ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बिहार के दो थानेदारों को SSP ने किया लाइन हाजिर, सरकारी काम में लापरवाही पड़ी भारी Bihar News: बिहार के दो थानेदारों को SSP ने किया लाइन हाजिर, सरकारी काम में लापरवाही पड़ी भारी Bihar Police Alert: स्वतंत्रता दिवस और चेहल्लुम को लेकर बिहार में हाई अलर्ट, पुलिस मुख्यालय ने जिलों को जारी किए निर्देश Bihar Police Alert: स्वतंत्रता दिवस और चेहल्लुम को लेकर बिहार में हाई अलर्ट, पुलिस मुख्यालय ने जिलों को जारी किए निर्देश Bihar Crime News: बिहार में बैंक के 251 खातों से 5.58 करोड़ की साइबर ठगी, ईओयू ने दर्ज किया केस Bihar Crime News: बिहार में बैंक के 251 खातों से 5.58 करोड़ की साइबर ठगी, ईओयू ने दर्ज किया केस Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा, तीन नाबालिग लड़कियां बरामद; भारी मात्रा में मिलीं गर्भ निरोधक गोलियां Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा, तीन नाबालिग लड़कियां बरामद; भारी मात्रा में मिलीं गर्भ निरोधक गोलियां Bihar Election 2025: कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक की तारीख तय, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के साथ होगी चर्चा Bihar Election 2025: कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक की तारीख तय, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के साथ होगी चर्चा

Ganga Jal: काशी से गंगाजल लाना क्यों है वर्जित, हरिद्वार का क्यों है सबसे खास? जानिए.. वजह

Ganga Jal: गंगा को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन काशी से गंगाजल घर ले जाना वर्जित है। धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों के चलते लोग यहां से जल नहीं लाते, हालांकि गंगा स्नान को मोक्षदायक माना गया है।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sun, 03 Aug 2025 03:01:27 PM IST

Ganga Jal

- फ़ोटो google

Ganga Jal: गंगा को भारत में मात्र एक नदी के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था, श्रद्धा और आध्यात्मिकता से इसका गहरा संबंध है। हिंदू धर्म में गंगा को मां का दर्जा प्राप्त है और इसके जल की तुलना अमृत से की जाती है। धार्मिक मान्यताओं में गंगाजल को अत्यंत पवित्र माना गया है, जो पूजा-पाठ और तमाम धार्मिक कार्यों में उपयोग होता है।


हरिद्वार का गंगाजल क्यों है सबसे खास?

गंगा भारत में कई स्थानों से होकर बहती है, लेकिन हरिद्वार का गंगाजल सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है। यही वह स्थान है जहां गंगा पर्वतों से निकलकर मैदानों में प्रवेश करती है। धार्मिक मान्यता है कि इस स्थान का गंगाजल विशेष पुण्यदायी होता है, इसलिए पूजा-पाठ के लिए लोग विशेष रूप से हरिद्वार से ही गंगाजल लाना पसंद करते हैं। हरिद्वार के अलावा गौमुख, भागीरथी, गढ़गंगा और प्रयागराज से भी लोग गंगाजल लाकर घर के पूजाघर में रखते हैं और धार्मिक कार्यों में इसका उपयोग करते हैं।


काशी से गंगाजल लाना वर्जित क्यों है?

काशी, जिसे वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है, गंगा नदी के तट पर बसा एक प्राचीन और अत्यंत आध्यात्मिक नगर है। मान्यता है कि यहां गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन इसके बावजूद, काशी से गंगाजल घर ले जाना वर्जित माना जाता है। धार्मिक विश्वासों के अनुसार, काशी को मोक्ष की नगरी कहा गया है। 


यहां आने वाले जीव-जंतु और मनुष्य जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। इसी स्थान पर अंतिम संस्कार के बाद चिता की राख को गंगा में प्रवाहित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि इस जल में मृतकों की राख के अंश मिल जाएं और वही गंगाजल आप घर ले आएं, तो आत्मा की मुक्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इससे मोक्ष की प्रक्रिया अधूरी रह सकती है।


वैज्ञानिक कारण भी हैं इसके पीछे

केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काशी से गंगाजल ले जाना उचित नहीं माना जाता। दरअसल, काशी में प्रतिदिन सैकड़ों अंतिम संस्कार होते हैं, जिनके अवशेष गंगा में ही प्रवाहित किए जाते हैं। भले ही गंगा में जल को स्वाभाविक रूप से शुद्ध करने की क्षमता हो, फिर भी वहां के जल में कुछ ऐसे सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में काशी का गंगाजल पीने या घर में रखने की सलाह नहीं दी जाती।


तो क्या काशी में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए?

बिल्कुल करना चाहिए। काशी में गंगा स्नान को अत्यंत पुण्यदायक और मोक्षप्रद माना गया है। भले ही यहां से गंगाजल घर नहीं लाया जाता, लेकिन यहां डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है। यही कारण है कि हर साल लाखों श्रद्धालु काशी आते हैं और गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।