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मंत्री संतोष मांझी ने पीएम मोदी से मुलाकात कर 10 मांगों वाला पत्र सौंपा, जातीय जनगणना की चर्चा तक नहीं की

मंत्री संतोष मांझी ने पीएम मोदी से मुलाकात कर 10 मांगों वाला पत्र सौंपा, जातीय जनगणना की चर्चा तक नहीं की

04-Aug-2021 12:41 PM

DELHI : बिहार सरकार के मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता संतोष कुमार सुमन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है. पीएम मोदी से संतोष कुमार सुमन की यह मुलाकात संसद भवन स्थित एनेक्सी में 11 हुई. बिहार सरकार के एससी-एसटी कल्याण मंत्री संतोष सुमन ने 10 मांगों वाला पत्र प्रधानमंत्री को सौंपा है. हालांकि इसमें कहीं भी जातीय जनगणना की चर्चा नहीं है.


बिहार सरकार में लघु जल संसाधन विभाग के मंत्री संतोष सुमन ने प्रधानमंत्री के पार्लियामेंट एनेक्सी में पीएम मोदी से मुलाकात कर उन्हें 10 मांगों वाला पत्र सौंपा. पीएम मोदी को लिखे पत्र में संतोष सुमन ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वर्तमान आर्थिक और सामाजिक स्थिति को लेकर कई बिंदुओं पर चर्चा की है. लेकिन उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर एक शब्द भी नहीं लिखा.


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे और नीतीश सरकार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के मंत्री संतोष सुमन ने पीएम मोदी के सामने 10 मांगों को रखा है, जिससे इस समाज का उत्थान हो सके. मंत्री संतोष सुमन ने अपने पत्र में इन 10 मांगों की चर्चा की है -



1. उच्च न्यायपालिका में अनुसूचित जाति / जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाए।


2. निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाए।


3. पर्वतपुरुष स्व० दशरथ मांझी को भारत रत्न का सम्मान प्रदान किया जाए। 


4. प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाए।


5. उत्तर पूर्वी राज्यों की भाँति बिहार में प्रवेशिकोत्तर (POST MATRIC) अनुसूचित जाति / जनजाति के छात्र छात्राओं को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि में केन्द्र राज्य अनुपात 90:10 किया जाए।


6. जवाहर नवोदय विद्यालय एवं केन्द्रीय विद्यालय के समान केन्द्रीय सहायता से अनुसूचित जाति / जनजाति बालकों/ बालिकाओं के आधुनिक आवासीय विद्यालयों की स्थापना का प्रावधान किया जाए।


7. अनुसूचित जाति / जनजाति समुदाय के आर्थिक एवं शैक्षणिक उत्थान के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता का प्रावधान किया जाए।


8. अनुसूचित जाति / जनजाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं के कौशल विकास एवं उद्यमिता ऋण के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता दी जाए।


9. अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के व्यक्तियों पर अत्याचार को रोकने के लिए प्रभावी केन्द्रीय प्रावधान बनाये जाए तथा अत्याचार पीड़ितों को शतप्रतिशत केन्द्रीय अनुदान दी जाए।


10. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।