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17-Nov-2025 01:37 PM
By First Bihar
Bihar Politics: राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के प्रमुख एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने पहले सोशल मीडिया पर एनडीए के सभी घटक दलों को बधाई दी और इसके दो घंटे बाद अपने भतीजे और लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को व्यक्तिगत रूप से जीत की शुभकामनाएं दीं।
रविवार दोपहर 2:20 बजे अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पशुपति पारस ने ट्वीट किया, “बिहार चुनाव में एनडीए को मिले प्रचंड बहुमत के लिए सभी घटक दलों को बधाई और शुभकामनाएं। आशा है एनडीए की सरकार बिहार के विकास को नई दिशा देगी।” इसके लगभग दो घंटे बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया, “मेरे भतीजे, केंद्रीय मंत्री और लोजपा(र) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को बिहार विधानसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के लिए बधाई और शुभकामनाएं।”
पिछले साल लोकसभा चुनाव 2024 में चिराग पासवान के गुट वाले लोजपा की एनडीए में वापसी के बाद पशुपति पारस साइडलाइन हो गए थे। उन्होंने नरेंद्र मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चिराग गुट को प्राथमिकता दी, जबकि पारस की रालोजपा को कोई सीट नहीं दी गई। इसके बाद पारस ने एनडीए छोड़कर अलग राह अपनाई।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पारस के महागठबंधन में शामिल होने की चर्चा भी थी। उन्होंने महागठबंधन के नेताओं से सीटों को लेकर वार्ता की, लेकिन समझौता नहीं होने के कारण पारस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। रालोजपा ने कुछ सीटों पर प्रत्याशी उतारे, जिसमें उनके बेटे यश राज को खगड़िया जिले की अलौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया। हालांकि, सभी उम्मीदवार चुनाव में करारी हार का सामना करने पड़े।
वहीं, चिराग पासवान की लोजपा-आर ने एनडीए के साथ मिलकर 29 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, जिसमें से 19 पर जीत हासिल की। इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 में लोजपा-आर ने एनडीए में 5 सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की। इस जीत के बाद चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था।
लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी की विरासत को लेकर पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच विवाद हुआ। इस विवाद के चलते लोजपा टूट गई और पारस ने अपनी पार्टी रालोजपा बनाई, जबकि भतीजे चिराग ने लोजपा-आर नाम से अलग दल बनाया। इसके समय चिराग को एनडीए से बाहर होना पड़ा, जबकि पारस के साथ लोजपा के अन्य सांसद आ गए।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह परिवारिक विवाद केवल पारिवारिक जंग नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एनडीए और महागठबंधन दोनों की रणनीतियों को प्रभावित करने वाला मामला भी है। इस चुनाव में पारस का अलग राह चुनना और चिराग की एनडीए में सफलता ने पार्टी के भीतर और बाहर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।