Shashi Tharoor: अमेरिका में बैठ थरूर की पाकिस्तान को चेतावनी, बोले "धैर्य की परीक्षा ली तो अगली बार अंजाम होगा और भी भयानक" Bihar News: राजगीर पुलिस अकादमी का होगा विस्तार, इन सुविधाओं पर खर्च किए जाएंगे करोड़ों Bihar Weather: अगले 4 दिन उमस भरी गर्मी करेगी परेशान, इन जिलों में छिटपुट बारिश संभव प्रशांत किशोर का राहुल गांधी पर हमला: "रेवंत रेड्डी के बयान पर स्पष्ट करें अपनी स्थिति, बिहारियों का अपमान बर्दाश्त नहीं" जेपी सेतु पर बड़ा हादसा: टक्कर के बाद कार और वैन में लगी आग, दोनों गाड़ियां जलकर खाक पेट्रोल पंप कर्मी की ईमानदारी बनी मिसाल: बाइक सवार का 5 लाख रुपए से भरा बैग पुलिस को लौटाया पर्यावरण दिवस पर भाजपा नेता अजय सिंह ने किया वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण का लिया संकल्प विश्व पर्यावरण दिवस पर संजीव मिश्रा ने की लोगों से अपील, कहा..बर्थडे और मैरिज एनिवर्सरी पर लगाये पौधे बिहार के भाजपा नेता के बयान से भड़के राहुल गांधी, कहा..क्या ऐसे लोग महिलाओं की सुरक्षा करेंगे? Bihar News: तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने ट्रक में मारी जोरदार टक्कर, 6 लोग बुरी तरह से घायल
03-Aug-2023 11:14 AM
By First Bihar
KHAGARIA: बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक आए दिन नया फरमान जारी कर रहे हैं। इसके बावजूद स्कूलों की स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। बिहार के खगड़िया जिले में एक स्कूल में बच्चों को बैठने के लिए बेंच तक नहीं है। जिसके कारण बच्चे फर्श पर बैठक पढाई करने को विवश है। वही यहां की मैडम पढ़ाने के बजाय क्लास रूम में अपना बच्चा खिलाती है।
हम बात खगड़िया के एक सरकारी स्कूल की कर रहे हैं जहां बच्चे झुग्गी-झोपड़ी में फर्श पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है। जिसका जीता जागता उदाहरण खगड़िया बेला सिमरी मध्य विद्यालय की तस्वीर यह बयां कर रही है। विद्यालय में भवन जर्जर है जिससे बच्चों को हमेशा यह डर सताते रहता है कि कही कोई अप्रिय घटना ना हो जाए। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक भले ही बच्चों के पठन-पाठन के लिए कई तरह की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे है। आधुनिक तौर तरीके से बच्चों को शिक्षा देने की बात कर रहे हैं।
लेकिन खगड़िया के सिमरी मध्य विद्यालय में ना तो ब्लैक बोर्ड है और ना ही बच्चों के बैठने के लिए बेंच ही है। स्कूल का भवन भी खंडहर में तब्दील हो चुका है। जो कभी भी गिर सकता है। शिक्षक पढ़ाने के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्त्ति करते हैं। वहीं बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं। शिक्षा विभाग की नजर इस विद्यालय पर नहीं है। विद्यालय के छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। विद्यालय की एक शिक्षिका अपने साथ बच्चे को स्कूल में लेकर आती है। जिसे खुद भी खेलाती है और बच्चों को भी खेलाने के लिए देती है। बच्चे विद्यालय पढ़ने आते हैं ना कि मैडम के बच्चे को संभालने। अब देखना यह होगा कि बच्चों की समस्याओं का निदान कब तक निकल पाता है।