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25-Jun-2025 10:50 PM
By mritunjay
BIHAR: बिहार के अरवल जिले के कलेर प्रखंड से एक बेहद दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के कारण एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। मृतका की पहचान कलेर निवासी अफसाना खातून उर्फ मुन्नी (पति - मकसूद खां) के रूप में हुई है। इस घटना ने न सिर्फ मृतका के परिवार को गहरे शोक में डुबो दिया है, बल्कि पूरे इलाके में आक्रोश और भय का माहौल पैदा कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक अफसाना को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे कलेर स्थित एक निजी क्लिनिक में लेकर गए। परिजनों का आरोप है कि उस क्लिनिक में कोई योग्य डॉक्टर या प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ नहीं था। इलाज की जिम्मेदारी एक झोलाछाप तथाकथित डॉक्टर ने संभाली। उसने महिला को खून और सलाइन चढ़ाया, लेकिन महिला की हालत लगातार बिगड़ती गई। कुछ ही घंटों में अफसाना की मौत हो गई।हैरान करने वाली बात यह रही कि महिला की मौत के तुरंत बाद क्लिनिक संचालक व अन्य स्टाफ वहां से फरार हो गए।
मृतका के परिजनों को यह कहकर गुमराह किया गया कि मरीज को पटना रेफर किया जा रहा है, जबकि मौके पर ही उसकी मौत हो चुकी थी। इस घटना की सूचना मिलते ही कलेर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अरवल सदर अस्पताल भेज दिया। कलेर थाना अध्यक्ष अविनाश कुमार ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है और परिजनों से लिखित शिकायत मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक स्तर पर जो जानकारी मिली है, वह बेहद गंभीर है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।यह घटना एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित हो रहे क्लीनिकों और झोलाछाप डॉक्टरों की हकीकत को सामने लाती है। कलेर प्रखंड में दर्जनों ऐसे निजी अस्पताल व नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं, जो बिना किसी सरकारी पंजीकरण, लाइसेंस या योग्य चिकित्सक के मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
यह कथित क्लीनिक, खासकर गरीब और अशिक्षित लोगों को निशाना बनाकर कम शुल्क में इलाज का झांसा देते हैं, लेकिन नतीजा अक्सर गंभीर होता है।स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि वर्षों से प्रशासन की लापरवाही के चलते ऐसे अवैध क्लीनिक फल-फूल रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द से जल्द ऐसे क्लीनिकों पर छापेमारी कर बंद करे और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई सुनिश्चित करे।मृतका के परिजन न्याय की गुहार लगा रहे हैं और दोषियों को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
डॉक्टर को लोग धरती का भगवान मानते हैं। वो जो सलाह देते हैं, वो मरीज करता है। लेकिन मरीज और डॉक्टर के बीच के इस विश्वास को तोड़ने का काम छोलाछाप डॉक्टर करता है। बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा में एक झोला छाप डॉक्टर की करतूत सामने आई है। जहां इलाज में लापरवाही के कारण जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी।
दोनों की जान सरकारी अस्पताल की आशा कार्यकर्ता और झोलाछाप डॉक्टर ने ले ली। इस घटना के बाद डॉक्टर क्लिनिक छोड़कर फरार हो गया है। वही परिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजन आरोपी झोलाछाप चिकित्सक पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। घटना नगर थाना क्षेत्र के चखनी छतरौल की है। जहां नीम हकीम के चक्कर में प्रसूता और नवजात की तड़प-तड़प कर मौत हो गयी।
कच्चे मकान में गर्भवती महिला का ऑपरेशन किया गया था। जच्चा-बच्चा की मौत के बाद डॉ.प्रवीण तिवारी चैंबर छोड़कर फरार हो गया है। लेकिन परिजनों ने वहां मौजूद झोलाछाप सर्जन मनोज यादव को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। टाउन थाने की पुलिस ने धनहा निवासी मुन्नी देवी और मृत बच्चे के शव को बरामद किया। परिजनों ने बताया कि गंभीर हालत में एसडीएच से मरीज को बेतिया रेफर किया गया था लेकिन वहां की आशा कार्यकर्ता के चंगुल में परिजन आ गये।
आशा ने उन्हें झोलाछाप डॉक्टर के पास भेजा। पहले फोन पर परिजनों ने डॉक्टर से पूछा कि मरीज को खून की कमी है, यहां के डॉक्टर ने बेतिया रेफर किया है। तब झोलाछाप डॉक्टर ने कहा कि हमारे क्लिनिक पर ले आईए सब ठीक हो जाएगा। मरीज को बेतिया ले जाने की जरूरत नहीं है। परिजनों ने विश्वास कर मरीज को उनके यहां ले गये लेकिन वहां जज्जा-बच्चा दोनों की मौत हो गयी। जिसके बाद परिजनों के बीच कोहराम मच गया। घटना के बाद डॉ. प्रवीण तिवारी चैंबर छोकर फरार हो गये। परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है और पुलिस से कार्रवाई की मांग की है। फिलहाल पुलिस आगे की कार्रवाई में जुटी है।