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10-Jul-2025 11:24 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की जांच पड़ताल से विपक्षी पार्टियां बेचैन हैं. आरजेडी, कांग्रेस से लेकर तमाम विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ कोर्ट से लेकर सड़क पर उतर आयी हैं. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि विपक्षी पार्टियों का विरोध कहां तक जायज है. तो तथ्य सामने आ रहे हैं वो बता रहे हैं कि चुनाव आयोग पहले भी वोटर लिस्ट का रिविजन यानि पुनरीक्षण करता रहा है. बिहार में जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं तब भी वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण हुआ था.
2003 में सिर्फ 31 दिन में हुआ था वोटर लिस्ट रिविजन
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि बिहार में वोटर लिस्ट रिविजन का फैसला नया नहीं है. इससे पहले 2003 में भी मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया गया था. उस समय सिर्फ 31 दिनों में वोटर लिस्ट का रिविजन कर मतदाताओं की सूची जारी कर दी गयी थी. चुनाव आयोग 2003 में बने वोटर लिस्ट को मान रहा है. यानि जिनका नाम 2003 के वोटर लिस्ट में शामिल है, उन्हें अभी हो रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण में कोई परेशानी नहीं होगी. उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल रहेगा.
देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में जो भी व्यक्ति एक जनवरी 2003 की मतदाता सूची में है, उसे संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत प्राथमिक दृष्टिकोण से योग्य माना जाएगा. यानि जिन लोगों का भी नाम 2003 के वोटर लिस्ट में है, उन्हें इस दफे हो रहे वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में कोई कागज जमा करने की जरूरत नहीं है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि चुनाव आयोग जल्द ही 2003 की बिहार मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर देगा. इससे उन 4.96 करोड़ मतदाताओं को सुविधा होगी, जिनका नाम सूची में शामिल है. ज्ञानेश कुमार ने मीडिया को बताया है कि जिन मतदाताओं के माता-पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, उन्हें भी राहत मिलेगी. वैसे लोगों को सिर्फ अपने जन्म स्थान/तिथि के बारे में दस्तावेज देने होंगे.
बीजेपी का हमला
इस बीच विपक्षी पार्टियों पर बीजेपी ने हमला बोला है. बीजेपी के सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने कहा है कि 2003 में राजद शासन में जब मतदाता सूची पुनरीक्षण 31 दिन में हो सकता है, तो आज क्यों नहीं? 1965 में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे और 1983 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तब भी वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण हुआ था.
घुसपैठियों की खुलेगी पोल
डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि विपक्षी पार्टियां इसलिए बौखलाई हुई हैं क्योंकि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से जितने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं, उनकी पोल खुल जाएगी और वोटर लिस्ट से उनका नाम कट जाएगा. डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि विपक्षी पार्टियां आधार कार्ड को वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए आवश्यक कागजात बनाने की मांग कर रहा है.
किशनगंज-अररिया में जनसंख्या से ज्यादा आधार
डॉ संजय जायसवाल ने बताया कि आधार कार्ड का हाल ये है कि किशनगंज की कुल आबादी का 105 प्रतिशत आधार कार्ड बना है, जबकि अररिया में 103 प्रतिशत आधार कार्ड बना है. यानि इन जिलों की जितनी आबादी है, उससे ज्यादा आधार कार्ड बने हैं. जाहिर है वहां घुसपैठियों ने आधार कार्ड बना लिया है. संजय जायसवाल ने कहा कि ये बड़ा सवाल और गंभीर चिंता का विषय है. महागठबंधन में शामिल पार्टियां ये चाहती हैं कि घुसपैठिये और रोहिंग्या बिहार के वोटर बने रहें. यही कारण है कि वे इसका विरोध कर रहे हैं.