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11-Nov-2025 07:19 AM
By First Bihar
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में मंगलवार को 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इस बार की वोटिंग ऐतिहासिक मानी जा रही है, क्योंकि राज्य के कई नक्सल प्रभावित इलाकों में पहली बार मतदान केंद्र बनाए गए हैं। जमुई के चोरमारा, गया जिले के पिछुलिया, और रोहतास के रेहल गांव में दशकों बाद स्थानीय मतदाता अपने गांव में ही मताधिकार का प्रयोग कर पाएंगे। इससे पहले, सुरक्षा कारणों से इन गांवों में कभी मतदान केंद्र स्थापित नहीं किए जा सके थे और लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर वोट डालना पड़ता था।
नक्सल प्रभावित इलाकों में पहली बार लोकतंत्र की गूंज
बिहार पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, जमुई विधानसभा क्षेत्र के बरहट थाना क्षेत्र स्थित चोरमारा ग्राम में कुल 1,011 एससी-एसटी मतदाता इस बार अपने मूल स्थल पर वोट डालेंगे। इनमें 488 पुरुष और 523 महिला मतदाता शामिल हैं। यह इलाका कभी नक्सलवाद की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। वर्ष 2007 में इसी क्षेत्र में सीपीआई (माओवादी) की नौवीं कांग्रेस का आयोजन हुआ था, जिसमें शीर्ष नक्सली नेता गणपति, प्रशांत बोस, किशन दा सहित कई वरिष्ठ माओवादी शामिल हुए थे। लेकिन अब यही इलाका लोकतांत्रिक भागीदारी की मिसाल बनने जा रहा है।
चोरमारा क्षेत्र पहले जमुई, मुंगेर और लखीसराय जिलों के नक्सल बेल्ट के रूप में जाना जाता था, जहाँ पुलिस और प्रशासन की पहुंच सीमित थी। अब सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई, गांवों में सड़क और बिजली जैसी सुविधाओं के विस्तार, और प्रशासनिक संवाद के चलते माहौल में सकारात्मक परिवर्तन हुआ है। पहली बार बने मतदान केंद्र से स्थानीय ग्रामीणों में उत्साह और गर्व की भावना दिखाई दे रही है।
गया और रोहतास में भी पहली बार मतदान केंद्र स्थापित
गया जिले के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के पिछुलिया गांव और रोहतास जिले के रेहल गांव में भी इस बार पहली बार मतदान कराया जाएगा। गया के छकरबंधा थाना क्षेत्र में आने वाले तारचुआ और पिछुलिया गांवों में आजादी के बाद से अब तक मतदान की प्रक्रिया नहीं हो सकी थी। हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव में तारचुआ गांव में पहली बार मतदान हुआ, और अब 2025 विधानसभा चुनाव में पिछुलिया गांव में भी वोटिंग होने जा रही है।
प्रशासन ने यहां मतदान केंद्र बनाने के लिए विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं। सीआरपीएफ, बीएमपी और जिला पुलिस के जवानों की तैनाती के साथ ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जा रही है। स्थानीय लोगों को अब पहली बार अपने गांव में ही वोट डालने का अवसर मिल रहा है, यह न सिर्फ लोकतंत्र की जीत है, बल्कि विकास और विश्वास की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
चुनाव आयोग और पुलिस मुख्यालय ने इन इलाकों को अतिसंवेदनशील घोषित किया है। मतदान के दिन केंद्रीय सशस्त्र बलों की विशेष टुकड़ियाँ, बम निरोधक दस्ते और डॉग स्क्वॉड की टीमों को भी तैनात किया जाएगा। सुरक्षा बलों ने मतदान केंद्रों के आसपास जंगलों में कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाकर क्षेत्र को सुरक्षित किया है। राज्य पुलिस के अनुसार, इन इलाकों में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए ‘एरिया डॉमिनेशन’ की रणनीति अपनाई गई है। स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि हर मतदाता को भयमुक्त माहौल में मतदान का अधिकार मिलेगा।
स्थानीय मतदाताओं में उत्साह
जमुई, गया और रोहतास के ग्रामीणों में पहली बार अपने गांव में मतदान होने की खबर से गहरा उत्साह है। कई ग्रामीणों ने कहा कि वे वर्षों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। पहले उन्हें कई किलोमीटर पैदल चलकर पड़ोसी पंचायतों में वोट डालना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें अपने गांव में ही लोकतंत्र के पर्व में शामिल होने का मौका मिला है। स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों ने भी मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए हैं। घर-घर जाकर मतदान की अपील की जा रही है और लोगों को बताया जा रहा है कि उनका एक वोट गांव के विकास की दिशा बदल सकता है।
प्रशासन की तैयारी और निगरानी
बिहार चुनाव आयोग ने इन नए मतदान केंद्रों पर विशेष मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है। हर बूथ पर वेबकास्टिंग की जाएगी, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई हो सके। इसके अलावा, बूथ-लेवल अधिकारियों (BLO) को अतिरिक्त सहायता दी गई है और मतदाता सूची का सत्यापन स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किया गया है।