ब्रेकिंग न्यूज़

Dhurandhar OTT Release: थिएटर के बाद ओटीटी पर रिलीज के लिए तैयार है ‘धुरंधर’, जान लें डेट CLAT 2026 Topper: यशवर्धन ने CLAT 2026 में लहराया परचम, लॉ प्रेप से की थी तैयारी; ऑल इंडिया में 26वां रैंक किया हासिल Bihar Midday meal : कन्या विद्यालय में परोसा जा रहा खराब मिड डे मिल, छात्राओं ने की शिकायत; सोयाबीन के दर्शन तक दुर्लभ Bihar Bhumi: बेतिया राज की जमीन खाली कराने की तैयारी तेज, 32 हजार से अधिक कब्जाधारियों की सूची जारी Patna real estate : पटना में जमीन खरीदना ‘चाँद उतारने’ जैसा, बोरिंग रोड–अटल पथ साइड 6 करोड़ रुपये प्रति कट्ठा सरकारी रेट Bihar News: बिहार में शराबबंदी की खुली पोल, नशे में धूत होकर दो युवकों ने की मारपीट; घायल को कंधा देती दिखी पुलिस Patna Road Accident: पटना में तेज रफ्तार का कहर, हाईवे वाहन ने महिला को कुचला; मौके पर मौत Bhupesh Baghel : 'ये नितिन क्या कर लेगा, पहले भी एक नितिन आया था ..', 'नितिन' की नियुक्ति पर कांग्रेस नेता व पूर्व CM बघेल की बदजुबानी.... Bihar Health Department: बिहार में डॉक्टरों की प्रोन्नति का बड़ा फैसला, अब ACP और DACP लागू; जानें पूरी खबर Bihar Panchayat Election 2026 : बिहार पंचायत चुनाव 2026: बदलेगा आरक्षण रोस्टर, महिलाओं की बढ़ेगी भूमिका और तकनीक से होगी सख्ती

चंपाई दा आप टाईगर थें, टाईगर हैं और टाईगर ही रहेंगें, मांझी ने NDA में किया स्वागत

चंपाई दा आप टाईगर थें, टाईगर हैं और टाईगर ही रहेंगें, मांझी ने NDA में किया स्वागत

18-Aug-2024 10:37 PM

By First Bihar

PATNA: केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट करते हुए झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरन का NDA परिवार में स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जोहार टाईगर..चंपाई दा आप टाईगर थें, टाईगर हैं और टाईगर ही रहेंगें। 


मांझी ने आगे कहा कि चंपाई दा NDA परिवार में आपका स्वागत है। बता दें कि जेएमएम नेता चंपाई सोरेन बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इस बात की संभावना जतायी जा रही है। चंपाई सोरेन ने आज एक्स पर जो पोस्ट किया उसे पढ़कर तो यही संकेत मिल रहा हैं कि कोल्हान का टाइगर कभी भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने चंपाई सोरेन का एनडीए में स्वागत किया है। हालांकि इन अटकलों पर कब तक विराम लगेगी यह देखने वाली बात होगी। लेकिन चंपाई सोरेन के पोस्ट के बाद झारखंड की राजनीति गरमाई हुई है। 


बता दें कि चंपाई सोरेन ने आज सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा किया. उन्होंने कहा-सत्ता के लिए हेमंत सोरने मेरा इतना अपमान किया, जिसकी मैंने कल्पना तक नहीं की थी. मुझे इतना अपमान और तिरस्कार झेलना पड़ा कि मैं अंदर से टूट गया. चार दशकों की राजनीति में मैंने ऐसा अपमान कभी नहीं झेला था. लिहाजा अब मैंने फैसला लेने का मन बना लिया है.


क्यों आयी ऐसी परिस्थिति?

सोशल मीडिया पर लिखे गये अपने पोस्ट में चंपाई सोरेन ने लिखा है- “आज समाचार देखने के बाद, आप सभी के मन में कई सवाल उमड़ रहे होंगे. आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया. अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है. राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों एवं पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं. किसी भी पद पर रहा अथवा नहीं, लेकिन हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा, उन लोगों के मुद्दे उठाता रहा, जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ, अपने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे.”


सीएम बनकर सेवा की

चंपाई सोरेन ने लिखा है- “31 जनवरी को, एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के बाद, इंडिया गठबंधन ने मुझे झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की सेवा करने के लिए चुना. अपने कार्यकाल के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन (3 जुलाई) तक, मैंने पूरी निष्ठा एवं समर्पण के साथ राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया. इस दौरान हमने जनहित में कई फैसले लिए और हमेशा की तरह, हर किसी के लिए सदैव उपलब्ध रहा. बड़े-बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों एवं समाज के हर तबके तथा राज्य के हर व्यक्ति को ध्यान में रखते हुए हमने जो निर्णय लिए, उसका मूल्यांकन राज्य की जनता करेगी.”


मैंने गलत नहीं होने दिया

चंपाई सोरेन ने लिखा है-“जब सत्ता मिली, तब बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे वीरों को नमन कर राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया था. झारखंड का बच्चा- बच्चा जनता है कि अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने कभी भी, किसी के साथ ना गलत किया, ना होने दिया.”


हेमंत सोरेन ने सत्ता के लिए अपमानित किया

चंपाई सोरेन ने लिखा है- “CM के तौर पर काम करते हुए हूल दिवस के अगले दिन, मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है. इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था. पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते.”


मुख्यमंत्री पद का मजाक बना दिया गया

चंपाई सोरेन ने लिखा है-“क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा. लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया.”


इतना अपमान कभी नहीं झेला

चंपाई सोरेन ने लिखा है कि पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में, मैं पहली बार, भीतर से टूट गया. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। दो दिन तक, चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा. सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता?


हेमंत सोरेन को सिर्फ सत्ता चाहिये

चंपाई सोरेन ने लिखा है-जब वर्षों से पार्टी के केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक नहीं हो रही है, और एकतरफा आदेश पारित किए जाते हैं, तो फिर किस से पास जाकर अपनी तकलीफ बताता? इस पार्टी में मेरी गिनती वरिष्ठ सदस्यों में होती है, बाकी लोग जूनियर हैं, और मुझ से सीनियर सुप्रीमो जो हैं, वे अब स्वास्थ्य की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, फिर मेरे पास क्या विकल्प था? अगर वे सक्रिय होते, तो शायद अलग हालात होते.


चंपाई सोरेन ने लिखा है कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था. बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया. मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था. पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था. मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता.


विकल्प तलाशने को मजबूर हुआ

चंपाई सोरेन ने कहा है कि इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया.  मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि - "आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है." इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना. उस दिन से लेकर आज तक, तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं.


किसी और को साथ लेकर नहीं जाऊंगा

चंपाई सोरेन ने कहा कि  यह मेरा निजी संघर्ष है इसलिए इसमें पार्टी के किसी सदस्य को शामिल करने अथवा संगठन को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने का मेरा कोई इरादा नहीं है. जिस पार्टी को हमने अपने खून-पसीने से सींचा है, उसका नुकसान करने के बारे में तो कभी सोच भी नहीं सकते. लेकिन, हालात ऐसे बना दिए गए हैं कि...