Bihar weather : बिहार में बर्फीली हवाओं का असर बरकरार, तापमान में गिरावट से बढ़ी ठिठुरन पुलिस की चौकसी पर उठा सवाल: मुजफ्फरपुर में लग्जरी कार सवार बदमाशों का दुस्साहस देखिये, गैस कटर से SBI ATM काटकर 25 लाख उड़ाए तेजस राजधानी एक्सप्रेस में परोसा गया खराब खाना, यात्रियों का आरोप—शिकायत पर बोला स्टाफ “कंप्लेन कही भी कर लो कुछ नहीं होगा” अच्छी नौकरी करने वाली पत्नी को नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला जानिये कौन है प्रमोद निषाद?..जिसने 19 हजार फर्जी आधार कार्ड का पूरा नेटवर्क खड़ा कर दिया जमुई में महादलित युवक को नंगा करके पीटा, वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर किया वायरल IndiGo Flight News: इंडिगो की उड़ानों का रद्द होने का सिलसिला जारी, पटना से 8 फ्लाइट कल कैंसिल आय से अधिक संपत्ति मामला: AIG प्रशांत कुमार के खिलाफ दर्ज FIR रद्द, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी SVU आय से अधिक संपत्ति मामला: AIG प्रशांत कुमार के खिलाफ दर्ज FIR रद्द, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी SVU अगुवानी–सुल्तानगंज पुल का मुख्य सचिव ने किया निरीक्षण, मई 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य
01-May-2022 07:26 PM
By PRASHANT KUMAR
DARBHANGA: दरभंगा के ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी कैंपस में 26 अप्रैल को दावत-ए-इफ्तार का आयोजन हुआ था। जेडीयू नेता इंजम्मुल हक ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। सोशल मीडिया पर जब इफ्तार की तस्वीरें वायरल हुई तब इसे लेकर सियासत तेज हो गयी। बीजेपी विधायक संजय सरावगी इसके विरोध में खुलकर सामने आए।
संजय सरावगी ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि शिक्षा के केंद्र को धार्मिक स्थल बनाने की बात सही नहीं है। कुलपति और कुलसचिव पर निशाना साधते उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत वे राज्यपाल फागू चौहान से करेंगे।
मामला तूल पकड़ने के बाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने बताया कि दावत-ए-इफ्तार का आयोजन यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से नहीं की गयी थी। इसके आयोजन से यूनिवर्सिटी का कोई लेना देना तक नहीं है। कुछ छात्रों ने मिलकर इस दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया था। रजिस्ट्रार ने यह भी कहा कि गलत मानसिकता रखने वाले लोग इस तरह का आरोप लगा रहे हैं।
जबकि आयोजनकर्ता जेडीयू नेता इंजम्मुल हक का कहना था कि इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन को जानकारी दी जा चुकी थी। विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेश के बाद इफ्तार पार्टी का आयोजन हुआ था।
जिसमें कई नेताओं के साथ-साथ विश्वविद्यालय के कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हुए थे। बीजेपी नेता के सवाल पर जेडीयू नेता ने कहा कि इफ्तार के आयोजन पर सवाल उठाने वाले लोग समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। जबकि हम सभी धर्मो का सम्मान करते हैं।
वही बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री और जाले से भाजपा के विधायक जीवेश मिश्रा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे गलत करार दिया है। उन्होंने इसे वोट वैंक की राजनीति करार दिया है। जीवेश मिश्रा ने कहा कि शैक्षणिक संस्था पढ़ने-पढ़ाने के लिए है। अगर नमाज और हनुमान चालीसा का आयोजन शैक्षणिक संस्थानों में होता है तो फिर मस्जिद और मंदिर किस लिए बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर-मस्जिद के काम वहीं होने चाहिए किसी शैक्षणिक संस्थान या सड़क पर नहीं। उन्होंने कहा कि यह आम जन के मौलिक अधिकार का हनन है और सरकार के काम में बाधा है। उन्होंने कहा कि अजान को लेकर उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं है लेकिन लाउडस्पीकर को लेकर है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को रोकने का कानून बनाया है। इस पर अमल होना चाहिए।
मंत्री जीवेश मिश्रा ने हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नमाज और लाउडस्पीकर पर आए बयान के बारे में कहा कि मुख्यमंत्री भी एक दल के नेता हैं। अगर सीएम अपने दल के फोरम पर उसके हिसाब से बयान देते हैं तो उस पर वे कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार को इफ्तार से ज्यादा रफ्तार की जरूरत है। जीवेश मिश्रा ने कहा कि कुछ लोग वोट बैंक की राजनीति करने के लिए ऐसे काम करते हैं।
ललित नारायण मिथिला विवि परिसर में आयोजित दावत-ए-इफ्तार में शिरकत करने पहुंचे राजद के राष्ट्रीय महासचिव और बहादुरपुर के पूर्व विधायक भोला यादव ने कहा कि रमजान पाक महीना है और इसमें सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने और दावत-ए-इफ्तार में शामिल होने पर अमन-चैन और प्यार-मोहब्बत बढ़ता है। उन्होंने कहा कि कुछ सांप्रदायिक शक्तियां देश को गलत दिशा में ले जा रही हैं। उनसे लोगों के बच कर रहना चाहिए।
बता दें कि पिछले 26 अप्रैल को कुछ छात्रों की ओर से विवि परिसर में सामूहिक नमाज और दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया था। इसमें राजद और जदयू के नेता भी शामिल हुए थे। अब इसका वीडियो सामने आया है जिसको लेकर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है। इसके पहले भाजपा के नगर विधायक संजय सरावगी ने दरभंगा टावर चौक की सड़क पर अलविदा की नमाज पढ़े जाने को लेकर सवाल उठाया था और मस्जिदों पर से लाउडस्पीकर उतारने की मांग की थी।