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30-Jun-2025 02:23 PM
By First Bihar
Bihar Suicide News: बिहार में आत्महत्या के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल के दिनों में मुंगेर, पटना और सहरसा जैसे जिलों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जहां लोग मानसिक तनाव, एकाकीपन और टूटते रिश्तों के कारण अपनी जान गंवा दे रहे हैं। इन मामलों में डिप्रेशन, सामाजिक दूरी और पारिवारिक कलह प्रमुख कारण बनकर उभरे हैं।
जैसे पटना के बिहटा थाना क्षेत्र में एक इंटर छात्र ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। मृतक गोलू मूल रूप से उत्तर प्रदेश का निवासी था और उसके पिता पिछले कई दशक से बिहटा में दवा की दुकान चलाते हैं। गोलू ने इस साल थर्ड डिवीजन से इंटर पास किया था और उस वजह से डिप्रेशन में रहता था। वह हैदराबाद में अपनी बहन के पास रहकर पढ़ाई करता था, लेकिन जिस दिन उसे वापस लौटना था, उसी दिन उसने यह कदम उठा लिया और जीवन लीला समाप्त कर ली।
वैसे ही मुंगेर में दो अलग-अलग घटनाओं ने भी इस विषय को लेकर चिंता बढ़ाई है। पूरबसराय थाना क्षेत्र में 25 वर्षीय सर्वेश पटना का रहने वाला था, उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। वह फुटपाथ पर कपड़े की दुकान चलाता था, जिसे हाल ही में अतिक्रमण हटाओ अभियान में हटा दिया गया था। चर्चा है कि अपनी प्रेमिका की मौत के बाद से ही वह डिप्रेशन में था। एक अन्य घटना में कासिम बाजार थाना क्षेत्र में 44 वर्षीय मजदूर ने रात में चुपके से फांसी लगाई और दुनिया को अलविदा कह चला। वह अवैध हथियार निर्माण से जुड़ा था और पत्नी से अक्सर झगड़ता रहता था, जिसके कारण मानसिक तनाव में रहना उसके लिए आम बात थी।
इसके अलावा सहरसा के बनमा इटहरी प्रखंड में एक 24 वर्षीय महिला ने फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। जो आंगनबाड़ी सहायिका की बहू थी, उसकी शादी को चार साल हुए थे और उसका पति दूसरे राज्य में काम करता था। वह अपनी सास और बेटी के साथ रहती थी, लेकिन सास से लगातार झगड़े उसे परेशान किया करते थे। इसे ही उसकी आत्महत्या का मुख्य कारण माना जा रहा।
इन घटनाओं से यह तो साफ है कि मानसिक तनाव के अलावा एकाकीपन और टूटते पारिवारिक-सामाजिक रिश्ते आत्महत्या के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं। समाज में संवाद की कमी, भावनात्मक समर्थन का अभाव और छोटी-छोटी समस्याओं का बढ़-चढ़कर असर लोगों को कमजोर बना रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में बढ़ते शहरीकरण और बदलते सामाजिक ढांचे ने लोगों को अकेला कर दिया है। मुंगेर और भागलपुर जैसे क्षेत्रों में भी 2024-25 में किशोरों और युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है। जहां पढ़ाई का दबाव, प्रेम संबंधों में असफलता और माता-पिता से छोटी-छोटी बातों पर डांट जैसी घटनाएं घातक बन रही हैं।
समाज को इस संकट से निपटने के लिए संवाद बढ़ाना ही होगा। परिवार और दोस्तों से खुलकर बातचीत, मानसिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता और समय पर परामर्श अब काफी जरूरी है। अगर कोई मानसिक तनाव से जूझ रहा है, तो उसे तुरंत नजदीकी लोगों से बात करनी चाहिए या हेल्पलाइन नंबर 14416 पर संपर्क करना चाहिए, जो मुफ्त भी है और गोपनीय भी। बिहार में इस संकट को रोकने के लिए सामुदायिक सहयोग और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना बहुत ही जरूरी है।