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13-Jan-2023 04:14 PM
PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार चौथी दफे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से गायब रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बिहार के मुख्यमंत्री को जुड़ना था लेकिन नीतीश गायब रहे. नीतीश ने अपनी जगह तेजस्वी को भेज दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस तरह प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से आंख मिलाने से भाग रहे हैं उससे बिहार को भारी नुकसान होने की आशंका खड़ी हो गयी है. बीजेपी की सबसे बड़ी विरोधी माने जाने वाली ममता बनर्जी जैसी मुख्यमंत्री भी अपने राज्य की मांग के लिए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से मिल रही हैं लेकिन बिहार के सीएम नजर मिलाने से भी बच रहे हैं.
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से नीतीश गायब
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडिया कांफ्रेंसिंग के जरिये उत्तर प्रदेश के वाराणसी से गंगा विलास क्रूज को रवाना किया. ये क्रूज 51 दिनों में भारत के पांच राज्यों के साथ साथ बांग्लादेश से गुजरेगा. क्रूज जिस राज्य में पहुंचेगा, उसके यात्रियों को उस राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों का दौरा कराया जायेगा. गंगा विलास क्रूज बिहार बक्सर, छपरा, पटना, सिमरिया घाट, मुंगेर, सुल्तानगंज और कहलगांव में रूकेगा.
क्रूज पर सवार सैलानियों को बिहार के ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानकारी देनी है. इसके लिए हर जिले में दो-दो नॉडल आफिसर बनाये गये हैं. चूकि क्रूज के सफर में बिहार अहम राज्य है लिहाजा बिहार के मुख्यमंत्री को इसके उद्घाटन कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जुड़ने का न्योता दिया गया था. लेकिन नीतीश गायब रहे.
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से हर बार गायब रह रहे नीतीश
ये पहला मौका नहीं है जब नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से गायब रहे. पिछले साल अगस्त में पाला बदलने के बाद नीतीश कुमार प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह औऱ दूसरे केंद्रीय मंत्रियों से मिलने से दूर भाग रहे हैं. पिछले 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पूर्वोत्तर राज्यो के मुख्यमंत्रियों को बुलाया था. नीतीश कुमार ने वहां जाने के बजाय तेजस्वी यादव को भेज दिया था.
इससे पहले जी-20 को लेकर प्रधानमंत्री की बैठक से भी नीतीश कुमार गायब रहे थे. सिर्फ पीएम की बैठक से ही नहीं दूसरी अहम बैठकों से भी नीतीश गायब रह हैं. कोलकाता में ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई थी. उसमें ममता बनर्जी से लेकर हेमंत सोरेन मौजूद थे लेकिन नीतीश कुमार नहीं गये. पूर्वोत्तर राज्यों की बैठक में पड़ोसी राज्यों के बीच विवादों का हल निकालने के साथ साथ आपसी तालमेल की रणनीति तैयार होती है. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री को इससे वास्ता नहीं था.
बिहार को नुकसान की आशंका
पिछले 6 महीने से नीतीश कुमार केंद्र सरकार से नजरें नही मिला रहे हैं. ऐसे में बिहार को नुकसान की आशंका बढ़ती जा रही है. दरअसल राज्यों के केंद्र सरकार के साथ ऐसे कई मांमले होते हैं जिसमें सीधे मुख्यमंत्री की भूमिका जरूरी होती है. राज्यों को केंद्र सरकार से मदद के लिए भी मुख्यमंत्री को ही पहल करनी होती है. तभी देश में बीजेपी की सबसे कट्टर विरोधी माने जाने वाली ममता बनर्जी भी प्रधानमंत्री से मिलने जाती हैं. बीजेपी के बड़े विरोधी माने वाले स्टालिन से लेकर के. चंद्रशेखर राव जैसे मुख्यमंत्री भी प्रधानमंत्री के पास अपनी बात कहते हैं. एक बड़े अधिकारी ने फर्स्ट बिहार से बात करते हुए कहा कि दिल्ली में पावर तो प्रधानमंत्री के पास ही होता है. अब राज्यों को अपनी जरूरतों को पूरा कराना होता है तो वे प्रधानमंत्री के पास ही मांग रखते हैं. जाहिर तौर पर प्रधानमंत्री किसी राज्य के मंत्री से बात करेंगे नहीं. वे मुख्यमंत्री की बात ही गंभीरता से सुनेंगे. अब बिहार जैसे पिछड़े राज्य जिसे केंद्र से ज्यादा मदद की जरूरत है उसके मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री औऱ गृहमंत्री से नहीं मिलना नुकसान ही पहुंचायेगा. बिहार की कई जायज मांग भी अटकेगी.