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25-Sep-2019 09:00 PM
PATNA: बिहार पुलिस का एक और कारनामा सामने आया है. जिस केस में 14 साल पहले कोर्ट ने बरी किया था. उसी केस में पुलिस ने दोबारा गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. अवैध हिरासत के खिलाफ हाईकोर्ट आये पीड़ित ने 25 लाख रुपए का मुआवजा मांगा है. कोर्ट ने पुलिस महकमे से जवाब मांगा है.
27 सिंतबर को फिर होगी सुनवाई
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने मो. शमीम उर्फ तस्लीम की आपराधिक रिट याचिका को सुन उक्त आदेश दिए. मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर के लिए रखी गई है.सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील राजकुमार ने कोर्ट को बताया की 2002 में किशनगंज जिले के बहादुरगंज थाना कांड संख्या 73/2002 जो एक हत्याकांड के सिलसिले में दर्ज हुआ था. उसमें याचिकाकर्ता को अभियुक्त बनाया गया था। 2003 में उसके खिलाफ सत्र न्यायालय में ट्रायल शुरू हुआ. 2005 में निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को उक्त कांड के सिलसिले में बरी कर दिया. करीब 14 साल बाद पुलिस ने उक्त बहादुरगंज थाना कांड के सिलसिले याचिकाकर्ता को फिर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. शमीम को 28 जनवरी 2019 को पुलिस ने दोबारा बहादुरगंज थाना कांड 73 /2002 के सिलसिले में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया. 7 जून 2019 को तृतीय अवर सत्र न्यायाधीश किशनगंज की अदालत ने शमीम को इस आधार पर जमानत दे दी कि उस थाना कांड के सिलसिले में वह अदालत से पहले ही बरी किया जा चुका है. इस तरह शमीम करीब साढ़े पांच महीने अवैध रूप से जेल में रहने इस कारण शमीम की तरफ से उसके वकील ने 25 लाख रुपये की मुआवजा राज्य सरकार से दिलवाने की गुहार हाई कोर्ट में लगाई.
कोर्ट ने बताया अत्यंत गंभीर मामला
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते पुलिस की कार्यशैली पर हैरानी जताते हुए इसे अत्यंत गम्भीर करार दिया. हाईकोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि जब पुलिस ने शमीम को एक ही मामले में बरी होने के बावजूद दोबारा गिरफ्तार किया तब न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले निचली अदालत ने इतनी बड़ी गलती को कैसे नहीं पकड़ी. हाईकोर्ट ने किशनगंज की निचली अदालत को भी पक्षकार बनाने का निर्देश याचिकाकर्ता को देते हुए राज्य के पुलिस महकमे से भी जवाब मांगा तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी.