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31-Aug-2025 10:51 AM
By First Bihar
Bihar News: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में चंपारण सत्याग्रह के रूप में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की एक नई क्रांतिकारी शुरुआत की थी। इस ऐतिहासिक आंदोलन के प्रारंभिक चरण में, 10 अप्रैल 1917 को वे मुजफ्फरपुर आए और रमना स्थित गया बाबू के मकान में ठहरे थे। यही मकान अब जल्द ही चंपारण सत्याग्रह संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा। बिहार सरकार ने इसके निर्माण की तैयारी तेज कर दी है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता संग्राम की इस ऐतिहासिक विरासत से जोड़कर रखा जा सके।
गांधी जी 15 अप्रैल 1917 को चंपारण के लिए रवाना हुए थे, जहाँ उन्होंने किसानों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हुए तीन कठिया प्रथा जैसी अन्यायपूर्ण व्यवस्थाओं के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन छेड़ा। यह आंदोलन देशभर में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित संघर्ष की प्रेरणा बना। मुजफ्फरपुर प्रवास के दौरान गांधी जी लंगट सिंह कॉलेज (एल एस कॉलेज) भी गए थे, जहाँ उस समय आचार्य जेबी कृपलानी प्रोफेसर थे। कृपलानी के आमंत्रण पर ही गांधी जी यहां आए थे और यहीं से उन्हें किसान नेता राजकुमार शुक्ल से मिलकर चंपारण के किसानों की दुर्दशा की जानकारी मिली।
बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अधीन बनने वाले इस संग्रहालय की स्थल निरीक्षण की प्रक्रिया हाल ही में शुरू हो चुकी है। मुजफ्फरपुर डीएम सुब्रत कुमार सेन ने गया बाबू के ऐतिहासिक मकान का निरीक्षण किया और अधिकारियों को इसे संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान डॉ. विमल तिवारी, अपर निदेशक, संग्रहालय निदेशालय भी मौजूद थे। डीएम ने कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया कि भवन का जीर्णोद्धार कर उसे ऐतिहासिक महत्व के अनुरूप आकर्षक बनाया जाए और शीघ्र प्राक्कलन प्रस्तुत किया जाए।
निरीक्षण के क्रम में डीएम ने मिठनपुरा स्थित रामचंद्र शाही संग्रहालय का भी दौरा किया। उन्होंने वहाँ रखी गई ऐतिहासिक पुरावशेषों और कलाकृतियों का अवलोकन किया और उनकी सांस्कृतिक महत्ता को सराहा। लेकिन संग्रहालय भवन की जर्जर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने भवन के नवीनीकरण के लिए विस्तृत योजना तैयार करने का निर्देश एलएईओ डिवीजन-1 को दिया। इस निरीक्षण में नगर आयुक्त, उप विकास आयुक्त समेत कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि न केवल चंपारण सत्याग्रह की स्मृतियों को संरक्षित किया जा सकेगा, बल्कि यह स्थल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेगा। साथ ही, यह संग्रहालय मुजफ्फरपुर के सांस्कृतिक पर्यटन को भी नया आयाम देगा।