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12-Jul-2025 07:48 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों में दबाव की राजनीति जारी है। एनडीए के प्रमुख सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी अपने दल के लिए अधिकतम सीटों की दावेदारी को लेकर रणनीतिक रूप से सक्रिय हो गए हैं।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में लोजपा (रामविलास) एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी थी और जदयू को टारगेट कर कई सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिससे एनडीए को नुकसान भी हुआ था। हालांकि, इस बार लोजपा गठबंधन के साथ है, और चिराग पासवान ने साफ संकेत दिए हैं कि वह एनडीए की सामूहिक रणनीति के अनुसार ही चुनाव लड़ेंगे।
सूत्रों के अनुसार, लोजपा इस बार 30 सीटों की मांग कर रही है, लेकिन भाजपा और जदयू की ओर से उसे 20 से 25 सीटें देने की संभावना है। भाजपा और जदयू दोनों लगभग 100-100 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। शेष सीटें अन्य घटक दलों जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो — को दी जा सकती हैं। इससे छोटे दलों के लिए सीटें सीमित हो जाएंगी, जिससे कुछ असंतोष उभर सकता है।
चिराग पासवान खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "हनुमान" बता चुके हैं और उनके साथ अपनी नजदीकी का सार्वजनिक रूप से कई बार ज़िक्र कर चुके हैं। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि चिराग भाजपा की रणनीति के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे और उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार किया जा रहा है। उनका मौजूदा दबाव सीटों की संख्या और लोकसभा चुनावों के फॉर्मूले को लागू करने को लेकर है, जिससे उनकी पार्टी को अधिक लाभ हो सकता है।
भाजपा की ओर से स्पष्ट किया गया है कि एनडीए की सभी पार्टियाँ सभी सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ेंगी, और हर उम्मीदवार एनडीए का साझा उम्मीदवार होगा। जहां तक चिराग पासवान के खुद के चुनाव लड़ने की बात है, यह फैसला उनकी पार्टी के अंदरूनी निर्णय पर निर्भर करेगा।
उधर महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे को लेकर गहमागहमी है। राजद, कांग्रेस और वाम दलों के बीच आपसी तालमेल और समीकरणों पर बातचीत जारी है। हालांकि अभी तक कोई औपचारिक समझौता सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, राजद सबसे अधिक सीटों पर दावेदारी कर रहा है, जबकि कांग्रेस अपनी भूमिका को मजबूत करने के प्रयास में है।
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो कुछ और स्थानीय दल भी एनडीए के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे सीट बंटवारे की गणित और जटिल हो सकती है। भाजपा इस बार जातीय समीकरणों और युवा मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए अपने सहयोगियों को संतुलन में रखकर चुनावी रणनीति तैयार कर रही है।