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06-Aug-2025 09:26 AM
By First Bihar
Cyber Fraud: थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस जैसे देशों से संचालित हो रहे साइबर नेटवर्क के माध्यम से उत्तर बिहार में बड़े पैमाने पर ठगी का जाल फैलाया जा रहा है। शातिर अपराधी फिशिंग वेबसाइट, लिंक और नकली शेयर ट्रेडिंग एप के जरिये आम लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। विभिन्न नामी कंपनियों के नाम से मिलते-जुलते डोमेन और एप बनाकर वे लोगों को निवेश या कमाई के नाम पर ठगते हैं। पिछले तीन महीनों में उत्तर बिहार में दो करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन इस गिरोह का पूरा नेटवर्क अब तक पुलिस के हाथ नहीं लग पाया है।
इस संबंध में जांच में सामने आया है कि ठगी की गई राशि ज्यादातर राजस्थान, गुजरात व अन्य राज्यों में स्थित बैंकों के फर्जी (घोस्ट) खातों में जमा करवाई गई है। पुलिस को इन खातों की विस्तृत जानकारी नहीं मिल पा रही है क्योंकि इन्हें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खोला गया था। तिरहुत व चंपारण रेंज के साइबर थानों में और नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर लगातार इस प्रकार की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं, जिससे साफ है कि यह गिरोह सुनियोजित तरीके से देशभर में अपना जाल फैला रहा है।
खरौना स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में कार्यरत शिक्षक दिपांशु कुमार को ठगों ने एक फर्जी फिशिंग वेबसाइट के जरिए 17.35 लाख रुपये की चपत लगा दी। इस मामले में शातिरों ने Rent.com जैसी अमेरिकी वेबसाइट की क्लोन वेबसाइट का उपयोग किया और दिपांशु को निवेश के नाम पर फंसाया। वे लगातार टास्क के रूप में पैसे लगाते चले गए। उनकी राशि राजस्थान के श्रीगंगानगर और चित्तौड़गढ़ एवं गुजरात के भुज के बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। पुलिस की जांच में कंबोडिया से जुड़े डिजिटल ट्रेल्स मिले हैं, जिससे जाहिर होता है कि गिरोह का संचालन विदेश से किया जा रहा है। हालांकि अब तक इसकी पुष्टि या गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
भगवानपुर श्रीरामपुरी, मुजफ्फरपुर के निवासी और व्यवसायी संतोष कुमार को भी इसी तरह की ठगी का शिकार बनाया गया। उन्हें UPI आधारित एक नकली "मोबीक्विक" एप डाउनलोड करवाया गया, जिससे उनका मोबाइल डिवाइस हैक हो गया। इसके बाद उनके बैंक खाते से 5.63 लाख रुपये गायब हो गए। ये पैसे कई राज्यों के फर्जी खातों में ट्रांसफर किए गए। प्रारंभिक जांच में इस ठगी के तार भी विदेशी नेटवर्क से जुड़े पाए गए हैं। पुलिस बैंक खातों की जानकारी एकत्र कर रही है, लेकिन डेटा और बैंक सहयोग की सीमाएं जांच को बाधित कर रही हैं।
मिठनपुरा थाना क्षेत्र के डॉ. अजय कुमार को फर्जी शेयर निवेश एप के माध्यम से 3.36 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। व्हाट्सएप के जरिए संपर्क कर उन्हें शेयर बाजार में तगड़ी कमाई का लालच दिया गया। पैसे निवेश करवाने के बाद शातिरों ने संपर्क बंद कर दिया। पुलिस जांच में सामने आया है कि ठगी की राशि तमिलनाडु, तेलंगाना और नोएडा स्थित बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। इस मामले में भी साइबर अपराधियों के तार लाओस से जुड़े होने के प्रमाण मिले हैं, लेकिन अब तक अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी संभव नहीं हो सकी है।
साइबर डीएसपी हिमांशु कुमार ने बताया कि, “फिशिंग एप, लिंक और नकली वेबसाइटों के जरिए होने वाली ठगी में ज्यादातर मामलों के तार विदेशी नेटवर्क से जुड़े होते हैं। यह अपराधी छद्म नाम और दस्तावेजों से बैंक खाते खोलते हैं, जिससे उनकी पहचान कर पाना बेहद मुश्किल होता है। हालांकि, कुछ मामलों में बैंक खातों की जांच के आधार पर सुराग मिले हैं और जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि आम लोगों को इस तरह के लुभावने लिंक, नकली एप या वेबसाइट से सतर्क रहने की जरूरत है। किसी भी अनजान लिंक या ऐप पर अपनी निजी जानकारी, ओटीपी या बैंक डिटेल साझा न करें।