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                            31-Oct-2025 08:56 AM
By First Bihar
Dularchand Yadav : बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार शाम को हुई एक हत्या ने पूरे इलाके की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह मामला केवल एक आपसी रंजिश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें राजनीति, बाहुबली छवि और पुराने संबंधों का गहरा ताना-बाना जुड़ा हुआ है। मोकामा के टाल इलाके में प्रभावशाली रहे दुलारचंद यादव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस जहां इसे सड़क हादसा बता रही है, वहीं परिजन और स्थानीय लोग इसे साफ तौर पर हत्या मान रहे हैं।
हत्या या हादसा: उलझा मामला
घटना गुरुवार शाम घोसवरी थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई। जानकारी के अनुसार, दो गुटों के बीच झड़प हुई और उसी दौरान दुलारचंद यादव की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि दुलारचंद की गोली मारकर हत्या की गई, जबकि पुलिस का दावा है कि गोली जिस जगह लगी, उससे किसी की मौत संभव नहीं है। पुलिस के मुताबिक, शरीर पर वाहन के नीचे आने जैसे निशान हैं। फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिससे मौत के असली कारण का खुलासा होगा।
अनंत सिंह का नाम चर्चा में
मामले में बाहुबली छवि वाले पूर्व विधायक अनंत सिंह का नाम सामने आ रहा है। मृतक पक्ष ने आरोप लगाया है कि अनंत सिंह और उनके समर्थकों ने इस घटना को अंजाम दिया। हालांकि, पुलिस अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है और सभी बिंदुओं पर जांच जारी है। मोकामा की राजनीति में अनंत सिंह और उनके समर्थकों की पकड़ लंबे समय से रही है, ऐसे में इस घटना ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है।
कौन थे दुलारचंद यादव
दुलारचंद यादव मोकामा के टाल क्षेत्र में एक चर्चित नाम थे। यादव समाज में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती थी। हालांकि, उनका अतीत विवादों से भरा रहा। वे कई आपराधिक मामलों में आरोपी रहे — हत्या, अपहरण, रंगदारी और जमीन कब्जे जैसे गंभीर आरोपों में वे कई बार जेल जा चुके थे। 2019 में पटना पुलिस ने उन्हें बाढ़ के घर से गिरफ्तार किया था।
कांग्रेस नेता की हत्या में भी आया नाम
1991 में कांग्रेस नेता सीताराम सिंह की हत्या के मामले में दुलारचंद यादव का नाम सामने आया था। इस केस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत चार लोगों पर एफआईआर हुई थी। बाद में नीतीश को बरी कर दिया गया, लेकिन यह मामला 2009 में फिर सुर्खियों में आया जब नीतीश को आरोपी बनाने की अर्जी बाढ़ कोर्ट में दायर की गई थी। 2019 में पटना हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कुमार को क्लीन चिट दे दी।
लालू और नीतीश – दोनों के करीब रहे
दुलारचंद यादव की राजनीतिक यात्रा बेहद दिलचस्प रही। एक समय वे लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाते थे। उन्होंने बाढ़ और मोकामा क्षेत्र में आरजेडी के लिए मजबूत आधार तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। कई चुनावों में उन्होंने राजद के पक्ष में काम किया। लेकिन 2017 के बाद उनका रुख बदल गया और वे नीतीश कुमार के करीब आ गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे जेडीयू नेताओं के साथ मंच साझा करते दिखे।
गिरफ्तारी के बाद दूरी
2019 की गिरफ्तारी के बाद दुलारचंद और नीतीश के संबंधों में खटास आ गई। धीरे-धीरे वे सक्रिय राजनीति से दूर हुए और फिर जन सुराज पार्टी की ओर झुकाव दिखाया। हालांकि, उन्होंने पार्टी की सदस्यता नहीं ली, पर 2025 के विधानसभा चुनाव में जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्षी के समर्थन में प्रचार कर रहे थे।
जन सुराज से जुड़ाव और मौत
बताया जा रहा है कि दुलारचंद यादव ने हाल के दिनों में जन सुराज अभियान को खुला समर्थन दिया था। वे पीयूष प्रियदर्षी के साथ प्रचार में लगातार जुटे थे। घटना के दिन भी वे प्रचार में निकले थे जब दो गुटों के बीच झड़प में उनकी जान चली गई। जन सुराज के नेताओं ने इस हत्या को साजिश बताया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
मोकामा की राजनीति पर असर
मोकामा सीट पहले से ही बाहुबली राजनीति का केंद्र रही है। अनंत सिंह की पकड़ यहां वर्षों से रही है। 2022 के उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी आरजेडी से जीतकर विधायक बनीं। अब 2025 के चुनाव में जन सुराज, आरजेडी और जेडीयू के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। ऐसे में दुलारचंद यादव की हत्या ने न केवल चुनावी समीकरणों को बदल दिया है, बल्कि स्थानीय स्तर पर जातीय और राजनीतिक समीकरणों में भी हलचल पैदा कर दी है।
जांच जारी, तनाव बरकरार
फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। क्षेत्र में तनाव को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। ग्रामीणों में आक्रोश है और प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि दुलारचंद यादव की मौत हत्या थी या दुर्घटना। लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने मोकामा की राजनीति को एक बार फिर बाहुबली छवि और सियासी वर्चस्व की चर्चा के केंद्र में ला दिया है।