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30-Apr-2024 03:08 PM
By First Bihar
PATNA : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को एक और बड़ा झटका लगा है। पूर्व सांसद राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से अपना नाता तोड़ लिया है। लालू की पार्टी राजद की प्राथमिक सदस्यता से रामा सिंह ने इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने अपना इस्तीफा राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भेज दिया है। राजद से अलग होने के बाद रामा सिंह अब चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को ज्वाइन करेंगे। बहुत जल्द ही चिराग पासवान रामा सिंह को एलजेपीआर की सदस्यता दिलाएंगे। बता दें कि रामा सिंह की पत्नी वीणा सिंह फिलहाल राजद की विधायक हैं।
बता दें कि राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह एक ऐसा बाहुबली नेता हैं जो पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। एक समय रामा सिंह रामविलास पासवान के काफी प्रिय हुआ करते थे। उन्हें रामविलास पासवान काफी मानते भी थे। रामा सिंह पहले एलजेपी में ही थे। बाद में उन्होंने लालू यादव की पार्टी को ज्वाइन कर ली थी।
90 के दशक में तेजी से उभरे रामा सिंह की दोस्ती बाहुबली अशोक सम्राट से थी। रामा सिंह का नाम कई आपराधिक मामलों में शामिल रहा है। वर्ष 2001 का जयचंद्र अपहरण केस, चंद्रमा सिंह मर्डर केस या फिर जमशेदपुर ट्रिपल मर्डर केस में रामा सिंह चर्चा में रहे हैं। कुछ दिन पहले लालू यादव ने रामा सिंह को फोन कर पटना में राबड़ी देवी के आवास पर बुलाया था। रामा सिंह को लगा कि लोकसभा चुनाव का टिकट और सिंबल देने के लिए शायद राजद सुप्रीमो बुलाए हैं।
राबडी आवास में जाते समय वह काफी खुश थे और मीडिया से बातचीत कर रहे थे। लेकिन जब राबडी आवास से बाहर निकले तो उनका चेहरा लटका हुआ था। जो सपना सजोकर रामा सिंह लालू यादव से मिलने गये थे, वह सपना पल भर में टूट गया। उन्हें सिंबल और टिकट नहीं दिया गया। तभी रामा सिंह ने मन बना लिया था कि जिस पार्टी ने उन्हें तबज्जो नहीं दिया वह उसके साथ नहीं रह सकते और आखिरकार वह दिन आज आ गया, जब रामा सिंह ने लालू की पार्टी छोड़ दी। रामा सिंह ने राजद छोड़कर चिराग पासवान की पार्टी लोजपा आर की सदस्यता ग्रहण करने का मन बना लिया है।
राजद से इस्तीफा देने के बाद रामा सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राजद के नीतियों से आहत होकर बहुत कम समय में ही हमको वहां से इस्तीफा देना पड़ा. राजद के विपरित 30 वर्षो तक राजनीति किया एमएलए और सांसद रहे हमने देखा कि एक नौजवान है नया चेहरा है बिहार के विकास की संभावना दिख रही थी लेकिन जाने के बाद कम समय में ही यह ऐहसास हमको हुआ कि यहां रहना ठीक नहीं है। कम समय में ही महसूस हुआ कि जहां विचारों में संकीर्णता आज वो किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए उचित नहीं है। राजद की पोलिसी हमारे विचारो से विपरित लगा। सबसे ज्यादा आहत इस बात से हुए कि किसी वर्ग विशेष को लक्ष्य करके राजनीति करे यह कही से भी उचित नहीं है इसलिए हमने राजद को छोड़ दिया। पहले भी लालू के जमाने में भूरा बाल साफ करो की बात होती थी।