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22-Aug-2025 03:12 PM
By First Bihar
Becoming doctor in USA: अमेरिका में डॉक्टर बनना हमेशा से भारतीय छात्रों का एक बड़ा सपना रहा है। बेहतरीन मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर, उच्च वेतन और रिसर्च के बेहतरीन अवसर इसे आकर्षक बनाते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि अमेरिका में डॉक्टर बनने का रास्ता न केवल लंबा बल्कि बेहद खर्चीला भी है। इसके मुकाबले भारत में डॉक्टर बनने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत छोटी, सुलभ और किफायती है। आइए जानते हैं दोनों देशों की प्रक्रियाओं में कितना अंतर है और क्या भारत से MBBS करने के बाद अमेरिकी मेडिकल सिस्टम में बिना रेजिडेंसी प्रैक्टिस करना संभव है या नहीं।
अमेरिका में डॉक्टर बनने के लिए सबसे पहले छात्र को चार साल का ग्रेजुएट प्रोग्राम पूरा करना होता है। इसके बाद उन्हें Medical College Admission Test (MCAT) पास करना होता है, जो बेहद कठिन और प्रतिस्पर्धी होता है। इसके स्कोर के आधार पर Doctor of Medicine (MD) प्रोग्राम में एडमिशन मिलता है, जिसकी अवधि भी चार साल होती है। इस तरह केवल पढ़ाई और बुनियादी ट्रेनिंग में ही करीब 8 साल लग जाते हैं। इसके बाद भी एक अमेरिकी डॉक्टर को 3 से 7 साल की रेजिडेंसी (स्पेशलाइजेशन के आधार पर) करनी होती है, जो अनिवार्य है।
भारत में मेडिकल करियर की शुरुआत 12वीं के बाद ही हो जाती है। NEET-UG जैसे एकमात्र राष्ट्रीय स्तर के प्रवेश परीक्षा के जरिए छात्र सीधे MBBS कोर्स में दाखिला पा सकते हैं। MBBS की अवधि कुल 5.5 साल की होती है, जिसमें 4.5 साल की पढ़ाई और 1 साल की अनिवार्य इंटर्नशिप शामिल है। इसके बाद छात्र प्रैक्टिस या पोस्ट-ग्रेजुएशन का विकल्प चुन सकते हैं।
तकनीकी रूप से भारत का MBBS और अमेरिका का MD डिग्री स्तर पर तुलनीय मानी जाती हैं। लेकिन अमेरिका में International Medical Graduates (IMGs) यानी विदेशी मेडिकल डिग्री धारकों को यूएस में प्रैक्टिस करने के लिए कुछ अतिरिक्त चरण पूरे करने होते हैं। इसके तहत उन्हें USMLE (United States Medical Licensing Examination) पास करना अनिवार्य होता है और साथ ही अमेरिका में मान्यता प्राप्त रेजिडेंसी प्रोग्राम भी पूरा करना होता है।
यह सवाल अक्सर भारतीय छात्रों के मन में रहता है। क्या रेजिडेंसी किए बिना अमेरिका में मेडिकल प्रैक्टिस संभव है? अब इसका जवाब थोड़ा हां में बदल रहा है। अमेरिका में डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए कुछ राज्यों ने नियमों में ढील दी है। ‘Federation of State Medical Boards (FSMB)’ के अनुसार, कम से कम 18 अमेरिकी राज्यों ने ऐसे प्रोग्राम शुरू किए हैं, जो विदेशी डॉक्टरों को रेजिडेंसी पूरी किए बिना अस्थायी रूप से प्रैक्टिस करने की अनुमति देते हैं।
एनपीआर (NPR) की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लोरिडा, वर्जीनिया, विस्कॉन्सिन, इडाहो, मिनेसोटा और टेक्सास जैसे राज्यों ने इस दिशा में पहल की है। ये राज्य उन विदेशी डॉक्टरों को अस्थायी मेडिकल लाइसेंस दे रहे हैं जिनके पास अपने देश में पहले से लाइसेंस और अनुभव हो। हालांकि यह लाइसेंस पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं होता, इन डॉक्टरों को शुरुआत में किसी सीनियर डॉक्टर की निगरानी में काम करना होता है, और USMLE Step 1 और Step 2 CK एग्जाम पास करना जरूरी होता है।
अमेरिका के कुछ राज्यों में नियमों में हो रहे ये बदलाव भारतीय MBBS ग्रेजुएट्स के लिए एक नई उम्मीद लेकर आ रहे हैं। हालांकि अब भी अधिकांश राज्यों में रेजिडेंसी अनिवार्य है, लेकिन जिनके पास पहले से अनुभव है, उनके लिए यह रास्ता थोड़ा आसान हो सकता है। इससे न केवल डॉक्टरों की कमी पूरी करने में मदद मिलेगी, बल्कि योग्य विदेशी डॉक्टरों को वैश्विक स्तर पर काम करने का अवसर भी मिलेगा।