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Bihar election results : बिहार चुनाव नतीजे: एनडीए की प्रचंड जीत, कई सीटों पर 27 वोट तक का रोमांचक मुकाबला; जानिए वो सीटें जहां जीत-हार का अंतर 500 से कम,

बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों में एनडीए ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। कई सीटों पर बेहद करीबी मुकाबला देखने को मिला, जबकि कुछ पर बड़े अंतर से जीत दर्ज हुई। महिलाओं की भागीदारी रिकॉर्ड रही।

Bihar election results : बिहार चुनाव नतीजे: एनडीए की प्रचंड जीत, कई सीटों पर 27 वोट तक का रोमांचक मुकाबला; जानिए वो सीटें जहां जीत-हार का अंतर 500 से कम,

17-Nov-2025 01:27 PM

By First Bihar

Bihar election results : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग पूरी तरह सामने आ चुके हैं, और इस बार मतदाताओं ने एक बार फिर राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव करते हुए बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को प्रचंड बहुमत से सत्ता की चाबी सौंप दी है। एनडीए ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 202 सीटों पर जीत दर्ज की है। सबसे खास बात यह रही कि भाजपा ने लगभग 90 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट के साथ चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर एक नया राजनीतिक इतिहास रच दिया है।


महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक

राजद, कांग्रेस और तीन वामदलों के साथ मिलकर बने महागठबंधन को इस चुनाव से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन परिणाम आने के बाद साफ हो गया कि महागठबंधन मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। कई सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार बहुत कम मार्जिन से हार गए, वहीं कुछ सीटों पर भाजपा और जदयू के उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की।


500 से कम वोटों से तय हुई कई सीटों की किस्मत

इस चुनाव की एक खास बात यह रही कि बड़ी संख्या में सीटों पर जीत-हार का अंतर बेहद कम रहा। राज्य की अगिआंव, बलरामपुर, ढाका, फारबिसगंज, नबीनगर और संदेश जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जीत का अंतर 500 वोट से भी कम रहा। बलरामपुर सीट पर जीत-हार का अंतर रहा—389 वोट, ढाका में यह अंतर था—178 वोट, फारबिसगंज सीट—221 वोट, नबीनगर सीट—112 वोट, रामगढ़ सीट—175 वोट इससे साफ है कि इन सीटों पर मतदाता पूरी तरह बंटे हुए दिखाई दिए और एक-एक वोट की अहमियत स्पष्ट दिखी।


सूबे की सबसे कड़ी टक्कर – 100 वोट से कम का मार्जिन

दो विधानसभा सीटें ऐसी रहीं जहां जीत-हार का अंतर 100 वोट से भी कम रहा। ये सीटें थीं—रामगढ़, अगिआंव और संदेश। रामगढ़: महज 30 वोट,अगिआंव: 95 वोट, संदेश: सिर्फ 27 वोट, जो सूबे में सबसे कम रहा संदेश सीट पर 27 वोट का अंतर पूरे राज्य के चुनावी नतीजों में सबसे नजदीकी मुकाबला माना जा रहा है। 500 से 1000 वोट के मार्जिन वाली सीटें बिहार की कई अन्य महत्वपूर्ण सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा। बख्तियारपुर, बोधगया, चनपटिया और जहानाबाद सीटों पर हार-जीत का अंतर 1000 से 500 वोट के बीच रहा। बख्तियारपुर: 981 वोट, बोध गया: 881 वोट, चनपटिया: 602 वोट जहानाबाद: 793 वोट ये आंकड़े बताते हैं कि कई क्षेत्रों में मतदाताओं ने तीखी प्रतिस्पर्धा देखी, जिससे चुनाव और भी रोचक बन गया।


महिलाओं की ऐतिहासिक भागीदारी

इस बार बिहार की चुनावी तस्वीर में महिलाओं की भूमिका बेहद निर्णायक रही। आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों की तुलना में लगभग 10% अधिक रहा। यह स्पष्ट करता है कि महिला मतदाता अब बिहार की राजनीति में एक मजबूत और निर्णायक शक्ति बन चुकी हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं ने बढ़चढ़कर मतदान किया, जिसने कई सीटों पर परिणामों की दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


सबसे बड़े अंतर से मिली जीत – रुपौली सीट ने बनाया रिकॉर्ड

बिहार में इस चुनाव की सबसे बड़ी जीत रुपौली विधानसभा सीट पर देखने को मिली। जदयू के कलाधर प्रसाद मंडल ने राजद की दिग्गज प्रत्याशी बीमा भारती को 73,572 वोटों के विशाल अंतर से हराया। यह इस चुनाव का सबसे बड़ा जीत का अंतर साबित हुआ।


दीघा सीट पर भी बड़ा मार्जिन

सूबे में दूसरी सबसे बड़ी जीत दीघा विधानसभा सीट पर दर्ज की गई। यहां BJP के संजीत चौरसिया ने CPI (ML) की उम्मीदवार दिव्या गौतम को 59,079 वोटों के बड़े अंतर से मात दी। यह जीत भाजपा की चुनावी रणनीति और लोकप्रियता का बड़ा संकेत मानी जा रही है।


एनडीए की प्रचंड जीत का क्या मतलब?

एनडीए के इस प्रचंड जनादेश से साफ है कि मतदाताओं ने विकास, स्थिरता और सुशासन को प्राथमिकता दी है। भाजपा की मजबूत पकड़, जदयू की क्षेत्रीय मजबूती और एनडीए की संयुक्त रणनीति ने इस चुनाव को एकतरफा बना दिया। दूसरी ओर, महागठबंधन की नीति, नेतृत्व और संगठनात्मक कमजोरी कहीं न कहीं उसके खराब प्रदर्शन का बड़ा कारण बनी।


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पूरी तरह से रोमांच, कड़ी टक्कर और भारी जनादेश का संगम रहा। जहां एक ओर सबसे कम 27 वोट का अंतर देखने को मिला, वहीं दूसरी तरफ 73 हजार से ज्यादा के अंतर ने राजनीतिक समीकरणों की नई कहानी लिख दी। महिलाओं की रिकॉर्ड भागीदारी और युवा मतदाताओं की सक्रियता ने इस चुनाव को ऐतिहासिक बना दिया। एनडीए की शानदार जीत ने आने वाले पांच वर्षों के लिए बिहार की राजनीतिक दिशा लगभग तय कर दी है।