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19-Nov-2025 12:47 PM
By First Bihar
Bihar Politics : बिहार में नई सरकार के गठन और उपमुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को अपने विधायक दल की अहम बैठक आयोजित की। इस बैठक में एक बार फिर से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय कुमार सिंह को उपनेता चुना गया। चुनाव के बाद बदलते राजनीतिक माहौल में यह फैसला बीजेपी की रणनीति को स्पष्ट करता है कि पार्टी नेतृत्व स्थिरता और अनुभव को प्राथमिकता देना चाहती है।
हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में सबसे दिलचस्प पहलू यह रहा कि आखिर विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह के नाम का प्रस्ताव किसने रखा। इसके साथ ही इनके नाम पर समर्थन किसने किया। कौन थे वे नेता जिन्होंने इन दोनों को फिर से जिम्मेदारी देने का सुझाव दिया—यह जानकारी अब सामने आ गई है।
प्रेम कुमार ने सबसे पहले रखा प्रस्ताव, कई दिग्गजों ने किया समर्थन
भाजपा के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह के नामों का प्रस्ताव सबसे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम कुमार ने रखा। प्रेम कुमार बिहार बीजेपी के अनुभवी चेहरों में गिने जाते हैं और संगठन में उनकी गहरी पकड़ है। ऐसे में उनके द्वारा प्रस्ताव दिए जाने को नेतृत्व पर विश्वास का मजबूत संकेत माना जा रहा है। प्रेम कुमार के बाद रामकृपाल यादव ने भी उनके नाम का समर्थन किया। रामकृपाल यादव बिहार NDA में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं और उनका समर्थन प्रस्ताव को और अधिक वजनदार बनाता है।
इसके बाद क्रमशः कृष्ण कुमार ऋषि, संगीता कुमारी, अरुण शंकर प्रसाद, मिथिलेश तिवारी, नितिन नवीन, वीरेंद्र कुमार, राम निषाद, मनोज शर्मा और कृष्ण कुमार मंटू ने भी सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह के नामों का प्रस्ताव और रखा और समर्थन किया रखा। भाजपा के तरफ से पांच सेट में इन दोनों के नाम का प्रस्ताव रखा गया और उसके बाद 6 विधायकों ने इनके नाम का समर्थन किया।
इतने व्यापक समर्थन ने स्पष्ट कर दिया कि दोनों नेताओं को संगठन में मजबूत और सर्वस्वीकार्य माना जा रहा है। प्रस्ताव रखे जाने के बाद सभी विधायकों ने इस पर विचार-विमर्श किया और अंत में सर्वसम्मति से दोनों के नाम पर मुहर लगा दी गई।
क्यों फिर से उन्हीं दो चेहरों पर भरोसा?
हाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। ऐसे में पार्टी ने नेतृत्व को लेकर सावधानीपूर्वक निर्णय लिया है। सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह पहले भी क्रमशः नेता और उपनेता के पद पर रह चुके हैं। चुनाव अभियान के दौरान उनकी मेहनत और संगठनात्मक क्षमता को पार्टी हाईकमान ने सराहा था।
सम्राट चौधरी अपनी आक्रामक और प्रभावी शैली के लिए जाने जाते हैं। चुनावी प्रचार में वे सबसे अधिक सक्रिय नेताओं में शामिल रहे। यादव समाज से आने के कारण वे सामाजिक समीकरणों के लिहाज से भी भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
दूसरी ओर विजय कुमार सिंह एक मजबूत, शांत और अनुभवी चेहरा हैं। विधानसभा अध्यक्ष के रूप में उनका अनुभव और संगठन में उनकी स्वीकार्यता उन्हें उपनेता पद के लिए उपयुक्त बनाती है। इस संतुलन—तेज नेतृत्व और शांत अनुभव—को बीजेपी अपनी रणनीति का आधार मानती है।
बैठक में एकता का संदेश, नई सरकार में दो उपमुख्यमंत्री की पुष्टि लगभग तय
बैठक में जिस तरह से दर्जनभर नेताओं ने उनके नामों का प्रस्ताव रखा, इससे यह भी संदेश गया कि बीजेपी इस बार नेतृत्व को लेकर किसी प्रकार की खींचतान नहीं चाहती। एकजुटता का यह प्रदर्शन आने वाली नई सरकार के लिए भी सकारात्मक संकेत है।
सूत्रों के अनुसार, सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह को विधायक दल में फिर से नेतृत्व दिए जाने के बाद अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि कल होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में दोनों ही उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। बिहार की राजनीति में दो उपमुख्यमंत्री रखने की परंपरा बीजेपी पहले भी निभाती रही है और इस बार भी वही संतुलन बनाए रखने का संकेत दिया है।
विधायक दल की बैठक—सत्ता और संगठन के बीच तालमेल का प्रयास
बिहार में बीजेपी के बढ़ते जनाधार और बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच पार्टी चाहती है कि सरकार और संगठन के बीच मजबूत तालमेल बना रहे। सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह दोनों ऐसे नेता हैं जिन पर संगठन भरोसा करता है और जिनके कामकाज को पार्टी लगातार सराहती रही है।
विधायक दल की बैठक में नेतृत्व चयन की प्रक्रिया बेहद शांत और औपचारिक तरीके से पूरी हुई। प्रस्ताव रखे जाने से लेकर सर्वसम्मति बनने तक किसी भी प्रकार का मतभेद देखने को नहीं मिला। इससे यह भी संकेत मिलता है कि आने वाले समय में सरकार के गठन और कैबिनेट विस्तार के दौरान भी बीजेपी एकजुट रहकर निर्णय लेगी।
विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह को फिर से नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपना केवल एक पद का चयन भर नहीं था, बल्कि यह बीजेपी की अंदरूनी स्थिरता और रणनीति का प्रतीक भी है। दर्जनभर नेताओं द्वारा उनके नामों का प्रस्ताव रखे जाने से पार्टी की एकजुटता और नेतृत्व पर भरोसा दोनों ही स्पष्ट होते हैं। अब जब शपथ ग्रहण समारोह नजदीक है, बिहार की राजनीति में दोनों नेताओं की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होने जा रही है।