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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 07 Jun 2025 09:07:44 PM IST
समाज में शांति का संदेश - फ़ोटो google
SUPAUL: छातापुर प्रखंड के महम्मदगंज पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या-02 में शनिवार को आयोजित संतमत सत्संग का 15वां वार्षिक महाधिवेशन आध्यात्मिक जागरण, सामाजिक समरसता और संस्कृति से जुड़ाव का अद्भुत संगम बन गया। इस विशेष अवसर पर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पनोरमा ग्रुप के प्रबंध निदेशक संजीव मिश्रा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेकर न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक प्रेरणा दी, बल्कि समाज में सेवा और सद्भावना के संदेश को भी मजबूती से रखा। इसी के साथ ही छातापुर में संतमत सत्संग का 15वां महाधिवेशन संपन्न हो गया।
महर्षि मेही जी को दी श्रद्धांजलि
कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही श्री मिश्रा ने मंच पर स्थापित परम पूज्य संत महर्षि मेही परमहंस जी महाराज के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि महर्षि मेही जी का जीवन सत्य, अहिंसा और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही हम समाज में नैतिकता और संतुलन को पुनर्स्थापित कर सकते हैं।
संतमत के मूल्यों को जीवन में अपनाने का आह्वान
अपने संबोधन में श्री मिश्रा ने संतमत की परंपरा को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताते हुए कहा कि यह परंपरा प्रेम, सेवा और साधना का मार्ग दिखाती है। उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सत्संग का उद्देश्य केवल धार्मिक रस्में निभाना नहीं, बल्कि आत्ममंथन और आत्मविकास का मार्ग अपनाना है। यह मंच हमें भीतर से मजबूत बनाता है और बाहरी दुनिया में अच्छाई फैलाने की प्रेरणा देता है।
आधुनिक समाज में अध्यात्म की आवश्यकता
संजीव मिश्रा ने अपने वक्तव्य में आज के समाज की चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि मानसिक तनाव, पारिवारिक विघटन और सामाजिक विखंडन तेजी से बढ़ रहे हैं। इन समस्याओं का स्थायी समाधान केवल आध्यात्मिक चेतना के माध्यम से ही संभव है। जब व्यक्ति संतों के विचारों को अपनाता है, तब समाज में शांति, करुणा और सहयोग जैसे मूल्य पुनः जीवित होते हैं।
बच्चों में आध्यात्मिक संस्कार विकसित करने की अपील
संजीव मिश्रा ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को भी आध्यात्मिक दिशा में प्रेरित करें और सत्संग जैसे आयोजनों को पारिवारिक संस्कृति का हिस्सा बनाएं। उन्होंने कहा कि अध्यात्म केवल बुजुर्गों या साधकों के लिए नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए भी मार्गदर्शक शक्ति है।
कार्यक्रम में महादलित टोलों से लेकर दूरदराज के गांवों तक से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों सहित हर वर्ग के लोगों ने संजीव मिश्रा के आगमन और विचारों का खुले दिल से स्वागत किया। कार्यक्रम में भजन, ध्यान, प्रवचन, और सामूहिक प्रार्थनाओं ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। इस अवसर पर धार्मिक आयोजनों में भागीदारी को राजनीतिक और सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बताया। संजीव मिश्रा ने आगे कहा कि राजनीति केवल सत्ता का माध्यम नहीं है, बल्कि लोकसेवा का एक प्रभावी मंच है। जब राजनीतिक जीवन में आध्यात्मिकता जुड़ती है, तब ही वह लोककल्याण का वास्तविक माध्यम बनता है।