ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Election 2025: ‘लालू का अपना इतिहास रहा है, वह खुद सजायप्ता हैं’ रीतलाल यादव के लिए रोड शो करने बर बोले दिलीप जायसवाल Bihar Election 2025: ‘लालू का अपना इतिहास रहा है, वह खुद सजायप्ता हैं’ रीतलाल यादव के लिए रोड शो करने बर बोले दिलीप जायसवाल Bihar Election 2025 : पहले चरण के चुनाव प्रचार के आखिर दिन अमित शाह के बड़े वादे,कहा - डिफेंस कॉरिडोर, नई रेललाइन और रामायण सर्किट से बदलेगा बिहार का भविष्य Bihar Election 2025: ‘महाठगबंधन के आधे लोग जेल में हैं, आधे बेल पर’, शिवराज सिंह चौहान का बड़ा हमला Bihar Election 2025: ‘महाठगबंधन के आधे लोग जेल में हैं, आधे बेल पर’, शिवराज सिंह चौहान का बड़ा हमला Success Story: “एक दिन तू अफसर बनेगी…”, 5 साल की उम्र में माता-पिता को खोया, फिर भी नहीं मानी हार; कड़ी मेहनत से बनीं IPS अधिकारी Bihar road accident : बिहार के रोहतास में दर्दनाक सड़क हादसा, ट्रेनी सिपाही और पिता की मौत Hak Movie 2025: कानूनी पचड़े में फंसी इमरान हाशमी और यामी गौतम की फिल्म ‘हक’, कोर्ट पहुंचा शाह बानो का परिवार Bihar Assembly Election 2025 : जानिए आज शाम 5 बजे से किन चीजों पर लग जाएगी रोक, साइलेंस पीरियड लागू होने के बाद आयोग इन चीजों पर रखती हैं सख्त निगरानी Patna News: PMCH में नए चर्म रोग और मेडिसिन वार्ड का उद्घाटन, मरीजों को मिलेगी आधुनिक सुविधाएं

CAG की रिपोर्ट में हुआ खुलासा: 5 साल में 3% लोगों को ही मिला मनरेगा का काम

CAG की रिपोर्ट में हुआ खुलासा: 5 साल में 3% लोगों को ही मिला मनरेगा का काम

29-Jul-2021 07:23 PM

 PATNA: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने नीतीश सरकार की पोल खोलकर रख दिया है। बिहार विधानसभा पटल पर रखे गए CAG रिपोर्ट से कई खुलासे हुए हैं। CAG ने वित्तीय वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट में कई विभागों में अनियमितता को दर्शाया है। CAG की रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2019 के बीच 26 से 36 फीसदी लोगों ने मनरेगा के लिए काम मांगा था लेकिन महज 3 % मनरेगा मजदूरों को 100 दिन का रोजगार मिला है।


महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का मुख्य उद्धेश्य ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के लिए गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना और आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से टिकाऊ और दीर्घकालिक परिसंपत्तियों का सृजन करना था। मनरेगा के तहत ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा कम से कम 100 दिनों का गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना था। 



88.61 लाख की सख्या के साथ बिहार देश में सर्वाधिक भूमिहीन आकस्मिक श्रमिकों वाला राज्य था जिसमें से 60.88 लाख का सर्वेक्षण किया गया था। जिसमें इस बात का पता चला कि मात्र 3.34 प्रतिशत को जॉब कार्ड निर्गत किया गया। वैसे परिवार जिन्हें मांगने के बाद 100 दिनों का रोजगार मिला उनकी संख्या 3 प्रतिशत थी और 2014-19 के दौरान लिए गये कार्यों में से 14 प्रतिशत तक ही काम पूरा हो सका था।