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22-Jun-2020 06:59 PM
PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री और JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार अपनी सहयोगी पार्टी LJP और उसके मुखिया चिराग पासवान को निपटाना चाहते हैं. ठीक उसी तर्ज पर जैसे लोकसभा चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा को निपटाया गया था. अंदरखाने से जो खबर मिल रही है वो ये है कि अगर बीजेपी ने चिराग पासवान का साथ दिया तो ठीक वर्ना नीतीश की तैयारी पूरी है. आज जब जीतन राम मांझी ने कहा कि वे महागठबंधन से अलग होने का फैसला ले सकते हैं तो जेडीयू के नेताओं ने जिस तरह बढ़ चढ कर उनका स्वागत किया वह चिराग पासवान को निपटाने की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है.
चिराग की लौ बुझाने पर आमदा हैं नीतीश कुमार
बिहार के जेडीयू के एक सीनियर नेता के मुताबिक नीतीश कुमार चिराग पासवान से भारी नाराज हैं. नाराजगी का आलम ये है कि नीतीश चिराग पासवान का नाम सुनने को भी तैयार नहीं हैं. जेडीयू नेता के मुताबिक कुछ दिनों पहले नीतीश के किचेन कैबिनेट के एक मेंबर ने मुख्यमंत्री के सामने चिराग पासवान का जिक्र कर दिया. नीतीश ने उन्हें बुरी तरह से झिड़क दिया.
दरअसल जेडीयू में उपर से लेकर नीचे तक हर नेता ये जान रहा है कि चिराग पासवान को लेकर नीतीश किस कदर नाराज हैं. लोक जनशक्ति पार्टी के भी नेताओं को इसकी जानकारी है कि नीतीश कुमार LJP का नाम सुनने तक को तैयार नहीं हैं. आइये हम आपको विस्तार से समझाते हैं कि आखिरकार जेडीयू और एलजेपी के बीच खेल क्या चल रहा है.
मांझी के लिए रेड कार्पेट बिछाने का मतलब समझिये
दरअसल आज ही बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि महागठबंधन में आरजेडी उनकी बात नहीं सुन रही है. लिहाजा वे 26 जून को बड़ा फैसला ले सकते हैं. मांझी की इस घोषणा के कुछ मिनट भी नहीं बीते थे कि जेडीयू के नेताओं ने उनके स्वागत में बयानों की झडी लगा दी. मांझी का स्वागत करने वालों में वैसे भी नेता शामिल हैं जो नीतीश के मौजूदा किचन कैबिनेट के मेंबर माने जाते हैं.
मांझी के मामले को ठीक से समझिये. नीतीश कुमार जानते हैं कि जीतन राम मांझी बिहार की सियायत में अप्रासंगिक हो चुके हैं. 2015 से लेकर अब तक के सारे चुनाव-उप चुनाव में मांझी की पार्टी बेहद बुरी हालत हुई है. यानि उनके पास कोई वोट बैंक नहीं बचा. लालू-तेजस्वी मांझी से मिलने तक को तैयार नहीं हैं. फिर भी नीतीश कुमार की पार्टी उनके लिए रेड कार्पेट बिछा रही है.
जेडीयू सूत्रों की मानें तो मामला चिराग पासवान से ही जुड़ा है. चिराग पासवान की काट में नीतीश कुमार जीतन राम मांझी को दलित नेता के तौर पर पेश करना चाहते हैं. लिहाजा 2014 में उन्हें मुख्यमंत्री बना कर बुरी तरह फंसने वाले नीतीश उन्हें फिर से गले लगाने को तैयार हैं. जानकार ये भी दावा कर रहे हैं कि जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार में अक्सर टेलीफोन पर बातचीत भी हो रही है.
RCP सिंह और केसी त्यागी के बयानों से भी मिला था स्पष्ट संकेत
तकरीबन दो सप्ताह पहले का वाकया है जब नीतीश कुमार अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संवाद कर रहे थे. नीतीश कुमार के सामने ही उनके खास सिपाहसलार आरसीपी सिंह ने कहा जेडीयू के शेखपुरा-जमुई के कार्यकर्ताओं को बताया कि जिन्हें हमने सांसद बनाया वे एमपी बनने के बाद हमारे खिलाफ ही बोल रहे हैं. आरसीपी सीधे तौर पर चिराग पासवान का जिक्र कर रहे थे वो भी नीतीश कुमार के सामने. उससे पहले जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने मीडिया में आकर चिराग पासवान को जुबान संभाल कर बोलने की नसीहत दी थी.
4 महीने से नीतीश की चिराग-रामविलास से कोई बात नहीं
सियासी जानकार बता रहे हैं कि पिछले चार महीने से नीतीश कुमार ने चिराग पासवान या रामविलास पासवान से कोई बात नहीं है. बिहार में जब कोरोना संकट शुरू हुआ तो नीतीश कुमार ने अपनी सहयोगी पार्टी बीजेपी के विधायकों-नेताओं के साथ बकायदा वीडियो कांफ्रेंसिंग की लेकिन LJP को कोई नोटिस ही नहीं लिया गया. पिछले चार महीनों में चिराग पासवान ने अलग-अलग मुद्दों पर नीतीश कुमार को कई पत्र भी लिखे लेकिन नीतीश कुमार या उनकी सरकार ने कोई नोटिस नहीं लिया. नियोजित शिक्षकों की हड़ताल, दरोगा अभ्यर्थियों के आंदोलन, कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच प्रवासियों की समस्या जैसे कई मसलों पर चिराग पासवान को खुला पत्र लिखना पड़ा लेकिन नीतीश कुमार ने उनका कोई संज्ञान नहीं लिया.
