Bihar Teacher Transfer: बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर पर आई बड़ी अपडेट, शिक्षा विभाग ने जिलों को दिया यह निर्देश Bihar Teacher Transfer: बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर पर आई बड़ी अपडेट, शिक्षा विभाग ने जिलों को दिया यह निर्देश Polachi Gangrape Case: फेसबुक फ्रेंडशिप से शुरू हुआ था मौत का खेल...6 साल बाद 9 आरोपियों को मिली उम्रकैद की सजा BIHAR CRIME: सहरसा में 14 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप, शिकायत करने पर मां-बेटी को जान से मारने की मिली धमकी Bihar News: भीषण सड़क हादसे में तीन की मौत, 6 बाराती घायल; शादी की खुशियां मातम में बदली Bihar News: भीषण सड़क हादसे में तीन की मौत, 6 बाराती घायल; शादी की खुशियां मातम में बदली Bihar Crime News: 10 वर्षीय का शव मिलने से इलाके में हड़कंप, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप BIHAR: बेगूसराय में दिनदहाड़े युवक की गोली मारकर हत्या, गुस्साए लोगों ने आरोपी के घर पर की तोड़फोड़ Nonveg health risks summer: गर्मी में खाते हैं नॉनवेज तो हो जाईये सावधान ...जानें ज्यादा सेवन से क्या हो सकते हैं खतरे? Encounter in Shopian: जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षाबलों का बड़ा एक्शन, लश्कर के तीन आतंकी ढेर
22-Aug-2023 07:57 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार सरकार और राज्यपाल के बीच उठा कुलपति विवाद थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। जहां राजपाल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के के पाठक द्वारा दो विश्वविद्यालय के कुलपति के वेतन रोके जाने के जारी फरमान को निरस्त कर दिया था तो वहीं अब शिक्षा विभाग में बीसी के वेतन रोकने के फैसले को वापस लेने से इनकार कर दिया है।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति और प्रतिकुलपति के वेतन रोकने के अपने फैसले को वापस लेने से इनकार कर दिया है। इसके पीछे से राजभवन में भेजे गए अपने पत्र में शिक्षा विभाग के तरफ से राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 का हवाला दिया है।
शिक्षा विभाग की तरफ से यह पूछा गया है कि इस अधिनियम की किस धारा में विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता परिभाषित है और लिखा है कि विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थान हैं। विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव की ओर से प्रेषित इस पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार सालाना विश्वविद्यालयों को 4000 करोड़ रुपए देती है, लिहाजा शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालयों को उनकी जिम्मेदारी बताने, पूछने का पूर्ण अधिकार है कि वे इस राशि का कहां और कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 4 और 5 में स्पष्ट प्रावधान है कि जिम्मेदार अधिकारियों को हॉस्टल, कॉलेजों आदि का नियमित इंस्पेक्शन कराना है। समय पर परीक्षाएं करानी है। इस बिंदू पर जब विश्वविद्यालय फेल करेंगे तो राज्य सरकार का हस्तक्षेप लाजिमी है क्योंकि वह करदाताओं, छात्रों के प्रति जिम्मेदार है।
वह इस पत्र को देखने के बाद ऐसा पता चल रहा है कि राज्य सरकार और राजभवन में एक बार फिर से तनातनी की स्थिति उत्पन्न हो गई है जहां राजभवन इस फैसले को निरस्त करने का पत्र जारी कर चुका है तो वहीं शिक्षा विभाग उनके इस फैसले को मारने से साफ तौर पर इंकार कर रहा है।
आपको बताते चलें कि, 17 अगस्त को राज्यपाल के प्रधान सचिव आर एल चोंग्थू ने शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिख कर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति और प्रतिकुलपति के वेतन रोकने और उनके वित्तीय अधिकार पर पाबंदी लगाने को गलत बताया था। राजभवन ने कहा था कि यह कुलाधिपति के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण है।
राजभवन ने शिक्षा विभाग को कहा था कि कुलपति और प्रतिकुलपति के वेतन रोकने का आदेश वापस लिया जाए। इसी पत्र के जवाब में शिक्षा विभाग की ओर से राजभवन को जवाब भेजा गया है। विभाग ने वेतन रोकने के अपने आदेश वापस लेने से इनकार कर दिया है।