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16-May-2025 01:43 PM
By KUMAR SAURABH
Bihar Teacher News: बिहार के सीतामढ़ी जिले में शिक्षकों की कर्तव्यहीनता और अनुशासनहीनता लगातार सामने आ रही है। कभी स्कूल में शराब पीने तो कभी गांजा सेवन जैसे मामले शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। दो महीने पहले एक शिक्षक को शराब पीते वीडियो वायरल होने पर निलंबित किया गया था। अब, ताजा मामलों में गांजा पीने, फर्जी हाजिरी दर्ज कराने और अनुपस्थिति के बावजूद उपस्थिति दिखाने के आरोप में तीन शिक्षकों को निलंबित किया गया है।
बोखड़ा प्रखंड के उच्च विद्यालय, खड़का में तैनात शिक्षक सुजीत कुमार तिवारी का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे विद्यालय के एक कमरे में गांजा का सेवन करते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में उनके साथ दो और लोग भी दिखाई दे रहे हैं जो मादक पदार्थ का सेवन कर रहे हैं। किसी ने यह वीडियो डीईओ को वॉट्सऐप पर भेजा, जिसके आधार पर प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए जाने पर निलंबन की कार्रवाई की गई है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय बीईओ कार्यालय, डुमरा निर्धारित किया गया है। डीईओ द्वारा जारी पत्र में "गांजा" की जगह "मादक पदार्थ" शब्द का प्रयोग किया गया है।
रून्नीसैदपुर प्रखंड के केपी उच्च विद्यालय, अथरी के शिक्षक राजन कुमार झा का वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें वे स्कूल से अक्सर नदारद रहते हुए दिखे हैं और किसी और से ऑनलाइन हाजिरी बनवाते हैं। जांच की जिम्मेदारी एमडीएम के जिला लेखापाल को दी गई थी। जांच में खुद शिक्षक झा ने स्वीकार किया कि पिछले महीने वे कई बार देर से स्कूल पहुंचे और किसी अन्य व्यक्ति ने ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर उनकी उपस्थिति बनाई थी।
हैरानी की बात यह है कि विद्यालय के कक्षा 10 के छात्र मंगलम कुमार ने जांच अधिकारी के सामने स्वीकार किया कि उसी ने संगीत शिक्षक की ऑनलाइन हाजिरी बनाई थी। जांच में आरोप साबित होने पर शिक्षक झा को निलंबित कर दिया गया। नानपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय, मेदनीपुर के शिक्षक रविरंजन कुमार सिंह भी निलंबन की कार्रवाई का शिकार हुए हैं। जांच में पाया गया कि वे हाजिरी लगाने के बाद विद्यालय से अनुपस्थित रहते थे।
यह खुलासा तब हुआ जब एमडीएम के डीपीओ ने अचानक स्कूल का निरीक्षण किया और शिक्षक सिंह को हाजिरी रजिस्टर में उपस्थित पाया, जबकि वे मौके पर मौजूद नहीं थे। इसपर डीईओ ने उन्हें निलंबित कर उनका मुख्यालय रीगा स्थानांतरित कर दिया है। इतना ही नहीं, प्रधान शिक्षक से जब डीपीओ ने इस संबंध में जवाब मांगा, तो वे कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। इस पर डीईओ ने प्रधान शिक्षक से भी स्पष्टीकरण मांगा है।
शिक्षकों के इन लगातार सामने आ रहे अनुशासनहीन व्यवहार ने शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। स्कूल जैसे पवित्र स्थान में नशा करना, फर्जी हाजिरी बनवाना, और कर्तव्य से गायब रहना न केवल बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर डाल रहा है, बल्कि जनता का विश्वास भी डिगा रहा है। डीईओ ने कहा है कि सभी मामलों में सख्त कार्रवाई की जा रही है और अन्य शिक्षकों के लिए यह एक चेतावनी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अन्य संदिग्ध शिक्षकों पर भी निगरानी रखी जा रही है, और ऐसे मामलों में शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी।