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06-Aug-2025 11:00 AM
By Viveka Nand
Bihar News: बिहार में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है. इसे लेकर सभी नेता तैयारी में जुटे हैं. पक्ष-विपक्ष के पार्टियों की तरफ से ग्राउंड लेवल पर पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है. एनडीए और महागठबंधन की पार्टियां जमीनी ताकत को समझने की कोशिश कर रही है. सर्वे के माध्यम से वोटरों के मन को टटोला जा रहा है. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर एनडीए आगे की रणनीति बनाने में जुटा है. ग्राउंड लेवल से जो रिपोर्ट आ रही है, उसमें एनडीए और महागठबंधन की बीच जबरदस्त लड़ाई दिख रही है. प्रशांत किशोर भी अपनी छाप छोड़ते हुए दिखाई पड़ रहे हैं.
रिपोर्ट के आधार पर रणनीति बनाने में जुटी है पार्टियां
बिहार में अक्टूबर-नवंबर महीने में चुनाव होंगे. इसके पहले सितंबर महीने में ही चुनावी बिगुल बज जायेगा. ऐसे में चुनावी महाभारत में अब काफी कम समय रह गया है. लिहाजा सभी दलों का नेतृत्व इलेक्शन को लेकर रणनीति बनाने में जुटा है. भारतीय जनता पार्टी अब तक कई सर्वे करा चुकी है. सर्वे में अपने संभावित उम्मीदवार, सीटिंग विधायकों का परफॉरमेंशन, विधानसभा वाइज जातीय समीकरण से लेकर विभिन्न मुद्दों, सरकार का कामकाज को लेकर वोटरों की राय जाना है. इस आधार पर पार्टी आगे की रणनीति बनाने में जुटी है.
भाजपा के इंटरनल सर्वे में तगड़ी है लड़ाई
भारतीय जनता पार्टी का जो इंटरनल सर्वे है, उसमें एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होते हुए दिखाई पड़ रहा है. हालांकि सर्वे में एनडीए को बढ़त मिलते हुए बताया गया है, हालांकि अंतर कम है. विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के आंतरिक सर्वे में बिहार में एनडीए फिर से सरकार बनाते हुए दिखाई पड़ रहा है. आज की स्थिति में एनडीए को जहां 42.2 फीसदी वोट शेयर मिलते दिख रहा है, वहीं महागठबंधन को 39.1 फीसदी वोट मिलने की संभावना बताई गई है. प्रशांत किशोर जो पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में उतर रहे हैं, उनकी पार्टी जनसुराज को तीसरे नंबर पर बताया गया है. जनसुराज पार्टी को 5.2 फीसदी वोट मिल सकता है. जबकि अन्य के खाते में 13.5 फीसदी वोट जाते हुए दिखाई पड़ रहा है. हालांकि विशेष मतदाता पुनरीक्षण के बाद वोटर लिस्ट से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाये गए हैं. ऐसे में इसमें थोड़ा बदलाव संभव है.
किस जाति का कितना वोट एनडीए को मिलेगा, इसका भी है सर्वे रिपोर्ट
बताया जाता है कि भारतीय जनता पार्टी ने जातीय वोटों का भी सर्वे किया है. किस जाति के वोटर किस गठबंधन-पार्टी के पक्ष में वोट कर सकते हैं, इसकी भी एक रिपोर्ट तैयार की गई है. पार्टी के इंटरनल सर्वे में यह बात सामने आई है कि सवर्ण वोटों का रूझान प्रशांत किशोर की तरफ बढ़ा है. जिस सवर्ण वोट पर भारतीय जनता पार्टी अपना एकाधिकार समझती थी, उसमें झटका लग सकता है. रिपोर्ट में 10 फीसदी सवर्ण वोट प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज की तरफ जाते हुए बताया गया है. सवर्णों का 13 फीसदी वोट महागठबंधन की तरफ जा सकता है. वहीं एनडीए के खाते में सवर्णों का 66 फीसदी वोट आने की संभावना जताई गई है. वहीं अन्य के खाते में 11 फीसदी वोट शेयर दिया गया है.
अति पिछड़ा वर्ग किसे वोट करेगा......
अति पिछड़ा वर्ग का सबसे ज्यादा वोट एनडीए के पक्ष में जाने की बात कही गई है. अति पिछड़ा वर्ग में 60 फीसदी एनडीए, 19 फीसदी-महागठबंधन, जनसुराज-3 और अन्य के खाते में 18 फीसदी वोट जा सकता है. महादलित वोटों में दोनों गठबंधन लगभग बराबर की स्थिति में है. एनडीए-40, महागठबंधन-38, जनसुराज-4 और अन्य के खाते में 18 फीसदी वोट जा सकता है. गैर यादव पिछड़ा वर्ग में भी सबसे ज्यादा वोट एनडीए में जाने की संभावना बताई गई है, इस वर्ग से एनडीए को 80, महागठबंधन को 15, प्रशांत किशोर को 3 और अन्य के खाते में 2 फीसदी वोट जा सकता है.
पासवान वोटों में भी टूट की संभावना
भाजपा के इंटरनल सर्वे रिपोर्ट में पासवान वोट में टूट की संभावना जताई गई है. कुछ फीसदी वोट महागठबंधन में जा सकता है. रिपोर्ट में पासवानों का 22 फीसदी वोट महागठबंधन की तरफ जाते हुए दिखाई पड़ रहा है. प्रशांत किशोर की पार्टी के खाते में भी 3 फीसदी वोट दिया गया है. वहीं यादवों का अधिकांश वोट महागठबंधन में जाते हुए दिखाई पड़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, यादव समाज का 84 फीसदी वोट राजद-कांग्रेस व गठबंधन के अन्य दलों के खाते में जाने की संभावना बताई गई है. एनडीए के खाते में 12 फीसदी, जनसुराज में 2 और अन्य के खाते में 2 फीसदी वोट दिया गया है.
बता दें, 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर थी. दोनों गठबंधन में वोट शेयर का अंतर काफी कम था. एनडीए को जहां 37.3 फीसदी वोट मिले थे, वहीं महागठबंधन के खाते में 37.2 फीसदी वोट गया था. जबकि लोजपा 05.66% वोट मिला था.
विधानसभा चुनाव 2020 में दलों का वोट%
भाजपा 19.46%
जदयू 15.39%
राजद 23.11%
एआइएमआइएम 01.24 %
कांग्रेस 09.48%
बसपा 01.49%
सीपीआइ 0.83%
माकपा 0.65%
लोजपा 05.66%
राकांपा 0.23%
रालोसपा 01.77%
नोटा 01.68%
भाकपा माले- लगभग 4 फीसदी