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11-Jun-2020 11:59 AM
DELHI : कोरोना कल में जब देश महामारी के गंभीर संकट से लड़ रहा है, तो वहीं इस संकट की घड़ी में भी कुछ लोग इसे पैसे कमाने का जरिया बना रहे हैं. सरकार ने कुछ दिनों पहले ही कोरोना जांच के लिए कुछ प्राइवेट लैब को अधिकृत किया था. पर ये प्राइवेट लैब ICMR के तमाम गाइडलाइंस को दरकिनार करते हुए गलत तरीके से सैंपल इकट्ठा कर मरीजों के जान को खतरे में डाल कर पैसे कमाने में लगे हुए हैं. ऐसा ही एक गंभीर मामला नोएडा में सामने आया है.
यहां एक लैब ने चंद रुपयों की खातिर लोगों के कोरोना टेस्ट रिपोर्ट को पॉजिटिव बताया दिया. इस लैब ने 20 से ज्यादा लोगों की रिपोर्ट को पॉजिटिव बताया जिन्हें हल्के बुखार, खांसी और ज़ुखाम की शिकायत थी. ये सभी इलाज के लिए अपने-अपने घरों के नजदीक प्राइवेट डॉक्टर्स के पास गए जहां इन्हें कोरोना का शक बताकर टेस्ट की सलाह दी गई. इन लोगों ने प्राइवेट लैब में कोरोना टेस्ट करवाया. कुछ लोगों के घर जाकर ही सैंपल इकट्ठा किए गए.
टेस्ट रिपोर्ट जब सामने आई तो पता चला कि सभी की रिपोर्ट पॉजिटिव है. इसके बाद इन लोगों को सरकार द्वारा तैयार किए गए ग्रेटर नोएडा शारदा अस्पताल के कोविड आइसोलेशन वार्ड में अन्य कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ रखा गया. यहां इनकी दोबारा जांच की गई. हैरानी की बात ये है कि करीब 20 से ज्यादा लोगों की रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव आई, जिससे नोएडा प्रशासन में हड़कंप मच गया.
जब इस पुरे मामले की तफ्तीश की गई तो पता चला कि कुछ प्राइवेट लैब के कर्मचारी लोगों के घर जाकर गलत तरीके से सैंपल इकट्ठा कर रहे थे. उन्होंने सैंपल का टेम्परेचर मेंटेन नहीं किया, जिससे गलत रिपोर्ट आई. यानी जो लोग कोरोना नेगेटिव थे उन्हें पॉजिटिव बता दिया गया. ऐसी 6 लैब्स की जानकारी नोएडा प्रशासन को अब तक मिली है जिनके खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाएगी. इनमें से एक लैब के खिलाफ तो मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है.
दरअसल, ये सभी पैथ लैब दिल्ली और गुरुग्राम के अलग-अलग इलाकों में स्थित हैं. इनके कर्मचारी मोटरसाइकिल से लोगों के घर जाकर सैंपल इकट्ठा करते हैं. एक टेस्ट की कीमत 4,000 रुपये से 5,000 हजार रुपये तक वसूली जाती है. ये लैब मोटी रकम लेने के बावजूद लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. जांच में ये भी पाया गया कि इन प्राइवेट लैब्स ने ICMR की गाइडलाइंस का उलंघन भी किया है. इनमें से कुछ लैब ऐसी हैं जिनके पास कोविड-19 टेस्ट की परमीशन नहीं थी. बावजूद इसके कमाई के लिए लोगों के सैंपल इकट्ठा कर उन्हें गलत रिपोर्ट देकर उनकी जान जोखिम में डाल रहे थे.