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09-Sep-2021 09:36 PM
By FIRST BIHAR EXCLUSIVE
PATNA: आपके जेहन से वह नजारा नहीं उतरा होगा जब चिराग पासवान दिल्ली में पशुपति पारस के घर के गेट के बाहर खडे होकर गेट खुलने का इंतजार कर रहे थे। आधे घंटे बाद बाहर का फाटक खुला लेकिन अंदर घर का दरवाजा बंद था। उसे खुलवाने में भी काफी देर लगा। फिर चिराग पासवान घर के अंदर गये तो वहां उनसे बात करने वाला कोई नहीं था। चिराग औऱ उनकी मां थक कर हार गये लेकिन पशुपति पारस उन दोनों से नहीं मिले। लेकिन अब बडी खबर सामने आ रही है. एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गये चाचा-भतीजे की मुलाकात होने जा रही है।
12 सितंबर को चिराग औऱ पारस की मुलाकात होगी
ये पिछले 14 जून का वाकया है जब पशुपति पारस ने अपने भतीजे को किनारे लगाने के प्लान पर अमल किया था. पारस के नेतृत्व में लोजपा के पांच सांसद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला से मिले थे औऱ उसके बाद ये नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था पारस लोजपा संसदीय दल के नेता होंगे. उसके अगले दिन ही चाचा को मनाने चिराग पासवान उनके घर पहुंच गये थे. लेकिन चाचा ने बात औऱ मुलाकात करने से साफ मना कर दिया था. बाद में पारस ने पार्टी की बैठक कर खुद को लोजपा का अध्यक्ष घोषित कर लिया. उसके बाद केंद्र सरकार में उन्हें मंत्री पद से भी नवाज दिया गया.
14 जून के बाद अब तक पशुपति पारस औऱ चिराग पासवान में कोई मुलाकात नहीं हुई. इस बीच संसद का सत्र भी चला. वहां चिराग पासवान भी पहुंचते थे लेकिन पारस उनके चेहरे पर भी नहीं देखते थे. पशुपति पारस ने तो चिराग पासवान और उनके समर्थकों पर अपनी हत्या का साजिश रचने तक का आरोप लगा दिया था.
रामविलास पासवान की बरसी में होगी मुलाकात
लेकिन अब चाचा और भतीजे की मुलाकात होगी. 12 सितंबर को पटना में रामविलास पासवान की बरसी है. चिराग पासवान बरसी का आय़ोजन कर रहे हैं. उन्होंने कार्ड पर अपने चाचा पशुपति पारस औऱ चचेरे भाई प्रिंस राज का नाम भी दिया है. बुधवार को पटना में चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस के घर भी हो आये थे. वहां पारस तो नहीं मिले लेकिन उनके दामाद को बरसी का कार्ड देकर चिराग वापस लौट आये.
अब पशुपति कुमार पारस ने रामविलास पासवान की बरसी में शामिल होने का फैसला लिया है. लोजपा (पारस गुट) के कोषाध्यक्ष सुनील सिन्हा ने बताया कि पशुपति कुमार पारस 12 सितंबर को स्व. रामविलास पासवान की बरसी में शामिल होंगे. उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को इसकी जानकारी दे दी है. सुनील सिन्हा ने कहा कि पशुपति पारस अपने बड़े भाई स्व. रामविलास पासवान को भगवान की तरह मानते थे. उनकी बरसी में नहीं शामिल होने का सवाल ही कहां उठता है. लेकिन इसमें कोई पॉलिटिक्स नहीं देखा जाना चाहिये. पारस भी अपने बड़े भाई को श्रद्धांजलि देने आयेंगे. चिराग पासवान से भी उनकी कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. चिराग जिस तरीके से पार्टी चलाने की कोशिश कर रहे थे, उसके कारण पशुपति कुमार पारस को फैसला लेना पड़ा. उन पर स्व. रामविलास पासवान के समर्थकों का दबाव था इसलिए उन्होंने पार्टी की कमान संभाली.
क्या बनेगी बात
सवाल ये उठ रहा है कि चाचा-भतीजे में जब मुलाकात होगी तो क्या बात भी बनेगी. जानकार बताते हैं कि इसकी गुंजाइश ही नहीं है. दोनों अब उस राह पर हैं जो आपस में कभी मिल नहीं सकती. पशुपति पारस अगर रामविलास पासवान की बरसी में शामिल हो रहे हैं तो इसका मकसद भी साफ है. अगर वे अपने बडे भाई की बरसी में शामिल नहीं होते तो लोगों के बीच काफी गलत मैसेज जाता. जबकि पारस अपने बडे भाई की सियासी जमीन को अपने अधिकार में रखने की लडाई लड़ रहे हैं. लिहाजा उन्होंने चिराग पासवान द्वारा आयोजित बरसी में शामिल होने का फैसला लिया है.