कर छपनिया गांव पहुंचना था। नदी के किनारे नाव तो मौजूद थी लेकिन नाविक नहीं था। नाविक पहुंचा ही था कि सांसद ने खुद अपने हाथ में पतवार लेकर नाव खेना शुरू कर दिया।


इस दौरान बांस का पतवार सांसद ने खुद थाम लिया और नाव को नदी पार कराने की जुगत में लग गये। बार-बार नाविक सांसद से नाव को उसे खेने देने की मांग कर रहे थे, लेकिन सांसद ने उसे बैठा दिया और खुद ही नाव को खेते हुए नदी को पार कर गए। सांसद के साथ नाव पर उसके अंगरक्षक समेत अन्य लोग मौजूद थे। एक सांसद को नाव खेता देख लोग हैरान हो गए।


उन्होंने बताया कि उनका बचपन नदी के किनारे गांव में बिता है। जहां वे बचपन मे खेल-खेल में नाव को पतवार के मदद के खेने का काम करते थे लेकिन समय के परिवर्तन के साथ गांव की वह अल्हड़ता और बालपन छीन से गया और जब उन्होंने आज नदी के तट पर नाव देखा तो अपने उनदिनों को याद करते हुए नाव को खेने में लग गये।