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BIHAR NEWS : बड़हिया बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर में बरकरार रहेगी बलि प्रथा, प्रशासनिक रोक लगाने से इनकार

BIHAR NEWS : बड़हिया बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर में बरकरार रहेगी बलि प्रथा, प्रशासनिक रोक लगाने से इनकार

29-Nov-2024 07:28 AM

By First Bihar

LAKHISARAI : बिहार के लखीसराय जिला स्थित बड़हिया के बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर में बलि देने की परम्परा बरकरार रहेगी। इसे लेकर लखीसराय के एसडीओ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद मौजूदा बलि देने की परम्परा पर किसी तरह की प्रशासनिक रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ बलि चढाये जाने का विरोध करने वालों को कोर्ट जाने का सुझाव दिया गया। 


दरअसल, बड़हिया का बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर श्रद्धालुओं के बीच जगदंबा स्थान के नाम से लोकप्रिय है। यहां 26 नवंबर को एक स्थानीय युवती द्वारा श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाली पशु बलि को लेकर काफी हंगामा किया गया। हंगामे के सूचना के बाद पुलिस ने युवती को समझाया। वहीं बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं का यह मत था कि बलि देने से रोकना अनुचित है।  इतना ही नहीं एक बड़ा वर्ग बलि प्रथा पर रोक लगाने का पक्षधर नहीं। जबकि एक पक्ष इसपर रोक के पक्ष में थे। लिहाजा मंदिर में एक बैठक भी आयोजित की गई लेकिन इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ। 


इसके बाद कुछ लोगों बलि चढाये जाने पर रोक की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना दिया। हालांकि एसडीओ ने न्यायालय जाने का सुझाव दिया। इसके पहले मंदिर में दी गई बलि को लेकर भी किसी ने कोई विरोध या आपत्ति नहीं जताई। इस दौरान बलि देने से खुश श्रद्धालुओं ने जमकर जयकारे लगाए। इस मामले जिस युवती द्वारा विरोध किया गया वह बड़हिया के  वार्ड संख्या 11 निवासी रविन्द्र सिंह की पुत्री अदिति कुमारी बताई जाती है। इन्होंने बीते कुछ महीनों से पशु बलि पर पूर्ण विराम लगाए जाने को लेकर लगातार संपर्क कर रही हैं। 


हालांकि कुछ श्रद्धालुओं का यह भी कहना है कि वह जबरन अपनी जिद थोपना चाहती है। शाक्त परम्परा में देवी पूजन में बलि का विधान है। ऐसे में पूजन पद्धतियों को शास्त्र सम्मत ही रहने देना चाहिए। दुर्गा सप्तसती के श्लोकों में देवी पूजन के दौरान बलिदान का जिक्र आता है. जैसे - बलिप्रदाने पूजायामग्निकार्ये महोत्सवे। सर्वं ममैतच्चरितमुच्चार्यं श्राव्यमेव च॥१०॥ अर्थात् बलिदान, पूजा, होम तथा महोत्सव के अवसरों पर मेरे इस चरित्र का पूरा - पूरा पाठ और श्रवण करना चाहिये ॥१०॥ या फिर जानताऽजानता वापि बलिपूजां तथा कृताम्। प्रतीच्छिष्याम्यहं* प्रीत्या वह्निहोमं तथा कृतम्॥११॥ अर्थात् - ऐसा करने पर मनुष्य विधि को जानकर या बिना जाने भी मेरे लिये जो बलि, पूजा या होम आदि करेगा, उसे मैं बड़ी प्रसन्नता के साथ ग्रहण करूँगी ॥११॥


आपको बता दें कि , बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर बड़हिया सफेद संगमरमर से निर्मित 151 फीट ऊंचा एक शिखरबद्ध मंदिर है जिसके गुंबद पर स्वर्ण कलश दूर से ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. यहां देवी पिंडी स्वरूप में हैं। माना जाता है कि जम्मू कश्मीर के कटरा में मां वैष्णो देवी के संस्थापक श्रीधर ओझा के द्वारा ही इनकी स्थापना की गई थी। मंदिर का गर्भगृह जमीन से लगभग 12 फीट ऊंचा है। मंगलवार और शनिवार को मंदिर में हर दिन हजारों देवी भक्त पूजा के लिए आते हैं। इसके साथ ही मंगलवार और शनिवार को मुख्य रूप से पशु बलि भी दी जाती है।