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                            16-May-2025 11:37 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के बोधगया की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देते हुए एक बांग्लादेशी नागरिक फर्जी पहचान के साथ स्लीपिंग बुद्धा मॉनेस्ट्री में भिक्षु बनकर रह रहा था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर गुरुवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान पवन कांति बरुआ, पिता सुकेंदु विकास बरुआ, निवासी थाना काठखाली, बांग्लादेश के रूप में हुई है। प्रारंभिक पूछताछ में उसने खुद को प्रापूल चकमा, पिता गानेश्वर चकमा, निवासी अरुणाचल प्रदेश बताया था। पुलिस की सतर्कता और गहन पूछताछ के बाद उसकी असली पहचान सामने आई।
बुधवार की देर रात बोधगया थाना प्रभारी अपने दल के साथ गश्त पर थे। इसी दौरान अम्मा गांव के पास स्थित स्लीपिंग बुद्धा मॉनेस्ट्री (बुद्धा इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन) में संदेह के आधार पर जांच की गई। सत्यापन के दौरान एक भिक्षु द्वारा खुद को छिपाने की कोशिश की गई, जिससे पुलिस का शक और बढ़ा। जब उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, तब पहले उसने झूठी पहचान बताई, लेकिन अंततः उसने स्वीकार किया कि वह बांग्लादेशी नागरिक है जो बिना वैध वीजा और पासपोर्ट के भारत में घुसा था।
जांच में सामने आया है कि पवन कांति बरुआ बिना किसी वैध यात्रा दस्तावेजों के भारत आया और अरुणाचल प्रदेश में जाकर फर्जी आधार कार्ड बनवाया। इसके बाद वह बोधगया आकर स्लीपिंग बुद्धा मॉनेस्ट्री में बतौर भिक्षु रह रहा था। पुलिस को उसके द्वारा पहले भी कई बार भारत आने की जानकारी मिली है, जिससे संदेह है कि उसका मकसद महज धार्मिक नहीं बल्कि गंभीर सुरक्षा खतरा भी हो सकता है।
कानूनी कार्रवाई और धाराएँ बोधगया थाना द्वारा उसके खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (दस्तावेज़ की जालसाज़ी), 471 (फर्जी दस्तावेज़ का इस्तेमाल), विदेशी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 के तहत मामला दर्ज किया गया है। थाना प्रभारी ने बताया कि बोधगया में सुरक्षा के दृष्टिकोण से हम नियमित सत्यापन कर रहे हैं। यह गिरफ्तारी हमारी सतर्कता का परिणाम है। आरोपी पिछले 15 दिनों से फर्जी पहचान के साथ मॉनेस्ट्री में रह रहा था। मामले की गहनता से जांच की जा रही है।
आगे कहा कि आवश्यकता पड़ने पर खुफिया एजेंसियों को भी जोड़ा जाएगा। यह मामला भारत की आंतरिक सुरक्षा और विदेशी नागरिकों की निगरानी से जुड़ी बड़ी चिंता को उजागर करता है। धार्मिक स्थलों का दुरुपयोग कर कुछ लोग फर्जी पहचान के सहारे देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। पुलिस प्रशासन की सजगता से यह एक संभावित खतरा टल गया, लेकिन इस घटना ने भविष्य में और सतर्कता बरतने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।