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Bihar Traffic Police: ट्रैफिक पुलिस का हैरतअंगेज कारनामा, 0 स्पीड पर लगा दिया ओवर स्पीड का जुर्माना, राजस्थान पुलिस के नाम पर काटा चालान

Bihar Traffic Police: ऐसे कारनामे केवल बिहार में ही हो सकते हैं, इस मामले के सामने आने के बाद राज्य के ट्रैफिक पुलिस की भारी फजीहत जारी है, खबर पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे।

Bihar Traffic Police

07-Apr-2025 10:18 AM

By First Bihar

Bihar Traffic Police: बिहार में ट्रैफिक पुलिस के चालान सिस्टम ने एक बार फिर सुर्खियाँ बटोर ली हैं, लेकिन इस बार मामला इतना अजीब है कि सुनकर लोग हक्के-बक्के रह गए। मुजफ्फरपुर में 30 जून 2023 को एक वाहन चालक को ओवरस्पीडिंग का चालान थमा दिया गया, जबकि उसकी गाड़ी की स्पीड जीरो दर्ज थी। और तो और, चालान पर बिहार पुलिस का नहीं, बल्कि राजस्थान पुलिस का नाम लिखा था। यह घटना बिहार के ट्रैफिक सिस्टम में तकनीकी खामियों और लापरवाही की पोल खोल रही है। विभाग इसे "तकनीकी गड़बड़ी" कहकर पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन आम लोग इस तरह के खेल से परेशान हैं।


मामला मुजफ्फरपुर शहर के एक प्रमुख मार्ग का है। सुपौल डीटीओ में रजिस्टर्ड एक गाड़ी (नंबर BR-50 4599), जो प्रज्ञा कुमारी के नाम पर है, सुपौल से पटना जा रही थी। गाड़ी को प्रज्ञा के पति सनी कर्ण चला रहे थे। सनी ने बताया कि रास्ते में गाड़ी को किनारे रोकने के लिए उन्होंने स्पीड कम कर दी थी, जो 20-30 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास रही होगी। इसके बावजूद उनके मोबाइल पर ओवरस्पीडिंग का चालान आ गया, जिसकी राशि 2,000 रुपये थी। जब उन्होंने चालान की डिटेल चेक की, तो हैरानी की बात सामने आई, गाड़ी की स्पीड जीरो दर्ज थी, और चालान राजस्थान पुलिस के नाम से जारी हुआ था।


इस अजीबोगरीब चालान ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर बिहार में राजस्थान पुलिस का चालान कैसे कट गया? और वह भी तब, जब गाड़ी की स्पीड जीरो थी? ट्रैफिक पुलिस ने इसे तकनीकी खामी बताया है, लेकिन इस गलती का खामियाजा वाहन मालिक को भुगतना पड़ रहा है। सनी कर्ण ने कहा, “हमने गाड़ी रोक दी थी, फिर भी ओवरस्पीडिंग का चालान आ गया। यह समझ से बाहर है।” विभाग ने भले ही गलती मान ली हो, लेकिन सुधार की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। यानी गलत चालान कटने के बाद भी 2,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा।


यह पहली बार नहीं है जब बिहार में चालान को लेकर विवाद हुआ हो। आए दिन लोग गलत चालानों की शिकायत करते हैं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। मुजफ्फरपुर का यह ताजा मामला सिस्टम की नाकामी को उजागर करता है। एक तरफ बिहार ट्रैफिक पुलिस डिजिटल चालान सिस्टम को बढ़ावा दे रही है, वहीं दूसरी तरफ ऐसी गलतियाँ लोगों का भरोसा तोड़ रही हैं। 


चालान के मुताबिक, गाड़ी पर ओवरस्पीडिंग का आरोप लगा, जबकि उसकी स्पीड रिकॉर्ड जीरो थी। यह साफ करता है कि या तो स्पीड डिटेक्शन सिस्टम में खराबी थी, या चालान जारी करने में बड़ी चूक हुई। और सबसे बड़ा सवाल ये है कि राजस्थान पुलिस का नाम कैसे आया? क्या बिहार का सिस्टम इतना कमजोर है कि दूसरे राज्य की पुलिस के नाम से चालान काट दे? इस घटना ने ट्रैफिक पुलिस के डिजिटल सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिए हैं।