Heart Attack: सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है हार्ट अटैक, जानिए शुरुआती लक्षण Industry Hub Bihar: इंडस्ट्री हब बनने जा रहा पटना का यह इलाका, जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू Industry Hub Bihar: इंडस्ट्री हब बनने जा रहा पटना का यह इलाका, जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana : बिहार की महिलाओं के खाते में इस तारीख को आएंगे 10000 रुपये, आवेदन का लास्ट डेट भी नजदीक रेल यात्रियों को बड़ा झटका: मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के किराया में बढ़ोतरी का ऐलान, इस दिन से लागू होगा बदलाव रेल यात्रियों को बड़ा झटका: मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के किराया में बढ़ोतरी का ऐलान, इस दिन से लागू होगा बदलाव Dhurandhar Box Office Collection: रणवीर सिंह की ‘धुरंधर’ तीसरे शनिवार को तोड़े बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड, अब Pushpa 2 के रिकॉर्ड को चुनौती Bihar weather : बिहार में ठंड और कोहरे का कहर, इन जिलों में कोल्ड डे घोषित; घना कोहरा का भी अलर्ट Premanand Maharaj: तीर्थ यात्रा पर जाना क्यों जरूरी है? प्रेमानंद महाराज ने दिया जवाब Premanand Maharaj: तीर्थ यात्रा पर जाना क्यों जरूरी है? प्रेमानंद महाराज ने दिया जवाब
29-Mar-2020 09:37 AM
PATNA: लॉकडाइन में कई शहरों में फंसे बिहार के लाखों लोग फंसे हैं. जब रोजी रोटी इस लॉकडाउन ने छिन लिया तो वह अपने घरों के लिए निकलने लगे. लेकिन सबसे अधिक परेशानी गाड़ियों को लेकर हो रही है. लॉकडाउन में सबकुछ बंद है. फिर भी हजारों लोग मजबूरी में पैदल ही कई शहरों से चल दिए हैं. भूखे से परेशान है फिर ही दिन रात चलते जा रहे हैं, उनके न तो पैर रूक रहा है कि न इनके आंखों के आंसू.

दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद से बिहारियों आ रहे हजारों लोग
सबसे अधिक इस लॉकडाउन का असर बिहार के लोगों पर दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में काम करने वाले लोगों पर पड़ा है. इन शहरों के मकान मालिकों ने भी कम जुर्म नहीं ढाया है. कोरोना के डर के कारण हजारों बिहार के लोगों को घर से निकाल दिया. जिससे विवश लोग अपने घर चल दिए हैं. राजस्थान, बंगाल, के भी मजदूरों का यही हाल है. वह भी पैदल गांव के लिए निकल गए है. सैकड़ों पहुंच भी गए है. हजारों मजदूर केरल, हिमाचल, पंजाब में फंसे हुए हैं. वह घर तो नहीं आ सकते हैं, लेकिन जहां पर पर है वही पर मदद मांग रहे हैं.

हजार किमी चलता आसान नहीं
दिल्ली से बिहार के आना पैदल आसान नहीं है. करीब एक हजार किमी की दूरी है फिर भी लोग पैदल ही चलते आ रहे हैं. इनका पैर रूक नहीं रहा है. सिर्फ एक ही मकसद है कि किसी तरह से वह अपने घर पहुंच जाए. सिर और पीठ पर बैग लिए हुए, हाथ से बच्चे का हाथ पकड़े हुए चलते आ रहे हैं. कई कंधों पर दो-दो बच्चे लिए चल रहे हैं.