रामविलास पासवान पर निशाना साधा गया
जेडीयू के एक नेता ने एक बेहद दिलचस्प किस्सा बताया. उनके मुताबिक कोरोना संकट के दौरान नीतीश कुमार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अपने मंत्रियों से बात कर रहे थे. उनके एक मंत्री ने उसके दौरान बताया कि विभाग के सचिव काम नहीं कर रहे हैं. उनकी लापरवाही के कारण केंद्र सरकार से गरीबों के लिए अनाज नहीं मिल पा रहा है. वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान ही मंत्री महोदय को सीएम की कड़ी फटकार सुननी पड़ी. अगले दिन अखबारों में मंत्री जी का बड़ा बयान छपा जिसमें बिहार के गरीबों को अनाज नहीं मिलने के लिए केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को जिम्मेवार ठहराया गया था.
चिराग को निपटाने पर क्यों आमदा हैं नीतीश
दरअसल ऐसे कई वाकये हैं जिनके आधार पर ये चर्चा हो रही है कि नीतीश कुमार चिराग पासवान को निपटाने की कवायद में लगे हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि आखिरकार नीतीश की नाराजगी का कारण क्या है. सियासी जानकार बताते हैं कि वैसे तो काफी पहले से ही नीतीश कुमार चिराग पासवान की बढ़ती महत्वाकांक्षा से नाराज थे. लेकिन नाराजगी तब बढ़ी जब चिराग पासवान बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट यात्रा पर निकले. इस दौरान चिराग ने नीतीश के कानून के राज से लेकर स्वास्थ्य सुविधा और दूसरे सरकारी कामकाज पर बेहद तल्ख टिप्पणियां की.
सियासी जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार अपनी आलोचना करने वालों को बर्दाश्त करने में यकीन नहीं रखते. बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट यात्रा के दौरान चिराग पासवान के बयानों से नीतीश कुमार बुरी तरह नाराज हुए. लेकिन नाराजगी तब चरम पर पहुंच गयी जब चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानने से ही इंकार कर दिया. दरअसल चिराग पासवान ने बयान दे दिया कि वे उसे मुख्यमंत्री मानेंगे जिसे बीजेपी मुख्यमंत्री बनायेगी. चिराग के इस बयान से बिहार की सियासत में उथल-पुथल मचा दिया था. नीतीश कुमार सबसे ज्यादा इसी बयान पर भड़के हैं.
चिराग के फेरे में बिहार में सीट बंटवारा फंसा
दरअसल जानकारों की मानें तो बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-जेडीयू में सीटों के तालमेल में चिराग पासवान का मसला ही सबसे बड़ा बाधा बन कर सामने खड़ा है. दोनों पार्टियों में पहली दौर की बातचीत हुई है. जानकार सूत्र बता रहे हैं कि इस बातचीत में नीतीश कुमार की ओर से ऑफर दिया गया है कि बिहार विधानसभा की सीटों को बीजेपी-जेडीयू आपस में आधा-आधा बांट ले. फिर अपने हिस्से में से बीजेपी जितनी मर्जी उतनी सीट चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी के लिए छोड़े.
नीतीश कुमार की ओर से मांझी को अपने खेमे में लाने की कवायद भी इसी रणनीति का एक हिस्सा है. दरअसल नीतीश की ओर से बीजेपी को ये कहा जा रहा है कि बीजेपी अपने हिस्से में चिराग को सीट दे, जेडीयू अपने हिस्से में से मांझी की पार्टी हम को सीट देगी. वैसे मांझी ने अब तक नीतीश के साथ जाने का एलान नहीं किया है लेकिन जेडीयू के अंदरखाने की चर्चा ये है कि मांझी के जल्द ही पाला बदलेंगे. तभी जेडीयू-बीजेपी के बीच सीटों के बंटवारे पर फाइनल चर्चा होगी.
चिराग के चक्कर में ही लटका है MLC मनोनयन का मामला
जानकार बता रहे हैं कि लोक जनशक्ति पार्टी और चिराग पासवान के चक्कर में ही 12 विधान पार्षदों के मनोनयन का मामला लटका है. पिछले महीने ही राज्यपाल कोटे से मनोनीत हुए विधान पार्षद रिटायर कर चुके हैं. उन 12 सीटों पर मनोनयन में कोई बाधा नहीं है. राज्यपाल अपने ही गठबंधन के हैं, केंद्र में अपने गठबंधन की सरकार है. लिहाजा नीतीश जब चाहें तब मनोनयन कर सकते हैं. लेकिन नीतीश कुमार इसकी कोई पहल नहीं कर रहे हैं.
जानकारों की मानें तो अभी मनोनयन की पहल हुई तो नीतीश कुमार पर लोक जनशक्ति पार्टी को एक सीट देने का दबाव होगा. लेकिन नीतीश इसके लिए राजी नहीं है. वे पहले बीजेपी से ठोस बातचीत कर लेना चाहते हैं. लिहाजा राज्यपाल कोटे से मनोनयन को होल्ड पर रखा गया है.
चिराग पासवान को निपटाने की नीतीश की रणनीति कितनी सफल होगी ये देखने की बात होगी. हालांकि बिहार का सियासी इतिहास यही बताता है कि पिछले 15 सालों में नीतीश ने अपने जिस सहयोगी को चाहा उसे निपटा दिया. लेकिन चिराग के मामले में बहुत कुछ बीजेपी पर निर्भर कर रहा है. बीजेपी ने अगर चिराग के लिए स्टैंड लिया तो नीतीश के लिए अपनी रणनीति को अमल में लाना आसान नहीं होगा.