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14-Jun-2025 12:17 PM
By First Bihar
Bihar Teacher News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिला में शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में बढ़ती अनियमितताओं और शैक्षणिक माहौल को बिगाड़ने के आरोप में कड़ी कार्रवाई किया है और तीन शिक्षकों को निलंबित कर दिया है। इनमें दो प्रधानाध्यापक और एक शिक्षक शामिल हैं, जबकि एक अन्य प्रधानाध्यापक को विभागीय कार्यवाही के अधीन रखते हुए फिलहाल निलंबन से मुक्त किया गया है।
दरअसल, मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय सकरी कन्या के प्रधानाध्यापक अमरेंद्र कुमार को डीपीओ एसएसए के आदेश पर निलंबित कर दिया गया है। निरीक्षण के दौरान विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति कम पाई गई, जबकि मध्याह्न भोजन योजना के पंजी में अधिक संख्या दर्शाई गई थी। इसके अतिरिक्त, सरकारी राशि आवंटित होने के बावजूद शौचालय निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं करना, एवं शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन में लापरवाही बरतना भी उनके विरुद्ध आरोपों में शामिल है।
निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय बीईओ कार्यालय कुढ़नी निर्धारित किया गया है। विभाग द्वारा उनके खिलाफ विस्तृत आरोप पत्र भी तैयार किया जा रहा है एवं वे विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही के अधीन रखे गए हैं। राजकीय बुनियादी विद्यालय दोकड़ा (सरैया) के शिक्षक राजेश कुमार झा को भी निलंबित कर दिया गया है।
इन पर विद्यालय संचालन में अनियमितता, शैक्षणिक माहौल को खराब करने, और अभिभावकों एवं ग्रामीणों के साथ असौजन्यपूर्ण व्यवहार जैसे आरोप लगे थे। जांच में प्रथम दृष्टया सभी आरोप सही पाए गए हैं। उन्हें निलंबन अवधि में बीईओ मड़वन कार्यालय में योगदान देना होगा। इनके विरुद्ध भी विभाग द्वारा अलग से आरोप पत्र दाखिल किया जा रहा है तथा विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
प्लस टू गोपाल प्रसाद उपाध्याय प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय, साहेबगंज में पदस्थापित विशिष्ट शिक्षक सागीर अहमद को भी निलंबन की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। हालांकि उनके खिलाफ लगे आरोपों का विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन उच्च स्तरीय जांच के बाद उन्हें निलंबित किया गया है।
सकरा प्रखंड के उमवि रहिमपुर रक्शा उर्दू विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक को भी मध्याह्न भोजन योजना में गड़बड़ी, विशेषकर योजना के तहत मिलने वाला चावल बाहरी व्यक्ति को देने के आरोप में विभागीय कार्यवाही के अधीन रखा गया है। हालांकि उन्हें निलंबन से मुक्त कर दिया गया है, लेकिन उनके विरुद्ध जांच जारी है।
शिक्षा विभाग की ओर से की गई यह कार्रवाई शासन स्तर पर अनुशासन बनाए रखने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक सख्त संदेश है। डीपीओ एसएसए ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और अनियमितता अथवा भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाने पर कड़ी सजा दी जाएगी।