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बिहार में डिजिटल पेमेंट वाला भिखारी: गले में लटका कर चलता है QR कोड, छुट्टा नहीं होने का बहाना नहीं चलेगा

बिहार में डिजिटल पेमेंट वाला भिखारी: गले में लटका कर चलता है QR कोड, छुट्टा नहीं होने का बहाना नहीं चलेगा

06-Feb-2022 08:50 PM

BETIAH: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये अक्सर दावा करते हैं कि डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत में क्रांति हो गयी है. लेकिन बिहार की ये कहानी शायद उन्हें भी हैरान कर देगी. बिहार का एक भिखारी डिजिटल पेमेंट के जरिये भीख मांग रहा है. गले में QR कोड लटका कर वह लोगों से भीख मांगता है. छुट्टा नहीं है तो कोई बात नहीं है, UPI के जरिये भीख दे दीजिये.


बेतिया रेलवे स्टेशन का भिखारी

बिहार का ये भिखारी बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगता है. राजू नाम का यह शख्स बचपन से ही रेलवे स्टेशन पर रहता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि जब से उसे देखा है तब से वह लोगों से भीख मांग कर अपना भरण-पोषण करता आ रहा है. लेकिन देश में डिजिटल पेमेंट का प्रचलन बढ़ने के बाद राजू को भीख मांगने में परेशानी हो रही थी. अक्सर लोग कहते थे कि छुट्टा नहीं है. इस लिए उसने बैंक में खाता खुलवाया, फिर UPI के जरिये पेमेंट लेने के लिए QR कोड लिया. अब वह लोगों को कहता है कि छुट्टा पैसे देने के बजाय QR कोड स्कैन करके पैसे डाल दीजिये. 


लालू यादव का मुरीद है राजू

बेतिया का राजू भिखारी खुद को लालू प्रसाद का बेटा कहता है. पहले उस पूरे जिले में जहां कहीं भी लालू यादव की सभा या कार्यक्रम होता था, राजू उनमें जरूर पहुंचता था. राजू बताता है कि लालू यादव भी उसे बहुत मानते थे. लालू यादव जब रेल मंत्री थे तो वह उनकी एक सभा में गया था. लालू यादव ने पूछा कि कोई दिक्कत है तो राजू ने उनसे बताया कि खाने के लिए पैसे नहीं होते. ये वाकया 2005 का है. तब लालू यादव ने बेतिया से गुजरने वाली सप्तक्रांति सुपर फास्ट एक्सप्रेस के पैंट्री कार संचालक को आदेश दिया कि वह राजू को फ्री में खाना दे. 2015 तक राजू को पैंट्री कार से खान मिलता रहा. लेकिन उसके बाद बंद कर दिया गया. तब से वह अपने पैसे से खाना खाता है. हालांकि राजू खुद को मोदी भक्त भी बताता है.  


दरअसल राजू बेतिया के बसवरिया का रहने वाला है. मंदबुद्धि होने के कारण वह कोई काम नहीं कर पाया. पिछले 30 सालों से वह भीख मांग कर ही अपना गुजारा करता है. अब यूपीआई के जरिये भीख मांगने के अंदाज से पूरे जिले में उसकी चर्चा हो रही है. राजू ने बताया कि कई बार लोग ये कहकर मदद नहीं करते थे कि उनके पास छुट्टे पैसे नहीं हैं. जिन लोगों से मदद मांगता था वह कहते थे कि डिजिटल पेमेंट के जमाने में कैश पैसा लेकर चलने की जरूरत ही नहीं पड़ती. जब भीख मिलना लगभग बंद हो गया तो राजू ने बैंक खाता खोला, साथ ही यूपीआई का भी रजिस्ट्रेशन कराया. अब वह फोन-पे के जरिये भीख मांगता है. 


राजू बताता है कि बैंक में खाता खोलने में भी काफी दिक्कत हुई थी. बैंक में खाता खोलने गया तो आधार कार्ड और पैन कार्ड मांगा गया. आधार कार्ड तो था लेकिन पैन कार्ड बनवाना पड़ा. पैन कार्ड बन कर आ गया तो बेतिया के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाया.