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04-Aug-2025 02:24 PM
By First Bihar
Success Story: ज्यादातर लोग ऑफिस से काम करके थक हार कर घर लौटते हैं तो किसी और चीज़ के बारे में सोच भी नहीं पाते। लेकिन जो अपनी किस्मत बदलने की ठान लेते हैं, वे हर परिस्थिति में मेहनत का रास्ता चुनते हैं। यही कहानी है बिहार की IAS श्वेता भारती की, जिन्होंने 9 घंटे की नौकरी के बाद यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास कर यह साबित कर दिया कि अगर जज्बा हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।
दरअसल, श्वेता भारती बिहार के नालंदा जिले की रहने वाली हैं। उनकी स्कूली शिक्षा पटना में हुई और फिर उन्होंने भागलपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के बाद उन्होंने देश की प्रमुख IT कंपनी विप्रो में जॉब शुरू की। यहीं से उनके मन में सिविल सेवा की तैयारी का विचार आया। लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों और आर्थिक स्थितियों के चलते वह अपनी नौकरी नहीं छोड़ सकीं। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
श्वेता ने अपने दिन का अधिकतम उपयोग किया। दिनभर ऑफिस में काम करने के बाद वह शाम से देर रात तक पढ़ाई में जुट जाती थीं। उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बना ली ताकि ध्यान न भटके। उनके अनुसार, “कभी-कभी ऐसा लगता था कि मैं खुद से लड़ रही हूं, लेकिन लक्ष्य बड़ा था, इसलिए रुकना विकल्प नहीं था।”
UPSC से पहले श्वेता ने BPSC परीक्षा में भी हिस्सा लिया था। 65वीं BPSC परीक्षा में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 65वीं रैंक प्राप्त की और डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर (DPO) पद हासिल किया। इस सफलता ने उनके आत्मविश्वास को और मजबूत किया, लेकिन उनका असली सपना IAS बनना था, जिसे उन्होंने नहीं छोड़ा।
श्वेता ने BPSC की नौकरी के साथ-साथ UPSC की तैयारी जारी रखी। उन्होंने अपने समय का प्रबंधन इस तरह किया कि दोनों जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सकें। आखिरकार साल 2021 में उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 356वीं रैंक हासिल की। वर्तमान में वह बिहार के भागलपुर जिले में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं।
श्वेता का मानना है कि अगर आप में लगातार सीखने और मेहनत करने की इच्छा है तो कोई भी परीक्षा कठिन नहीं। वह युवाओं को सलाह देती हैं कि “अगर आप सिविल सेवा जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखें, एक स्ट्रेटजी बनाएं और उसे डेडिकेशन के साथ फॉलो करें।”
श्वेता भारती की सफलता की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो नौकरी के साथ पढ़ाई कर अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। उन्होंने यह साबित किया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।