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01-Dec-2024 07:42 AM
By First Bihar
PATNA : बेतिया राज की 15221 एकड़ जमीन समेत सारी परिसंपत्तियां अब बिहार सरकार की होगी। विधानसभा ने बेतिया राज की संपत्ति को निहित करने वाला विधेयक-2024 की मंजूरी दे दी। अब राज्य सरकार के इस विधेयक को राज्याल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जायेगा। इस बीच बेतिया राज की जमीन पर जो लोग घर बनाए हैं उनके लिए महत्वपूर्ण सूचना है। इनलोगों के लिए सरकार ने फरमान जारी किया है।
बिहार सरकार के भूमि एवं राजस्व मंत्री ने बताया कि बेतिया राज की 15221 एकड़ की संपत्ति को लेकर बिहार विधान मंडल में विधेयक पारित कर दिया गया है। अब यह संपत्ति बिहार सरकार के अधीन होग। महामहिम राज्यपाल के अनुमोदन के बाद यह कानून लागू हो जाएगा। ऐसे में बेतिया राज की जमीन पर रह रहे लोगों के लिए भी सरकार मौका दे रही है। सरकार की मंशा किसी को बेघर करने की नहीं है। बल्कि बेतिया राज की अतिक्रमित जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर आम लोगों की विकास के कामों में उपयोग करना है।
जानकारी हो कि, बिहार में बेतिया राज की 15221 एकड़ जमीन है, जबकि यूपी में 143 एकड़ जमीन है। बिहार में राज की अधिकतर जमीन और परिसंपत्ति पूर्वी व पश्चिमी चंपारण में है। इसके अलावा सारण, सीवान, गोपालगंज और पटना में भी बेतिया राज की जमीन व परिसंपत्ति है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, बस्ती, फैजाबाद, गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, मिर्जापुर और वाराणसी में है। बेतिया राज की संपत्ति की कुल कीमत 7960 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
वर्तमान में बेतिया राज की संपत्ति का प्रबंधन बिहार सरकार के राजस्व परिषद के 'कोर्ट ऑफ वार्ड्स' द्वारा किया जाता है। पिछले साल 13 दिसंबर तक राजस्व बोर्ड द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी चंपारण जिले में 'बेतिया एस्टेट' की कुल भूमि में से 6,505 एकड़ (लगभग 66 प्रतिशत) पर अतिक्रमण किया गया है। वहीं पूर्वी चंपारण में 3,219 एकड़ यानी लगभग 60 प्रतिशत भूमि पर अतिक्रमण हुआ है।
बता दें कि बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह का 26 मार्च 1893 को निधन हो गया था। उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। उनकी दो रानियां थीं- महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर। महारानी शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हुई थी। कहा जाता है कि महारानी जानकी कुंवर बेतिया राज का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ ने अपने हाथ में ले लिया था। महारानी जानकी कुंवर की मृत्यु 1954 में हो गई थी।