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31-Mar-2020 01:51 PM
By Ganesh Samrat
PATNA : पूरे देश में जारी लॉकडाउन के बीच बिहार के लगभग चार लाख नियोजित शिक्षकों का हड़ताल घर से ही जारी है। शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ घर से ही मोर्चा खोल रखा है। आज शिक्षकों ने अपने परिवार के साथ सामूहिक उपवास कर सहायक शिक्षक,राज्यकर्मी का दर्जा,पूर्ण वेतनमान और सेवाशर्त की मांग को और भी बुलंद किया।
लॉकडाउन में हड़ताली शिक्षक घर को ही आंदोलनस्थल बनाकर अपनी आवाज उठा रहे हैं। हाथों में तख्तियां लेकर शिक्षकों ने बालबच्चों समेत उपवास पर बैठ अपना दर्द सोशल मीडिया पर साझा किया। शिक्षकों का कहना है कि जबतक सरकार शिक्षकों के हड़ताल के मसले पर अपना स्टैंड क्लियर नहीं करती, हड़ताली शिक्षकों के विरुद्ध हुए बर्खास्तगी निलंबन प्राथमिकी समेत विभिन्न दमनात्मक कारवाईयों को वापस नही लेती शिक्षक हड़ताल बने रहने को बाध्य हैं।
हड़ताली शिक्षकों का कहना है कि सरकार अगर संवेदनशील होती तो शिक्षकों को सहायक शिक्षक- राज्यकर्मी घोषित करते हुए कोरोना आपदा के बाद ही सही वेतनमान को लेकर वार्ता की लिखित घोषणा करके शिक्षक हड़ताल को अविलंब समाप्त कराती। हड़ताली शिक्षक इस मसले पर लगातार सरकार और उसके आलाअधिकारियों के संज्ञान में दे रहे हैं। लेकिन सरकार इस मसले पर चुप्पी साधकर अपनी बेरुखी ही दर्शा रही है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य और टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय ने कहा कि सरकार को हड़ताली शिक्षकों के मसले पर संज्ञान लेते हुए संवेदनशीलता के साथ पहल करनी चाहिए। कोरोना संकट में सरकार द्वारा चलाये जा रहे आपदा और राहत अभियानों को मजबूती से जमीन पर लागू करने में शिक्षक समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करने को तैयार हैं।
उन्होनें कहा कि निर्वाचन, जनगणना, आपदा समेत सरकार के तमाम अभियानों की महत्वपूर्ण कड़ी नियोजित शिक्षक ही हुआ करते हैं। हड़ताली शिक्षकों से वार्ता कर हड़ताल समाप्त कराते हुए ही राज्य सरकार कोरोना के खिलाफ सघन कैंपेन की रणनीति बना सकती है।
संगठन के प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय, प्रदेश सचिव अमित कुमार, शाकिर ईमाम,नाजिर हुसैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष संजीत पटेल और प्रदेश मीडिया प्रभारी राहुल विकास ने कहा कि शिक्षा अधिकार कानून की धज्जियां उड़ाते हुए आरटीई के मापदंडों पर खड़े शिक्षकों के साथ भी सरकार उपेक्षापूर्ण व्यवहार उसके शिक्षाविरोधी मानसिकता को ही दर्शाता है। लोककल्याणकारी राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिक जवाबदेही है।
उन्होनें कहा कि सबके लिए बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेवारी को मुनाफाखोरों के हाथों में सौंपने के कारण ही कोरोना संकट में स्वास्थ्य संबंधी मसलों पर संकट दिख रहा है। आज अगर सरकारी अस्पताल और सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ज्यादा चाकचौबंद होते तो हम कोरोना के खिलाफ मजबूत स्थिति में होते। अभी भी वक्त है शिक्षा और स्वास्थ्य के पूर्ण सरकारीकरण की दिशा में सरकार सोचे। नियोजित शिक्षक कोरोना संकट के खिलाफ सरकार और जनता के साथ मजबूती से खड़े होने को दृढ़संकल्पित हैं।