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24-Feb-2022 07:09 AM
PATNA : कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में एक तरफ जहां दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की गई वहीं बिहार की अर्थव्यवस्था ने महामारी के बीच भी विकास की रफ्तार को बनाए रखा। बिहार की अर्थव्यवस्था कोरोना काल में भी ढाई फीसदी विकास दर के साथ ऊपर की तरफ बढ़ी है। भारत सरकार की तरफ से हाल ही में नेशनल अकाउंट डाटा जारी किया गया है जो बताता है कि साल 2019-20 में बिहार राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 4 लाख 9 हजार 645 करोड का था जो बढ़कर 2020-21 में 4 लाख 19 हजार 883 करोड का हो गया है। बिहार के अंदर अर्थव्यवस्था के इस आकार का आकलन स्थिर मूल्य के आधार पर किया गया है। महामारी के दौर में बिहार की अर्थव्यवस्था में तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण पशुपालन और वित्तीय क्षेत्र के अंदर विकास को माना जा रहा है। पशुपालन के क्षेत्र में साल 2020-21 में विकास दर लगभग 12 फ़ीसदी रहा जबकि कृषि के क्षेत्र में 3.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। रेलवे और ट्रांसपोर्ट जैसे सेक्टर ने भी बिहार की अर्थव्यवस्था में बेहतरी का काम किया है।
साल 2020-21 के बीच जब देश की पूरी अर्थव्यवस्था कोरोना की पहली लहर और उससे बचाव के लिए लॉकडाउन की मार झेल रही थी तो बिहार की अर्थव्यवस्था में उछाल दर्ज किया गया। इस दौरान देश के अधिकतर राज्यों में अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हुई और विकास दर में गिरावट दर्ज की गई। महामारी के बीच जिन राज्यों ने बेहतर अर्थव्यवस्था बनाई रखी उनमें बिहार के साथ-साथ गोवा, सिक्किम, त्रिपुरा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य शामिल हैं। लॉकडाउन के बावजूद आर्थिक गतिविधियों को जारी रखना इस उपलब्धि का कारण माना जा रहा है। स्थिर मूल्य पर बिहार की जीडीपी लगभग ढाई फ़ीसदी बढ़ी है लेकिन वर्तमान मूल्य पर इसमें 4.14 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ने के कारण बिहारवासियों की प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ी है। स्थिर मूल्य पर लगभग 335 रुपए का इजाफा हुआ है। 2019-20 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 33,979 रुपए थी, जो 2020-21 में बढ़कर 34,314 रुपए हो गई। वर्तमान मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय 1283रुपए बढ़ी है। वर्तमान मूल्य पर बिहार की प्रति व्यक्ति आय 49,272 रुपए थी जो 2020-21 में 50,555 रुपए हो गई।