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27-Sep-2025 07:55 AM
By First Bihar
Cyber Crime: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश में डिजिटल पेमेंट्स को और अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। RBI ने घोषणा की है कि 1 अप्रैल 2026 से सभी डिजिटल लेन-देन में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) अनिवार्य कर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर अपराध को रोकना है।
RBI ने बताया कि अब सिर्फ SMS OTP से लेन-देन की पुष्टि करना पर्याप्त नहीं होगा। इसके अलावा उपयोगकर्ताओं को एक और प्रमाणिकता स्तर (second factor) पूरा करना होगा, जो कि पासवर्ड, पासफ्रेज, डेबिट कार्ड, पिन, सॉफ्टवेयर टोकन, फिंगरप्रिंट या बायोमेट्रिक पहचान हो सकता है। यह कदम डिजिटल ट्रांजेक्शन को ज्यादा सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए उठाया जा रहा है।
RBI ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई ग्राहक इन नए सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करता है और लेन-देन के दौरान उसे किसी प्रकार की धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता है, तो उसके नुकसान की भरपाई बैंक या सरकार द्वारा नहीं की जाएगी। ग्राहक को अपना नुकसान खुद वहन करना होगा। इससे ग्राहकों को सतर्क और जागरूक रहने की सलाह भी दी गई है।
RBI ने बताया कि टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के तहत ग्राहकों को दो अलग-अलग प्रमाणिकता विधियों का उपयोग करना अनिवार्य होगा। इनमें से पहला हो सकता है SMS OTP, जबकि दूसरा फैक्टर पासवर्ड या पासफ्रेज, ATM/डेबिट, पिन कोड, सॉफ्टवेयर टोकन या हार्डवेयर टोकन और फिंगरप्रिंट या बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन हो सकता है। इसका मतलब यह है कि अब केवल मोबाइल OTP पर निर्भरता खत्म हो जाएगी और ग्राहक को एक अतिरिक्त सुरक्षा परत से गुजरना होगा।
आज भारत में डिजिटल भुगतान का दायरा बहुत तेजी से बढ़ रहा है। छोटे दुकानदारों, ठेलेवालों, यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी UPI और अन्य डिजिटल पेमेंट माध्यमों का व्यापक उपयोग हो रहा है। हालांकि, इसी के साथ साइबर फ्रॉड की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। कई बार लोग धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं और अपनी सालों की कमाई गवां बैठते हैं।
बहुत से लोग ऐसे मामलों को रिपोर्ट करने में हिचकिचाते हैं, जिससे साइबर अपराधियों का हौसला और बढ़ जाता है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए RBI ने यह निर्णय लिया है कि डिजिटल सुरक्षा को मजबूती दी जाए और लोगों को ऐसे अपराधों से सुरक्षित रखा जाए।
RBI का यह कदम भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह न सिर्फ लोगों को फ्रॉड से बचाएगा, बल्कि डिजिटल लेन-देन को और ज्यादा विश्वसनीय बनाएगा। आने वाले समय में, जब यह नियम लागू होगा, तो ग्राहकों को अपने डिजिटल व्यवहार में थोड़ा परिवर्तन करना होगा, लेकिन यह बदलाव लंबी अवधि में सुरक्षा की दृष्टि से बेहद लाभकारी सिद्ध होगा।