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06-Sep-2021 07:46 AM
PATNA : बिहार में नीतीश सरकार किसानों को हर संभव मदद देने की बात करती है, लेकिन इन दिनों यहां के किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ किसानों पर भीषण बाढ़ का कहर टूट पड़ा है, तो दूसरी तरफ खाद की कालाबाजारी ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. राज्य के कई जिलों में हो रही खाद की कालाबाजारी से किसान परेशान हैं. किसानों की समस्या को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार पर निशाना साधा है.
सोमवार को सुबह-सवेरे बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने खाद की कालाबाजारी से किसानों को ही रही दिक्कत को लेकर नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला. तेजस्वी यादव ने कहा कि अव्यवस्था के कारण सूबे के किसान विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं. एनडीए की सरकार में एमएसपी तो मिल नहीं रही लेकिन खाद की कालाबाजारी से किसानों की कमर टूट गई है और यहां डबल इंजन की सरकार कुंभकर्णी नींद में सोइ हुई है. खुलेआम खाद की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है और किसान बेबस होकर ये सब सहने के लिए तैयार हैं.
तेजस्वी ने ट्वीट कर लिखा कि "बिहार के किसान अनेक समस्याओं से जूझ रहे है। NDA सरकार में MSP तो कभी मिलता ही नहीं. अब कहीं बाढ़ की समस्या है तो कहीं खाद की भारी किल्लत है. कालाबाजारी चरम पर है. डबल इंजन सरकार कुंभकर्णी नींद में है. खाद बिक्री केंद्रों के बाहर किसान दिन रात लाइन में लग खाद के लिए जगे रहते है."
गौरतलब हो कि बीते कई साल से खाद की कालाबाजारी बिहार में होती आ रही है. इसी कालाबाजारी को खत्म करने के लिए कृषि मंत्रालय ने कमर कसने का दावा किया. बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने पिछले महीने यह आदेश दिया था कि खाद की बिक्री में गड़बड़ी पर रोक किसी तरह रोक लगाया जाये. सरकार ने कई जिलों के कृषि पदाधिकारी को शो कॉज भी किया था. लेकिन इसके बावजूद भी लगातार मुंगेर, मोतिहारी, दरभंगा, भागलपुर, मधुबनी, पंश्चिम चंपारण समेत कई जिलों से खाद की कालाबाजारी की शिकायतें आ रही हैं.
सरकार के आदेश के मुताबिक सभी कृषि समन्वयकों, सभी प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी, सभी जिला कृषि पदाधिकारी, सभी संयुक्त निदेशक ( शष्य ) और अधिकतम राज्य स्तरीय पदाधिकारियों को उर्वरक में जीरो टॉलरेंस नीति का पालन कराते हुए निर्धारित मूल्य पर ही उर्वरकों की बिक्री सुनिश्चित कराने को कहा गया था. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि कई जिलों में खाद की कालाबाजरी धड़ल्ले से की जा रही है और किसान बेबस हैं.