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21-Jul-2021 11:46 AM
PATNA : जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही बीजेपी के स्टैंड का साथ नहीं दिया हो लेकिन अब बीजेपी ने भी जनगणना को लेकर नीतीश कुमार को झटका दे दिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया था. इसके लिए बिहार विधानसभा से एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था. लेकिन अब केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि देश में जाति आधारित जनगणना नहीं होगी. संसद के मानसून सत्र में एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि साल 2021 की जनगणना जाति आधारित नहीं होगी.
केंद्र सरकार ने नीतिगत मामलों के रूप में जनगणना में एससी एसटी के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं करने का फैसला किया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि संविधान के मुताबिक के लोकसभा और विधानसभा में जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं. उड़ीसा की सरकारों ने आगामी जनगणना में जातीय जनगणना का आग्रह किया था लेकिन ऐसा संभव नहीं है.
आपको बता दें कि बिहार विधानसभा से दो दफे जातीय जनगणना को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया. सर्वसम्मति से पारित किए गए इस प्रस्ताव में यह मांग की गई थी कि साल 2021 में होने वाली जनगणना में जातीय आंकड़े दिए जाएं. सबसे पहले साल 2019 में विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया था और दूसरी बार बीते साल 27 फरवरी को विधानसभा की तरफ से प्रस्ताव पारित किया गया था.
बिहार में जातीय जनगणना को लेकर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सबसे पहले सवाल उठाया था. लालू प्रसाद यादव जब नीतीश कुमार के साथ थे उसी वक्त उन्होंने जातीय जनगणना की मांग रखी थी. बाद में नीतीश ने भी लालू को इस मुद्दे पर समर्थन दिया. नीतीश कुमार ने भी कहा था कि हर तबके का विकास हो, इसलिए आवश्यक है कि जातीय आंकड़े जनगणना में लिया जाए. लेकिन अब केंद्र सरकार ने अपने रुख से साफ कर दिया है कि वह फिलहाल जाति आधारित जनगणना नहीं कराने जा रही. बिहार में भले ही नीतीश कुमार सरकार का नेतृत्व कर रहे हो लेकिन केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने इस मामले में फिलहाल कोई समझौता नहीं करने का फैसला किया है.