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Hartalika Teej 2025: आज है हरितालिका तीज व्रत, महिलाएं करेंगी निर्जल उपवास; जानें... पूजा विधि और सामग्री

Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज 2025 का व्रत आज पूरे देश में श्रद्धा से मनाया जा रहा है। जानें... व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पूजन सामग्री और इस पर्व का धार्मिक महत्व।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 26 Aug 2025 08:38:00 AM IST

Hartalika Teej 2025: आज है हरितालिका तीज व्रत, महिलाएं  करेंगी  निर्जल उपवास; जानें... पूजा विधि और सामग्री

- फ़ोटो GOOGLE

Hartalika Teej 2025: आज पूरे देश में विशेष रूप से महिलाओं द्वारा हरतालिका तीज 2025 का व्रत पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ रखा जा रहा है। यह पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। वहीं, दक्षिण भारत में इसे ‘गौरी हब्बा’ के रूप में मनाया जाता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में महिलाएं स्वर्ण गौरी व्रत रखती हैं और देवी गौरी की पूजा करती हैं।


हरतालिका तीज, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की स्मृति में रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-समृद्धि, तथा अविवाहित कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना से व्रत रखती हैं।


हरतालिका तीज 2025- शुभ तिथि और पारण का समय

इस वर्ष हरतालिका तीज की तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे से शुरू हुई और यह 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार व्रत 26 अगस्त को ही रखा गया है, और व्रत का पारण 27 अगस्त सुबह 5:57 बजे किया जाएगा।


हरतालिका तीज 2025: पूजा का शुभ मुहूर्त

मुख्य पूजन मुहूर्त: सुबह 5:56 बजे से 8:31 बजे तक (2 घंटे 35 मिनट)

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:57 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:31 बजे से 3:23 बजे तक


यह व्रत निर्जला व्रत होता है, जिसे कठिनतम व्रतों में गिना जाता है। महिलाएं 24 घंटे तक बिना अन्न-जल के इस व्रत का पालन करती हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ वस्त्र पहनने चाहिए। फिर, मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियाँ बनाकर उन्हें पूजा स्थल पर स्थापित करें।


पूजन के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, बेलपत्र, गंगाजल आदि तैयार करें। विधिवत पूजन कर हरतालिका व्रत कथा सुनें और आरती करें। यह प्रक्रिया सुबह और शाम दोनों समय दोहराई जाती है। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।


पूजा में प्रयोग होने वाली मुख्य सामग्री में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मिट्टी की मूर्तियां, पीले वस्त्र, केले का पत्ता, रोली, मौली, सुपारी, शमी पत्र, बेलपत्र, दूर्वा, कलश, अक्षत, कपूर, घी, दही, गंगाजल, माता पार्वती के श्रृंगार के लिए सिंदूर, बिंदी, चूड़ियाँ, मेहंदी, कुमकुम आदि शामिल हैं


हरतालिका तीज न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन महिलाएं लोक गीत गाती हैं, झूले झूलती हैं, और पारंपरिक पकवान बनाकर त्योहार को उत्सवमय बनाती हैं। यह पर्व नारी शक्ति के संयम, श्रद्धा और तपस्या का परिचायक है। यह व्रत महिला शक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति, समर्पण और परिवार के प्रति प्रेम को दर्शाता है।