पटना में 2025 में आधा हो गया क्राइम, पुलिस ने आंकड़े जारी कर किया दावा, 2024 में हुई घटनाओं की तुलना में इस साल बेहद कम वाकये हुए पूर्णिया में बिजली स्मार्ट मीटर रिचार्ज करने के नाम पर ठगी: भाजपा नेता के दो अकाउंट से उड़ाये 85 हजार रुपये Bihar Cabinet: 'मंगल पांडेय' के पास पटना से लेकर दिल्ली तक फ्लैट, सिर्फ 1 अकाउंट में एक करोड़ से अधिक जमा, भंडार में किलो के भाव से सोना-चांदी हिजाब विवाद: डॉ. नुसरत प्रवीण ने आज भी नहीं की नौकरी ज्वाइन, लास्ट डेट खत्म Bihar Cabinet: सम्राट चौधरी के पास कितनी है संपत्ति..साल के अंतिम दिन खुद बताया, रायफल-पिस्टल और भी बहुत कुछ.... Bihar Cabinet: साल के अंतिम दिन CM नीतीश ने घोषित की अपनी संपत्ति, नकद और बैंक में कितना रू है,जानें.... Bihar Police: मोतिहारी नगर निगम का वार्ड पार्षद पति फरार..SP ने 10 हजार रू का इनाम घोषित किया Bihar Transport News: बिहार में गाड़ियों की 'मैन्युअली फिटनेस जांच' पर रोक...कल से लागू होगी नई व्यवस्था, परिवहन मंत्रालय ने भेजा गाईडलाइन 1 करोड़ लोगों को सरकारी नौकरी और रोजगार देगी सरकार, बोले सम्राट चौधरी..बिहार के युवा मजदूरी करने नहीं, सम्मानजनक रोजगार पाने जाएं बाहर Health Ministry : 100mg से अधिक निमेसुलाइड टैबलेट्स पर बैन, स्वास्थ्य मंत्रालय का अहम फैसला
04-Jul-2025 03:28 PM
By FIRST BIHAR
Bihar News: नीतीश सरकार ने तांती जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने के सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2024 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। यह जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से शुक्रवार को दी गई। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में राज्य सरकार ने तांती जाति को फिर से पिछड़ा वर्ग की सूची में क्रमांक 33 पर शामिल कर दिया था।
जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के 1 जुलाई 2015 के उस संकल्प को रद्द कर दिया था, जिसमें तांती-तंतवा जाति को एससी वर्ग में शामिल किया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अनुसूचित जातियों की सूची में किसी जाति को जोड़ने या हटाने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं, बल्कि यह केवल संसद कर सकती है।
संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत राज्य को एससी सूची में कोई छेड़छाड़ करने की अनुमति नहीं है। एससी सूची में अन्य जातियों को जोड़ने से वास्तविक दलित वर्गों के अधिकारों का हनन होता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जिन तांती-तंतवा समुदाय के लोगों को पिछले 9 वर्षों में SC आरक्षण का लाभ मिला है, उन्हें अति पिछड़ा वर्ग के कोटे में समायोजित किया जाए।
इससे खाली होने वाली आरक्षित सीटों और पदों को वास्तविक अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवारों से भरा जाए। यह फैसला डॉ. भीमराव आंबेडकर विचार मंच और आशीष रजक की याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने सुनाया था।
इस विवाद की शुरुआत पटना हाईकोर्ट से हुई थी, जहां याचिकाकर्ताओं ने सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। लेकिन 3 अप्रैल 2017 को हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट गए थे।