Bihar Cabinet: साल के अंतिम दिन CM नीतीश ने घोषित की अपनी संपत्ति, नकद और बैंक में कितना रू है,जानें.... Bihar Police: मोतिहारी नगर निगम का वार्ड पार्षद पति फरार..SP ने 10 हजार रू का इनाम घोषित किया Bihar Transport News: बिहार में गाड़ियों की 'मैन्युअली फिटनेस जांच' पर रोक...कल से लागू होगी नई व्यवस्था, परिवहन मंत्रालय ने भेजा गाईडलाइन 1 करोड़ लोगों को सरकारी नौकरी और रोजगार देगी सरकार, बोले सम्राट चौधरी..बिहार के युवा मजदूरी करने नहीं, सम्मानजनक रोजगार पाने जाएं बाहर Health Ministry : 100mg से अधिक निमेसुलाइड टैबलेट्स पर बैन, स्वास्थ्य मंत्रालय का अहम फैसला Bihar accident news : : अनियंत्रित ट्रक ने बाइक सवार तीन युवकों को कुचला, दो की मौत, एक गंभीर घायल Bihar education news : बिहार में फर्जी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई, निगरानी ब्यूरो ने हज़ारों टीचर के दस्तावेज़ों को खंगाला; जानिए पूरा डाटा Bihar Vigilance Department : 2025 में एक्शन में रही निगरानी ब्यूरो, दर्ज हुई 122 FIR; सबसे बड़ा धनकुबेर निकला यह कार्यपालक अभियंता Bihar land reform : 'क्या तमाशा है...', CO की विजय कुमार सिन्हा ने भरी सभा में लगा दी क्लास, कहा - सही काम को लटकाने का रवैया नहीं चलेगा Bhumi Sudhar Jansamvad : मेरा भाई भी गलत करेंगे तो नहीं छोड़ेंगे, बोले विजय सिन्हा - आपस में करेंगे गुंडागर्दी तो कर देंगे खत्म
31-Dec-2021 09:27 PM
PATNA : बिहार के एक जेल के डॉक्टर ने शराब पीने के आरोप में पकड़े गये व्यक्ति की जान ले ली. जेल में कैदी तड़प तड़प कर मर गया. सरकार ने इस मामले की जांच करायी तो जेल के डॉक्टर को दोषी पाया गया लेकिन दोषी डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. नाराज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार सरकार से जवाब मांगा है कि आखिरकार उसने दोषी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ये नोटिस बिहार के जेल आईजी की रिपोर्ट मिलने के बाद जारी किया है. जेल आईजी ने मानवाधिकार आयोग को बताया कि जेल में मरने वाले कैदी के परिजनों को 3 लाख रूपया मुआवजा दिया गया है. लेकिन आरोपी डॉक्टर पर क्या कार्रवाई हुई इसकी कोई जानकारी जेल आईजी की रिपोर्ट में नहीं दी गयी. नाराज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के चीफ सेक्रेट्री को नोटिस भेजकर जवाब देने को कहा है.
3 साल पुराना है मामला
मामला तीन साल पुराना यानि 2018 का है. शराब पीने के एक आरोपी को 8 जुलाई को गिरफ्तार कर पूर्णिया जेल में भेजा गया था. वह नशे का आदि था और अल्कोहल विड्रॉल सिंड्रोम का शिकार था. ये वो बीमारी होती है जिसका नशे का आदि व्यक्ति बनता है. नशे का सामान नहीं मिलने पर उसके शरीर में गंभीर समस्यायें उत्पन्न होती है. गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को पूर्णिया जेल के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 7 दिन बाद उसे पूर्णिया के सदर अस्पताल भेजा गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
डॉक्टर पाया गया था दोषी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक कैदी की मौत होने के कारण इस मामले की मजिस्ट्रेट जांच करायी गयी थी. इस जांच में ये पाया गया कि नशे का सामान नहीं मिलने के कारण कैदी जेल में आक्रामक हो गया था. जेल के डॉक्टर ने उसका इलाज करने के बजाय उसकी जान लेने का बंदोबस्त कर दिया. जेल के अस्पताल में उसके हाथों में हथकड़ी लगा कर रखा गया था. डॉक्टर ने उसकी हालत के बारे में उपर के अधिकारियों को भी कोई जानकारी नहीं दी. मानवाधिकार आयोग के मुताबिक डॉक्टर ने बीमार कैदी से हिंसक तरीके से सलूक किया. उसका इलाज करने के बजाय उसे बांध कर रखा गया, जिसके कारण उसकी जान चली गयी. मजिस्ट्रेट की जांच में मौत के इस मामले में जेल के डॉक्टर का दोष पाया गया.
सरकार ने नहीं की कार्रवाई
मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार ने मृत कैदी के परिजनों को 3 लाख रूपये का मुआवजा दे दिया लेकिन जेल के डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं की. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव को कहा है कि वह मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट को देखें जिसमें साफ कहा गया है कि जेल डॉक्टर के कारण कैदी की मौत हुई. फिर मानवाधिकार आयोग को बतायें कि आखिरकार डॉक्टर पर क्या कार्रवाई हुई.