BIHAR: अश्विनी हत्याकांड का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, घटना के दो महीने बाद पुलिस ने दबोचा बेगूसराय में बाढ़ का कहर: 12 घंटे में 7 की मौत, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप BIHAR: गंगा नदी में 100 KM बहकर बचा शख्स, बेंगलुरु से आने के बाद पटना में लगाई थी छलांग Bihar News: बिहार में पानी में डूबने से दो सगी बहनों की मौत, छोटी सी गलती और चली गई जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी
17-Apr-2025 08:26 PM
By First Bihar
IIT hub Bihar : जब भी देश में ग्रामीण शिक्षा की बात होती है, पटवा टोली गांव का नाम सबसे पहले आता है। गया जिले के मानपुर ब्लॉक में बसा यह गांव अब भी ‘IIT factory’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि यह कहानी वर्षों पुरानी है, लेकिन इसकी चमक आज भी बरकरार है। साल 2024 में भी यहां के छात्र IIT, JEE, और NEET जैसी कठिन परीक्षाओं में देशभर में टॉप कर रहे हैं।
आज की पीढ़ी का नया जोश
1991 में जितेंद्र कुमार सिंह के IIT में चयन से जो सिलसिला शुरू हुआ था, वो अब कई पीढ़ियों तक पहुंच चुका है। पटवा टोली में अब दूसरी और तीसरी पीढ़ी के छात्र इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन कोचिंग और स्थानीय मार्गदर्शकों की सहायता से आज के छात्र न केवल IIT में चयनित हो रहे हैं, बल्कि AI, Robotics, और Data Science जैसे आधुनिक क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहे हैं।
Vriksh संस्था का विस्तृत असर
‘Vriksh With The Change’ संस्था ने 2013 में जो बीज बोया था, वो अब वटवृक्ष बन चुका है। अब यह संस्था केवल पटवा टोली तक सीमित नहीं है, बल्कि गया और आसपास के कई गांवों तक अपनी पहुंच बना चुकी है। मुफ्त कोचिंग, डिजिटल क्लासेस, और मेंटरशिप प्रोग्राम के कारण अब आस-पास के गांवों के छात्र भी पटवा टोली की सफलता में भागीदार बन रहे हैं।
नया चेहरा, पुरानी विरासत
पटवा टोली को कभी वस्त्र उद्योग के कारण "बिहार का मैनचेस्टर" कहा जाता था, लेकिन अब यह गांव "Village of IITians" के नाम से एक नई पहचान बना चुका है। यहां की गलियों में आज भी किताबों की खनक और सपनों की चहचहाहट सुनी जा सकती है।
पटवा टोली की कहानी अब केवल एक गांव की नहीं रही, यह एक सोच बन चुकी है। यह सोच बताती है कि अगर सही दिशा, संसाधन और प्रेरणा मिले, तो ग्रामीण भारत भी वैश्विक स्तर पर चमक सकता है। आज के डिजिटल युग में भी पटवा टोली की ये 'पुरानी' कहानी एक नई रिलेवेंस लेकर सामने आ रही है—जहां हर गांव एक IIT फैक्ट्री बन सकता है।