ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बिहार के इन जिलों में इंडस्ट्रियल हब का निर्माण, रोजगार की आने वाली है बाढ़.. Bihar News: बिहार के इन जिलों में एयरपोर्ट का निर्माण, गया हवाई अड्डे को बनाया जाएगा इस मामले में खास.. ISM पटना में व्याख्यान का आयोजन: इसके माध्यम से युवाओं को मिला लैंगिक संवेदनशीलता का संदेश Bihar Cabinet Meeting: नीतीश कैबिनेट का बड़ा फैसला...इस विभाग में 459 लिपिक की होगी बहाली..इन आंदोलनकारियों की पेंशन राशि में भारी वृद्धि अररिया में लूट की कोशिश नाकाम: एक्सीडेंट में घायल हुए दो बदमाश, ग्रामीणों ने हथियार के साथ पकड़ा Bihar Education News: 1st Bihar की खबर का बड़ा असर, भ्रष्टाचार में लिप्त A.E. की सेवा होगी समाप्त.. शिक्षा विभाग को भेजा गया प्रस्ताव, करप्शन की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी Patna News: पटना में स्वतंत्रता दिवस पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, ड्रोन से होगी निगरानी Patna News: पटना में गंदगी फैलाने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई, इस दिन से अभियान शुरू Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर क्यों तोड़ी जाती है दही हांडी? जानिए... इस परंपरा का इतिहास और महत्व Bihar News: बिहार में मिला इतने हजार करोड़ का खनिज, खजाने की ई-नीलामी की तैयारी में जुटी केंद्र सरकार

मेंटर्स एडुसर्व ने किया सेमिनार का आयोजन, विशेषज्ञों ने दिए सफलता के टिप्स

मेंटर्स एडुसर्व ने किया सेमिनार का आयोजन, विशेषज्ञों ने दिए सफलता के टिप्स

12-Dec-2022 06:36 PM

PATNA: दक्षिण भारत के विद्यार्थी आईआईटी और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में हमेशा टॉपर रहते हैं या टॉपर की लिस्ट में होते हैं। इसकी वजह उनके तैयारी करने का तरीका है। वहां बच्चे छठवीं और सातवीं कक्षा से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। ऐसे में 11वीं में पहुंचने से पहले ही उनका आधा से अधिक सिलेबस पूरा हो चुका होता है। बचे हुए समय को वो रिवीजन में लगाते हैं। इस वजह से दक्षिण भारत का सफलता दर इन परीक्षाओं में ज्यादा है। यह बातें पूर्वोत्तर भारती की अग्रणी कोचिंग संस्थान मेंटर्स एडुसर्व के निदेशक और आईआईटी टॉपर गुरू आनंद कुमार जायसवाल ने कही। जायसवाल सोमवार को वीरचंद पटेल मार्ग स्थित रविंद्र भवन में पांचवीं, छठवीं और सातवीं के विद्यार्थियों के लिए आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।


उन्होंने बताया कि मेंटर्स एडुसर्व इसी फॉर्मूले पर काम कर रहा है। मेंटर्स एडुसर्व की ओर से छठवीं और सातवीं से ही बच्चों को ट्रेंनिग देना या फाउंडेशन कोर्स कराना शुरू कर दिया गया है। इससे बच्चों के रिजल्ट में भी सुधार देखा गया है। खासकर, विज्ञान विषयों में वो बेहतर अंक प्राप्त कर रहे हैं। इसी तरह नेशनल स्टैंडर्ड एग्जामिनेशन (ओलंपियाड ), एनटीएसई आदि के लिए मानसिक मजबूती चाहिए है। यह स्कूल में संभव नहीं है। इस सेमिनार में राज्यभर से स्कूली बच्चे और उनके अभिभावक आए थे।


भौतिकी के विख्यात शिक्षक आनंद कुमार जायसवाल ने बच्चों और उनके परिजनों को संबोधित करते हुए कहा कि छठवीं और सातवीं के बहुत सारे चेप्टर का विस्तार या वृहद रूप आगे की कक्षा में पढ़ना होता है। ऐसे में संस्थान में वर्तमान कक्षा का चेप्टर पढ़ाने के बाद आगे की कक्षा का सिलेबस भी थोड़ा-थोड़ा पढ़ाना शुरू कर दिया जाता है। यहां तक की आईआईटी और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में पूछे जानेवाले प्रश्न को भी अक्सर बच्चों को पेश करते हैं। ऐसे में ये बच्चे पूर्व से ही अपने आगे के सिलेबस के फ्रेंडली हो जाते हैं। इस ट्रेनिंग प्रक्रिया से बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि भी बढ़ती है। हालांकि इस दौरान बच्चों के बचपन का ख्याल रखा जाता है। अभी फाउंडेशन कोर्स में नामांकन पूर्व के फीस पर ही हो रहा है। ऐसे में अभिभावक लाभान्वित हो सकते हैं। 


आनंद कुमार जायसवाल ने कहा कि इस ट्रेनिंग से सिर्फ आईआईटी और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में ही सफलता की संभावना नहीं बढ़ जाती, बल्कि कई और फायदें होते हैं। हाई स्कूल स्तर के बच्चे ही नेशनल स्टैंडर्ड एग्जामिनेशन (ओलंपियाड), एनटीएसई आदि में भाग लेते हैं। लेकिन इन परीक्षाओं में थोड़े एडवांस प्रश्न होते हैं। ऐसे में सिर्फ स्कूल का सिलेबस पढ़ कर इसमें उत्तीर्ण नहीं हुआ जा सकता है। इस वजह से भी छठवीं और सातवीं से फाउंडेशन कोर्स कराते हैं। इस फाउंडेशन कोर्स या ट्रेनिंग प्रोग्राम में आईआईटी और मेडिकल की तैयारी करानेवाले शिक्षक ही पढ़ाते हैं।