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11-Nov-2025 09:04 AM
By First Bihar
Bihar Politics : दुलारचंद यादव हत्याकांड ने पूरे बिहार की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र में हलचल मचा दी है। हत्या के कई दिन बीत जाने के बाद भी गोली चलाने वाले का पता न चलना अब पुलिस और जांच एजेंसियों दोनों के लिए चुनौती बन गया है। इस केस ने न केवल स्थानीय स्तर पर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है, बल्कि प्रशासनिक साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
CID की टीम फिर पहुंची घटनास्थल पर, मेटल डिटेक्टर से खंगाली जमीन
भदौर थाना क्षेत्र के बसावनचक गांव में सोमवार को CID की टीम एक बार फिर मौके पर पहुंची। टीम के साथ स्थानीय पुलिस भी मौजूद थी। करीब तीन घंटे तक सघन सर्च ऑपरेशन चलाया गया। जमीन को मेटल डिटेक्टर से छान मारा गया ताकि गोली के खोखे या किसी अन्य भौतिक साक्ष्य की बरामदगी हो सके। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि अब तक ज्वाइंट एंकल में लगी गोली का खोखा नहीं मिला। यह बात जांच एजेंसियों के लिए बड़ा सवाल बन गई है कि आखिर गोली चली तो फिर खोखा कहां गया?
पीयूष प्रियदर्शी पर गिरफ्तारी की चर्चा तेज, पर कार्रवाई पर रोक
जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी का नाम भी इस मामले में लगातार चर्चा में है। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस फिलहाल उनकी गिरफ्तारी की कोई तत्काल कार्रवाई नहीं करने जा रही। जांच एजेंसियों का कहना है कि पूरा इन्वेस्टिगेशन पूरा होने के बाद ही आगे की कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि उन्हें थाने से ही नोटिस देकर रिलीज किया जा सकता है।
भदौर थाना प्रभारी ने बताया कि गाड़ी का शीशा तोड़ने जैसे गंभीर मामलों में पीयूष प्रियदर्शी के खिलाफ अलग केस दर्ज है, जिसमें अभी तक जमानत नहीं मिली है। इस केस में अब तक 7 लोगों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है।
दो एसडीपीओ की अलग-अलग रिपोर्टें, जांच कई एंगल से जारी
बाढ़ के SDPO-2 अभिषेक सिंह ने बताया कि यह केस सिर्फ एक एंगल से नहीं देखा जा रहा, बल्कि कई बिंदुओं से जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि “कंबाइन टेक्निकल ऑपरेशन” के तहत काम जारी है। जैसे ही ठोस साक्ष्य मिलेंगे, दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं SDPO-1 ने कहा कि उनके क्षेत्र में पीयूष प्रियदर्शी के नाम से कोई केस दर्ज नहीं है, जिससे यह मामला और उलझ गया है।
सोशल मीडिया के वीडियो बने जांच की नई दिशा
घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो और फुटेज सामने आए हैं। इनमें से कुछ वीडियो कथित तौर पर घटना स्थल और उसके आसपास के बताए जा रहे हैं। CID ने इन सभी फुटेज को डिजिटल साक्ष्य के तौर पर जब्त कर लिया है। ये वीडियो फुटेज टाइमलाइन, लोकेशन और संदिग्धों की पहचान में अहम भूमिका निभा सकते हैं। जांच टीम ने इन क्लिप्स की डिजिटल फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी है, जिससे घटना के सटीक क्रम का पता लगाया जा सके।
राजनीतिक हलचल तेज, जनता को जवाब का इंतजार
इस हत्याकांड ने न केवल पुलिस और CID को उलझा दिया है, बल्कि राजनीतिक माहौल भी गर्मा गया है। विपक्ष लगातार सरकार और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहा है, वहीं सत्ताधारी दल जांच में हस्तक्षेप न होने की बात कह रहा है। वहीं, स्थानीय लोगों के बीच अब सबसे बड़ा सवाल यही है — “गोली किसने चलाई?” क्या यह हमला सुनियोजित था या किसी झड़प का नतीजा? क्या इसमें एक से अधिक वाहन या हथियार शामिल थे? जांच एजेंसियां इन सभी बिंदुओं पर काम कर रही हैं। फिलहाल मामले का हर कदम तकनीकी जांच, डिजिटल एनालिसिस और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर निर्भर है।
सस्पेंस बरकरार, लेकिन उम्मीदें कायम
दुलारचंद यादव की मौत के कई दिन बाद भी न तो गोली चलाने वाले की पहचान हो पाई है, न ही ठोस सबूत मिल सके हैं। लेकिन CID का दावा है कि वे हर एंगल से केस की परतें खोल रहे हैं। आने वाले दिनों में फॉरेंसिक रिपोर्ट, डिजिटल डेटा और घटनास्थल से जुटाए गए साक्ष्य इस केस की दिशा तय करेंगे। फिलहाल, मोकामा और भदौर के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि “कब सामने आएगा सच?” — जनता जवाब चाहती है, और जांच एजेंसियों पर अब इस उम्मीद को पूरा करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।